दुमका 11 मार्च 2018
प्रेस विज्ञप्ति संख्या - 124
पर्यटन कला संस्कृति खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग झारखंड राँची के तहत संचालित दुमका संग्रहालय, दुमका द्वारा आयोजित संग्रहालय का महत्व, संरक्षण- संवर्धन की चुनौतियाँ एवं संभावनाएं विषय पर संगोष्ठी-सह- सांस्कृतिक जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। पंचायती राज पदाधिकारी सह प्रभारी जिला आपूर्ति पदाधिकारी शिवनारायण यादव ने कहा कि जनता की माँग के अनुरुप सरकार पूर्ति करती है। आवश्यकता है पुरातत्व के प्रति जागरुक लोगों की गोष्ठी निरंतर होती रहे। उन्होंने माँग की कि हरेक जिले में हो संग्रहालय, पुस्तकालय, वाचनालय।
पर्यटन कला संस्कृति खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग झारखंड राँची के तहत संचालित दुमका संग्रहालय, दुमका द्वारा आयोजित संग्रहालय का महत्व संरक्षण संवर्धन की चुनौतियाँ एवं संभावनाएँ विषय पर संगोष्ठी-सह- सांस्कृतिय जागरुकता कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिििथ जिला आपूर्ति पदाधिकारी-सह-प्रभारी पंचायती राज पदाधिकारी शिवनारायण यादव ने कहा कि जनता की माँग के अनुरुप सरकार पूर्ति करती है। आवश्यकता है पुरातत्व के प्रति जागरुक लोगों की गोष्ठी निरंतर होती रहे। उन्होंने माँग की कि हरेक जिले में हो संग्रहालय, पुस्तकालय, वाचनालय।
पंडित अनूप वाजपेयी ने कहा कि जन-जन की जागरुकता के बिना संताल परगना जैसे क्षेत्र में पुरावशेषों को संगृहित करना एक कठिन चुनौती है। क्योंकि धरती खोदने में लोगों को पुरावशेष मिलते ही रहते हैं जो काल की भेंट चढ़ जाते हैं। उन्होंने दावा किया कि संताल परगना के पुरावशेषों से यहां विश्व का सबसे बड़ा संग्रहालय बन सकता है।
इतिहास कार डाॅ0 सुरेन्द्र झा ने कहा कि विक्रम शिला पर बख्तियार खिलजी के आक्रमण के बाद बौछों की एक शाखा (प्रचानी) संताल परगना के जंगलों में आई उनसे संबंधित साक्ष्य यहाँ भरे पड़े हैं। उन पर विशेष शोध की आवश्यकता है।
पीजी इतिहास विभाग के डाॅ0 अमरनाथ झा ने कहा कि हर हालत में दुमका में अन्तर्राष्ट्रीय संग्रहालय बनना चाहिए।
डाॅ0 रेणुका नाथ इतिहास विभाग एसपी महिला काॅलेज ने कहा कि संचलन की प्रवृति मानव में आदि काल से है इसलिए इस क्षेत्र की चीजों को संकलित किया जाना चाहिए। यहाँ समृद्ध संग्रहालय होने से क्षेत्र का राजस्व बढ़ेगा और पर्यटन क्षेत्रों का विस्तार होगा।
सेवानिवृत एडीएम डाॅ0 सी0 एन मिश्रा ने कहा कि इतिहास को जानने के लिए मूर्तियों का रहना आवश्यक है।
संताल भाषा साहित्य के विद्वान एवं होड़ सोम्वाद के सम्पादक चुण्डा सोरेन सिपाही ने हिन्दी और संताली भाषा में संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि संस्कृति के विकास में संग्रहालय का बहुत महत्व है विशेष कर आदिवासी संस्कृति की समृद्धि के लिए इसका विकास किय जाना चाहिए।
शिक्षक संघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्याम किशोर सिंह गाँधी ने दुमका संग्रहालय की उपेक्षा की तरफ ध्यान आकृष्ट कराते हुए उसके विकास की माँग की।
अध्यक्षी भाषण में कला संस्कृति विभाग झारखण्ड रांची के सहायक निदेशक विजय पासवान ने अपने वक्तव्य में कहा कि संगोष्ठी में आये विचारों और सुझावों को सरकार के समक्ष रखेंगे तथा यह भी कहा कि शीघ्र ही दुमका के संग्रहालय का विकास किया जायेगा।
उक्त कार्यक्रम में रसिक बास्की के कला दल के कलाकारों ने सांस्कृति कार्यक्रम के तहत दसांय एवं बाहा नृत्य की प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम को सफल बनाने में रांची सेआये राजेश, राजू एवं जनसम्पर्क के तहत शनि परब कें संयोजक चंदन कुमार, दुमका संग्रहालय के कर्मी काॅयस तिर्की, झारखंड कला मंदिर के प्रमिला हेम्ब्रम, सोना सोरेन, सिकन्दर मरांडी आदि का योगदान सराहनीय रहा।
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