Sunday 21 February 2016

दुमका, दिनांक 21 फरवरी 2016 प्रेस विज्ञप्ति संख्या - 071 
 सूबे का समग्र विकास सरकार की शीर्ष प्राथमिकता
 - रघुवर दास, मुख्यमंत्री झारखण्ड 
 किसी भी राज्य के समग्र विकास की ठोस बुनियाद वहाँ की आधारभूत संरचनाएँ होती है। सुगम यातायात एवं दुरस्त सड़कों का जाल इसमें पहली प्राथमिकता है। झारखंड सरकार राज्य के अंदर ही नहीं बल्कि देष के दूसरे क्षेत्रों से भी सुगम आवागमन बहाल कर विकास का मार्ग प्रशस्त करना चाहती है। मुख्यमंत्री झारखण्ड श्री रघुवर दास ने यह बातें दुमका स्थित गाँधी मैदान में 10 पथ परियोजनाओं का लोकार्पण एवं 6 पथ परियोजनाओं के शिलान्यास कार्यक्रम में अपार जन समूह को सम्बोधित करते हुए कही। मुख्य मंत्री कहा कि झारखण्ड की उप राजधानी एवं संताल परगना प्रमंडल की हृदयस्थली दुमका का संपूर्ण विकास सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है। झारखण्ड की सवा 3 करोड़ की जनता की अपेक्षाओं एवं आकांक्षाओं को पूरा करना मेरा ध्येय है। आने वाले 4 वर्षों में इसे पूरा करना सरकार की पहली प्राथमिकता है। इसी उद्देष्य से मैनें बजट बनाने से पूर्व जनता की आकांक्षाओं से अवगत होकर उसी के अनुरुप बजटीय प्रावधान किये हैं। उन्होंने राज्य की जनता से आह्वान किया कि वे सचेत रहें और विकास से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण सुझाव सरकार तक पहुँचाए। उन्होंने समाज के दबे कुचले लोगों से अपील की कि वे नषा का सेवन कर अपना जीवन बर्बाद न करें। क्योंकि नषा सम्य समाज के लिए कोढ़ है। उन्होंने बतलाया कि सत्ता का स्वरूप मनमानी का होता है। परन्तु जनता यदि सचेत और सचेष्ट रहे तो उसके मनमानी पर अंकुष लगाया जा सकता है। शुरुआत अच्छी है तो अंजाम भी अच्छा ही होगा। सरकार को सफल करने के लिए जन भागीदारी आवष्यक है। जनता सिर्फ वोट डाल कर अपनी जिम्मेदारी का इतिश्री न समझे। मुख्यमंत्री ने गाँधी जी के स्वच्छ भारत के सपनें को पूरा करने तथा प्रधानमंत्री श्री नरेद्र मोदी के संकल्प को पूरा करने हेतु आम जनों से अपील की। उन्होंने बतलाया की स्वच्छता का सम्बंध न सिर्फ अच्छे स्वास्थ्य से है बल्कि इसका आर्थिक पक्ष भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने आने वाले समय में दुमका में जल निकासी तथा कचरा प्रबंधन व्यवस्था को मजबूत करने हेतु अपनी सरकार द्वारा हर संभाव प्रयास किये जाने की बात कही। उन्होंने बतलाया कि वर्तमान सरकार ने 17 हजार षिक्षकों कि बहाली की है तथा अगले छः महीने में 18 हजार षिक्षकों की बहाली की जाएगी। स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार हेतु उन्होंने बतलाया कि बी.एस.