Thursday, 4 June 2015

सूचना भवन, दुमका 

प्रेस विज्ञप्ति

संख्या 134 दिनांक - 04/06/2015
दुमका दिनांक 04 जून 2015,

डाॅ0 महुआ माजी, अध्यक्ष, राज्य महिला आयोग, झारखण्ड एवं सदस्य, राज्य महिला आयोग, झरखण्ड श्रीमती शबनम परवीन एवं सुश्री किरण कुमारी आज दिनांक 04 जून 2015 को 12ः30 बजे अप0 से दुमका परिसदन में ओपन कोर्ट के द्वारा पूर्व से दर्ज केस 17 मामले तथा 10 नये मामले की सुनवाई की। अध्यक्ष सहित आयोग के सदस्यों ने दुमका सेन्ट्रल जेल के महिला वार्ड का निरीक्षण किया तथा विचाराधीन महिला बंदियों एवं सजायाफ्ता महिला कैदियों से बात की वे सदर अस्पताल दुमका में इलाज करा रही महिलाओं से भी मिली।
डाॅ0 माजी ने कहा कि प्रषासन विषेषकर पुलिस प्रषासन ऐसा हो जिसपर महिलाएँ भरोसा कर सके। महिला बाल विकास परियोजना पदाधिकारी को महिलाओं के मामले में रिपोर्ट देने के बाबत विषेष रूप से प्रषिक्षित किया जाना चाहिए।
दहेज, डायन प्रथा, बाल विवाह, कन्या भू्रण हत्या आदि मामले में अषिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी और सम्पत्ति पर अधिकार आदि बुनियादी कारण है। जनजनतीय महिलाएँ को सम्पत्ति पर उम्रभर उपभोग का अधिकार तो है किन्तु वे उसे बेचने या हस्तान्तरित करने का अधिकार नहीं रखती ऐसी स्थिति में वैधव्य झेल रही महिलाएँ या एकाकी जीवन जी रही महिलाएँ को सम्पत्ति से वंचित करने हेतु डायन जैसे आरोप लगाये जाने के आरोप आए हैं। कई मामलों में स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध नहीं रहने के कारण ओझा-गुणी या झोला छाप चिकित्सक अपनी असमानता छुपाने के लिए डायन जैसे आरोप मढ़ देते हैं। दहेज के मामलों में कई बार महिलाएँ भी गलत आरोप लगाती पाई गई हैं।
जेल में विचाराधीन महिला कैदी को सरकारी वकील से परिचय भी सालो-साल नहीं होता है और वे तारीख पर तारीख पाती जा रही हैं। ऐसे मामलों पर संवेदनषील होकर कार्रवाई करने की आवष्यकता है। महिला आयोग में महिलाओं के लिए कार्य कर रहे स्वयं सेवी संस्थाओं के कार्र्याें और भूमिका की विस्तृत जाँच कराये जाने की मांग की।
आयोग के सभी कार्यक्रम में जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, श्रीमती मनीषा तिर्की भी साथ थी।




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