Monday 6 March 2017

दुमका, 06 मार्च 2017 
प्रेस विज्ञप्ति संख्या - 134
आपदा प्रबंधन सबके सहयोग समन्वय और तत्परता से संभव...
- दिनेष चन्द्र मिश्र, आयुक्त 
संताल परगना प्रमंडल, दुमका
आपदा के दौरान नुकसान को कम करने के लिए राज्य में आपदा जोखिम न्यूनीकरण की योजनाओं को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा ये बातें आयुक्त संताल परगना प्रमंडल दिनेश चन्द्र मिश्र ने कहा. इस दो दिवसीय कार्यशाला (6 एवं 7 मार्च 2017) का उदघाटन दुमका प्रमंडल सभागार के सभागार में करने के पश्चात उन्होंने प्रतिभागियो को संबोधित करते हुए कहा कि आपदा प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे को ध्यान में रखते हुए कार्ययोजना तैयार की जानी चाहिए. कार्यशाला का उद्देश्य आपदा प्रबंधन कार्ययोजना को समयबद्ध तरीके से तैयार करना है, ताकि आपदा जोखिम न्यूनतम हो सके। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में व्यापक रूप से जलवायु परिवर्तन हो रहा है। जिसके कारण किसान जहाँ सुखाड़ की चपेट में आ रहे है, आमजन बारिश के लिए त्राहिमाम करते है, मौसम का मिजाज एकाएक बदलना आदि इसी के लक्षण है। कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए सचिव आयुक्त संताल पगरना प्रमंडल, अंजनी कुमार दुबे, कार्तिक कुमार प्रभात, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी राजू महतो एवं राजीव रंजन, डॉ. प्रवीन कुमार, सिविल सर्जन गोड्डा, शिव नारायण यादव, ने अपने विचार प्रकट किये.
आपदा जोखिम न्यूनीकरण की कार्ययोजना को तैयार करना तथा उसे चरणबद्ध तरीके से लागू करना है। भू-जलवायु परिस्थितियों के कारण भारत पारंपरिक रूप से प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील रहा है। यहां पर बाढ़, सूखा, चक्रवात, भूकंप तथा भूस्खलन की घटनाएं आम हैं। भारत के लगभग 60 प्रतिषत भू भाग में विभिन्न प्रबलताओं के भूकंपों का खतरा बना रहता है। 40 मिलियन हेक्टेर से अधिक क्षेत्र में बारंबार वाढ़ आती है। कुल 7,516 कि.मी. लंबी तटरेखा में से 5700 कि.मी. में चक्रवात का खतरा बना रहता है। खेती योग्य क्षेत्र का लगभग 68 प्रतिषत भाग सूखे के प्रति संवेदनशील है। राज्य के कई भागों में पतझड़ी व शुष्क पतझड़ी वनों में आग लगना आम बात है। आपदा प्रबंधन कार्यक्रम के तहत राज्य में प्राकृतिक आपदाओं के कुशल प्रबंध के लिए अपेक्षित आंकड़ों व सूचनाओं को उपलब्ध कराना है. 
इन्टर एजेंसी ग्रुप के संयोजक श्री सुबीर कुमार ने कार्यक्रम के उद्देश्य एवं कार्य योजना का उल्लेख करते हुए बताया की विभिन्न विभागों की भूमिका एवं सहभागिता से आपदा प्रबंधन को अच्छे तरीके से कार्यान्वित किया जा सकता है. आयोजित कार्यशाला के माध्यम से आपदा प्रबंधन के सलाहकार एवं पदाधिकारी ने प्रतिभागियों को विभिन्न प्रकार के आपदा से बचने के उपाय बताये। 
दी जानकी फाउंडेशन के संस्थापक श्री आशीष कुमार ने बताया की राज्य की 65 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर अधारित है।  कृषि सूखे का मानव जीवन व अन्य जीवों पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।  राज्य के लगभग 68 प्रतिषत भू भाग में कहीं कम तो कहीं अधिक मात्रा में सूखे का असर रहता है। इस क्षेत्र के 35 प्रतिषत भाग में 750 मि.मी. से 1125 मि.मी. तक ही वर्षा होती है अतः इसे स्थाई सूखाग्रस्त क्षेत्र माना जा सकता है। अतः झारखण्ड में महिला एवं शिशु केन्द्रित एवं जलवायु केन्द्रित आपदा प्रबंधन पर रोडमैप तैयार करना एवं उसका अनुपालन करना अति आवश्यक है.
जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के राजू महतो एवं राजीव रंजन ने आपदा के दौरान पशुधन की रक्षा के लिए विशेष कार्ययोजना तैयार करने पर बल दिया. इस कार्यक्रम में तकनीकी सत्रों के संचालन राज्य से आये वरिष्ट सलाहकार कुशल मुखर्जी, शर्ली फिल्लिप ने किया.
इस कार्यशाला में सरकारी विभाग के अलावा स्वयं सेवी संस्थाओं से कृष्णा बदलाव फाउन्डेशन, माधव जी लोकप्रेरणा, देवघर, ग्र्राम ज्योति, प्रवाह, लहान्ती दुमका के जनप्रतिनिधियों ने अपने विचार को रखते हुए इस कार्यशाला में भाग लिया।



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