सी पास बच्चों को तीन वर्ष का डिप्लोमा कोर्स कराकर उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में नियुक्त किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने बतलाया कि नारी अबला नही सबला है। खासकर हमारे झारखण्ड की महिलाओं पर यह बात बिल्कुल सटीक बैठती है। महिलायें अत्यंत मेहनती होने के साथ-साथ उनमें अपार सहनषक्ति होती है। उन्होंने बतलाया कि महिलाओं के सर्वांगीण विकास हेतु वर्ष 2016-17 के बजट में 43 प्रतिषत राषि निर्धारित की गई है। उन्होंने सूबे की महिलाओं से अपील की कि झारखण्ड को नषामुक्त बनायें। उन्होंने कहा कि प्रत्येक नषामुक्त गाँवों को 1 लाख रू0 पुरस्कार स्वरूप दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासियों के विकास के लिए सरकार ने आदिवासी विकास परिषद का गठन किया है। राज्य सरकार बेरोजगार आदिवासी नौजवानों को स्वरोजगार करने के लिए 2 लाख रू0 तक का ऋण देगी। मुख्यमंत्री ने बतलाया कि राज्य में लगभग 5000 कुपोषण सखी की नियुक्ति की गई है जो घर-घर जाकर कुपोषित बच्चों के बारे में जानकारी एकत्र कर संबंधित परिवार को अपने बच्चों को कुपोषण से मुक्त रखने हेतु उचित सलाह भी देंगी। पृष्ठ संख्या - 2 अपने स्वागत संबोधन में अपर सचिव पथ निर्माण विभाग झारखण्ड राजबाला वर्मा ने आगन्तुकों का स्वागत करते हुए कहा कि अच्छी सड़कों से राज्य की अर्थव्यवस्था में 17 से 18 प्रतिषत का योगदान होता हैं। सरकार का मुख्य जोर ग्रामीण क्षेत्रों को मुख्यालय, मुख्यालय को राज्य की राजधानी, तथा विभिन्न प्रमुख नगरों को अन्य राज्यों की सीमाओं से जोड़ने का है। पूरे देष में प्रति 1000 वर्ग किलोमीटर पर 182 किलोमीटर सड़के हैं, जबकि झारखण्ड में बहुत कम समय में ही राष्ट्रीय औसत के बराबर प्रति 1000 वर्गकिलोमीटर पर 180 किलोमीटर सड़के हैं। राज्य ने 1 वर्ष में लगभग आठ सौ किलोमीटर सड़के बनवाई हैं। पथ निर्माण विभाग आने वाले समय में पूरे राज्य में सड़कों का नया जाल बिछायेगी। कार्यक्रम में मंत्री समाज कल्याण डाॅ0 लुईस मरांडी, गोड्डा के सांसद निषिकान्त दुबे, नगर पर्षद अध्यक्ष अमिता रक्षित ने भी संबोधित किया तथा संताल परगना के समग्र विकास हेतु मुख्यमंत्री को कई गम्भीर सुझाव दिये। जो संताल परगना के विकास को गति देने में सहायक होगी। जिन योजनाओं का लोकार्पण किया जा रहा है उसकी विशेशतायें निम्न हैं। 1. पत्ताबाड़ी - मसानजोर पथ (पथ की लम्बाई 14.70 कि.मी.) यह पथ राष्ट्रीय उच्च पथ संख्या 114ए के 15वें कि.मी. से प्रारंभ होकर पथ के 15वें कि.मी. में मसानजोर डैम, जो पर्यटन की दृष्टिकोण से दर्शनीय स्थल हैै, तक जाती है तथा रानीबहाल - महेशखाला (पश्चिम बंगाल राज्य सीमा) तक जानेवाली पथ को संपर्क प्रदान करती है। यह पथ पत्ताबाड़ी, इंदरबनी, चकलता, पहरूडीह, कीताडीह, बाघनल, बसमत्ता, जीतपुर, दरबारपुर, झाझापाड़ा आदि गाँँवों होकर मसानजोर तक जाती है। यह पथ व्यवसायिक दृष्किोण से भी काफी महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि सघन खनन क्षेत्र से गुजरने वाली दुमका-रामपुरहाट पथ के विकल्प के तैार पर इसका उपयोग होता है। यह पथ आदिवासी एवं अत्यन्त पिछड़े वर्ग बाहुुल्य क्षेत्र के लोगों के लिए जिला मुख्यालय आने के लिए महत्त्वपूर्ण पथ है। इस मार्ग में पहाडि़या आदिम जनजाति की भी पर्याप्त आबादी हैै। इस पथ की चैड़ाई 7 मीटर है। 