दुमका, 01 मई 2017
प्रेस विज्ञप्ति संख्या - 227
बाबुलाल मुर्मू आदिवासी भारत के महान लोक साहित्यकार थे...
- मंजूरानी सिंह, प्रो0 हिन्दी विभाग विष्वभारती शांतिनिकेतन
साहित्य के क्षेत्र में प्रत्येक वर्ष आदिवासी सम्मान दिया जायेगा....
- अजय नाथ झा, उप निदेषक जनसम्पर्क संताल परगना प्रमंडल, दुमका
सिदो कान्हु मुर्मू विष्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में बाबुलाल मुर्मू आदिवासी जी के साहित्य के तुलनात्मक अध्ययन पर शोध छात्रा कंचन रानी को डाॅ आॅफ फिलाॅसफी के लिए उत्तीर्ण घोषित किया गया। इस अवसर पर आयोजित एक साहित्यिक परिचर्चा में आदिवासी जी के साहित्य पर प्रकाष डालते हुए विष्वभारती शांतिनिकेतन से हिन्दी की प्रोफेसर डाॅ मंजूरानी सिंह ने कहा कि बाबुलाल मुर्मू आदिवासी जी भारत के महान लोक साहित्यकार थे। उन्होंने कहा कि संताली साहित्य किसी भी लिपि में व्यक्त हो उसे सर्जनात्मकता के आधार पर सम्मानित किया जाना चाहिये। संताल परगना में देवनागरी लिपि में संताली साहित्य के सृजन को बढ़ावा मिलना चाहिये तथा साहित्य अकादमी एवं ज्ञानपीठ से उसे साहित्य की कसौटी के आधार पर उसका मूल्यांकन करे न कि लिपि के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव किया जाय। झारखण्ड सरकार और सिदो कान्हु मुर्मू विष्वविद्यालय को इस दिषा में पहल करनी चाहिये।
परिचर्चा में बोलते हुए सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग संताल परगना प्रमंडल के उप निदेषक अजय नाथ झा ने कहा कि लोक साहित्य में आदिवासी जी के योगदान को देखते हुए प्रत्येक वर्ष प्रमंडलीय सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग द्वारा एक साहित्यकार को आदिवासी सम्मान से सम्मानित किया जायेगा।
इस अवसर पर विजय टुडू ने कहा कि आदिवासी जी के साहित्य का विभिन्न भाषाआंे में अनुवाद होना चाहिये। डाॅ धुनी सोरेन ने कहा कि आदिवासी जी संताल संस्कृति की अस्मिता के साहित्यकार थे।
शोध छात्रा की निर्देषिका एवं गाईड डाॅ प्रमोदिनी हांसदा ने कहा कि संताली साहित्य में भाव और संवेदना अत्यन्त उत्कृष्ट कोटि के हैं। यह भाषा और साहित्य की दृष्टि से समृद्ध साहित्यों से किसी भी दृष्टि से कमतर नहीं है।
परिचर्चा में अंग्रजी विभाग के प्रो0 अच्यूत चेतन ने कहा कि युवा वर्ग को साहित्य सृजन के लिए आगे आना चाहिये। इस अवसर पर हिन्दी विभागाध्यक्ष डाॅ हेमलाल शर्मा, विनय कुमार खिरोधर प्रसाद यादव, मानविकी संकाय के टीम लक्ष्मीकान्त पाण्डेय, अंग्रजी विभाग के प्रो0 प्रषांत कुमार तथा प्रसिद्ध संगीतकार अजय राय ने भी अपने विचार प्रकट किये।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में विष्वविद्यालय के छात्र, छात्रा एवं प्राध्यापक उपस्थित थे।
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