Tuesday, 28 April 2015

सूचना भवन, दुमका 

प्रेस विज्ञप्ति

संख्या  094 दिनांक - 28/04/2015

जनजातीय साहित्य सृजन के प्रति रूझान बढ़ाने तथा जनजातीय संस्कृति के महत्वपूर्ण अवदानों का संरक्षण करने के उद्देष्य से सूचना भवन, दुमका स्थित सभागार में उप निदेषक, प्रमंडलीय जनसम्पर्क श्री अजय नाथ झा की अध्यक्षता में एक बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में दुमका में जनजातीय साहित्य सम्मेलन का आयोजन किये जाने तथा सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग कि एक महत्वपूर्ण इकाई जनजातीय साहित्य होड़ सोम्बाद, दुमका के उन्नयन पर विस्तार से विचार विमर्ष किया गया। बैठक में माह अगस्त-सितम्बर में दुमका में जनजातीय साहित्य सम्मेलन संताली साहित्य के विषेष संदर्भ में आयोजित करने का निर्णय लिया गया। बैठक में संताली साहित्य की पत्रिका जो 18 जुलाई 1947 से प्रकाषित की जा रही है उसे सामाजिक सरोकार की महत्वपूर्ण साहित्यक पत्रिका बनाने का निर्णय लिया गया। इसके लिए एक सम्पादक मंडल एवं एक कार्यकारिणी समिति बनाये जाने का भी निर्णय लिया गया है तथा इसमें लिखे जाने वाले आलेखों के लिए मानदेय दिये जाने का भी निर्णय लिया गया। बैठक में सिदो कान्हु मुर्मू विष्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डाॅ सत्यनारायण मुण्डा, डाॅ धुनी सोरेन, डाॅ0 प्रमोदिनी हाँसदा, श्री चुण्डा सोरेन ‘सिपाही’, डाॅ0 छाया गुहा, डाॅ0 सी0एन0 मिश्र, जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी श्री प्रभात शंकर, डाॅ0 विजय टुडू, डाॅ0 ए0एम0 सोरेन, डाॅ0 सुषील टुडू, श्री जुनास मराण्डी, श्री महेन्द्र बेसरा, श्री गौतम चटर्जी, डाॅ0 वाणी सेन गुप्ता, डाॅ0 यू0एस0आनन्द, श्री मदन कुमार आदि ने अपने विचार प्रकट किये।      
बैठक में यह चर्चा की गई कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के इस सम्मेलन के माध्यम से जनजातीय भाषाओं में साहित्य सृजन की वर्तमान स्थिति, उसका इतिहास एवं उसकी संभावनाओं पर विषेष ध्यान रहेगा। इस सम्मेलन के माध्यम से संताली साहित्य को सृजनात्मक स्तर पर बढ़ावा मिलेगा। सम्मेलन भाग लेने वाले अन्य जनजातीय भाषा के साहित्यकार संताली साहित्य से अवगत होंगे तथा साहित्यकारों के परस्पर समागम से एक नई चेतना भी जागृत होगी।
बैठक में यह विचार प्रकट किया गया कि सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग की एक महत्वपूर्ण इकाई है ‘होड़ सोम्बाद’ यह देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली संताली साहित्य की प्रतिनिधि पत्रिका है। वर्तमान में प्रमंडलीय उपनिदेषक इसके पदेन सम्पादक हैं तथा मुख्य रूप से सम्पादकीय दायित्व का निर्वाह श्री चुण्डा सोरेन ‘सिपाही’ के द्वारा किया जा रहा है। इस पत्रिका को श्री डोमेन साहु ‘समीर’, श्री बाबुलाल मुर्मू ‘आदिवासी’ जैसे महत्वपूर्ण साहित्यकारों का सानिध्य मिला है। इस पत्रिका के माध्यम से साहित्य एवं साहित्य सृजन के प्रति रूझान बढ़ाना मुख्य उद्देष्य है तथा इसके माध्यम से जनजातीय संस्कृति के महत्वपूर्ण अवदानों का संरक्षण भी किया जाना है।

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