2. शिवपहाड़ चैक - गिधनी पहाड़ी - सगरभंगा - गोबरधना - चाँदनीचैक - धनबाड़ी - झिलीमिली - शहरजोरी हटिया पथ (पथ की लम्बाई 25.90 कि.मी.) शिवपहाड़ चैक-शहरजोरी हटिया पथ दुमका - साहेबगंज पथ के 2रें कि.मी. से प्रारंभ होकर काठीकुण्ड - शिकारीपाड़ा पथ के 5वें कि.मी. में शहरजोरी हटिया के पास अंत होती है। यह गधनीपहाड़ी, सगरभंगा, धोबना, चाँदनीचैक धनबाड़ी, झिलीमिली एवं शहरजोरी आदि गाँवों से गुुजरती है। इस पथ का अधिकांश भाग नक्सल प्रभावित क्षेत्र से गुजरने के कारण प्रशासनिक दृष्टिकोण तथा पत्थर, बालू आदि खनन सामग्रियों के परिवहन की दृष्टिकोण से भी यह पथ काफी महत्वपूर्ण है। यह पथ सुदूर ग्रामीणों के लिए आवागमन के दृष्टिकोण तथा आदिवासी एवं अत्यन्त पिछड़े वर्ग बाहुुल्य क्षेत्र के लोगों के लिए जिला मुख्यालय आने के लिए काफी महत्त्वपूर्ण पथ है। इस मार्ग में पहाडि़या आदिम जनजाति की पर्याप्त आबादी हैै। सूदूर गाँवों से कृषि उत्पाद को दुमका शहर तक लाने के लिए यह पथ काफी मितव्ययी साबित हो रहा है। इस पथ की चैड़ाई 5.5 मीटर है। 3. दोंदिया-गुजिसेमल पथ (पथ की लम्बाई 17.365 कि.मी.) यह पथ दुमका - साहेबगंज पथ के 12वें कि.मी. से प्रारंभ होकर दुमका - रामपुरहाट पथ के 12वें कि.मी. में गुजीसीमल के पास अंत होती है। यह दोंदिया, लेटो, राजबाँध, आसनमनी, बड़तल्ली, गांदो, शहरघाटी, लकडा एवं गुुजीसीमल आदि गाँवों से गुुजरती है। इस पथ का अधिकांश भाग नक्सल प्रभावित क्षेत्र से गुजरने के कारण प्रशासनिक दृष्टिकोण एवं पत्थर, बालू आदि खनन सामग्रियों के परिवहन की दृष्टिकोण से भी यह पथ काफी महत्वपूर्ण है। यह पथ सुदूर ग्रामीणों के लिए आवागमन की दृष्किोण से एवं आदिवासी एवं अत्यन्त पिछड़े वर्ग बाहुुल्य क्षेत्र के लोगों के लिए जिला मुख्यालय आने के लिए काफी महत्त्वपूर्ण पथ है। इस मार्ग में पहाडि़या आदिम जनजाति की पर्याप्त आबादी हैै। सुदूर गाँवों से कृषि उत्पाद को दुमका शहर तक लाने के लिए यह पथ काफी मितव्ययी साबित हो रहा है। इस पथ की चैड़ाई 5.5 मीटर है। 4. रानीबहाल - महेशखाला पथ (पथ की लम्बाई 19.137 कि.मी.) यह पथ मसानजोर डैम (रानीबहाल) से प्रारंभ होकर महेशखाला (पश्चिम बंगाल राज्य सीमा) तक संपर्क प्रदान करती है। यह अंतर्राज्यीय पथ है। यह पथ व्यवसायिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि सघन खनन क्षेत्र से गुजरने वाली दुमका - रामपुरहाट पथ के विकल्प के तैार पर इसका उपयोग होता है। यह पथ बंदरकोदा, रानीबहाल, मुड़जोड़ा, शादीपुर, तकीपुर, रघुनाथपुर, रानेश्वर, सुखजोड़ा, कुमीरदाहा, महेशबथान, पथरा, महेशखाला आदि गाँवों होकर गुजरती है। यह पथ आदिवासी एवं अत्यन्त पिछड़े वर्ग बाहुुल्य क्षेत्र के लोगों के लिए जिला मुख्यालय आने के लिए भी महत्त्वपूर्ण पथ है। सूदूर गाँवों से कृषि उत्पाद को दुमका शहर एवं पश्चिम बंगाल राज्य के सिउड़ी जिला मुख्यालय तक परिवहन के लिए यह पथ काफी मितव्ययी साबित हो रहा है। कोलकत्ता पोर्ट तक सड़क मार्ग से माल परिवहन के लिए भी यह मार्ग सर्वोत्तम साबित हो रहा है। इस पथ की चैड़ाई 7 मीटर है। 5. सुड़ीचुआँ से मलूटी पथ (पथ की लम्बाई 6.35 कि.मी.) यह पथ राष्ट्रीय उच्च पथ संख्या 114ए के 49वें कि.मी. से प्रारंभ होकर धार्मिक आस्था का प्रसिद्ध मलूटी स्थित माँ मौलिक्ष्या देवी की मंदिर से होते हुए पश्चिम बंगाल राज्य सीमा तक जाकर अंत होती हैै। माँ मौलिक्ष्या देवी को तारापीठ स्थित सिद्धपीठ माँ तारा देवी की बड़ी बहन कही जाती है। यह पथ सुड़ीचुआँ, सिजुआ, चाँदपुर, घटकपुर एवं मलूटी आदि गाँवो से होकर गुजरती है। टेराकोटा टाइल्स से निर्मित अति प्राचीन 108 मंदिरों का गाँव मलुटी होकर यह पथ गुजरती है, जो पर्यटन की दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है। यह पथ व्यवसायिक दृष्टिकोण से भी महत्त्वपूर्ण है क्यांेकि यह सघन खनन क्षेत्र से गुजरने वाली पथ भी है। गाँवों केे कृषि उत्पाद को दुमका शहर एवं पड़ोसी राज्य के हाट-बाजार तक आवागमन के लिए यह पथ काफी मितव्ययी साबित हो रहा है। यह पथ आदिवासी एवं अत्यन्त पिछड़े वर्ग बाहुुल्य क्षेत्र के लोगों के लिए जिला मुख्यालय आने के लिए भी महत्त्वपूर्ण है। इस पथ की चैड़ाई 7 मीटर है। 6. काठीकुण्ड - शिकारीपाड़ा पथ (पथ की लम्बाई 16.45 कि.मी.) यह पथ दुमका - साहेबगंज पथ के 25वें कि.मी. से प्रारंभ होकर दुमका - रामपुरहाट पथ के 27वें कि.मी. के पास अंत होती है, काठीकुण्ड, शहरजोरी, आमगाछी, भुगतानडीह एवं शिकारीपाड़ा आदि गाँवों से गुुजरती है। यह पथ नक्सल प्रभावित क्षेत्र से गुजरने के कारण प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। खनन माल परिवहन के दृष्टिकोण से यह पथ महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इसे दुमका - रामपुरहाट पथ एवं दुमका - काठीकुण्ड पथ के वैकल्पिक मार्ग के रूप में भी उपयोग किया जाता है। यह पथ सुदूर ग्रामीणों के लिए आवागमन की दृष्टिकोण से भी महत्त्वपूर्ण हैं। यह पथ आदिवासी एवं अत्यन्त पिछड़े वर्ग बाहुुल्य क्षेत्र के लोगों के लिए जिला मुख्यालय, शिकारीपाड़ा प्रखंड एवं काठीकुंड प्रखंड आने-जाने केे लिए काफी महत्त्वपूर्ण पथ है। इस मार्ग में पहाडि़या आदिम जनजाति की पर्याप्त आबादी हैै। इस पथ की चैड़ाई 7.0 मीटर है। 7. बुटबेरिया - मुर्गाबनी - पष्चिम बंगाल की सीमा पथ (पथ की लम्बाई 18.95 कि.मी.) यह पथ रघुनाथपुर - बरमसिया पथ के 19वें कि.मी. से प्रारंभ होकर कुलकुलीडंगाल स्थित पश्चिम बंगाल राज्य सीमा पर अंत होती है तथा बुटबेरिया, सरसाजोल, कोलपाड़ा, पलासी, दलदली, कुलकुलीडंगाल आदि गाँवों से गुुजरती है। यह पथ नक्सल प्रभावित क्षेत्र से गुजरने के कारण प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी महत्त्वपूर्ण हैं। खनन माल परिवहन की दृष्टिकोण से भी यह पथ काफी महत्त्वपूर्ण हैं। गाँवों केे कृषि उत्पाद को दुमका शहर एवं पड़ोसी राज्य के हाट-बाजार तक आवागमन के लिए यह पथ मितव्ययी साबित हो रहा है। यह पथ सुदूर ग्रामीणों के लिए आवागमन की दृष्टिकोण से भी काफी महत्त्वपूर्ण हैं। यह पथ आदिवासी एवं अत्यन्त पिछड़े वर्ग बाहुुल्य क्षेत्र के लोगों के लिए जिला मुख्यालय आने का काफी महत्त्वपूर्ण पथ है। इस पथ की चैड़ाई 5.5 मीटर है। 8. ठाढ़ीमोड़ - कनहेरा - बन्दरजोरी - सिन्दुरिया पथ (पथ की लम्बाई 12.620 कि.मी.) यह पथ ठाढ़ीहाट से प्रारंभ होकर चन्द्रदीप-मोहनपुर पथ के 11वें कि.मी. के पास अंत होती है तथा कनहेरा, बन्दरजोरा, नौखेता, सिंदुरिया आदि गाँवों से गुुजरती है। यह पथ नक्सल प्रभावित क्षेत्र से गुजरने के कारण प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। गाँवों केे कृषि उत्पाद को दुमका शहर एवं नजदीकी हाट-बाजार तक आवागमन के लिए यह पथ काफी मितव्ययी साबित हो रहा है। यह पथ सुदूर ग्रामीणों के लिए आवागमन की दृष्टिकोण से भी महत्त्वपूर्ण हैं। यह पथ आदिवासी एवं अत्यन्त पिछड़े वर्ग बाहुुल्य क्षेत्र के लोगों के लिए जिला मुख्यालय आने-जाने का महत्त्वपूर्ण पथ है। बड़ा पलासी से ठाढ़ी मोड़ पथ में पड़ने वाले तातलोई गर्म कुंड का झरना तथा बासलोई नदी के तट पर पिकनिक स्पाॅट तक आवागमन के लिए यह पथ काफी सुविधाजनक साबित हो रहा है। बड़ा पलासी से ठाढ़ी मोड़ पथ को भी ग्रामीण कार्य विभाग से अधिग्रहण कर इसके चैड़ीकरण एवं मजबूतीकरण की दिशा में सरकार द्वारा कारवाई की जा रही है। इस पथ की चैड़ाई 5.5 मीटर है। 9. रामगढ़़ से हँसडीहा पथ (पथ की लम्बाई 19.80 कि.मी.) यह पथ गोड्डा - रामगढ ़- गुुहियाजोरी पथ के 36वें कि.मी. से प्रारंभ होकर पथ के दुमका - हँसडीहा पथ के 41वें कि.मी. के पास अंत होती है तथा रामगढ़, सारमी, मोहनपुर, राजबाँध, केनखपरा, पिंडारी, हाटगम्हरिया, सेजापहाड़ी, सतरला, परमा, सिलठा आदि गाँवों से गुुजरती है। यह पथ नक्सल प्रभावित क्षेत्र से गुजरने के कारण प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। यह पथ सुदूर ग्रामीणों के लिए आवागमन की दृष्टिकोण से भी महत्त्वपूर्ण हैं। गाँवों केे कृषि उत्पाद को दुमका शहर एवं नजदीकी हाट-बाजार तक आवागमन के लिए यह पथ काफी मितव्ययी साबित हो रहा है। यह दो अतिमहत्वपूर्ण एवं लंबे पथ गोड्डा-रामगढ़-गुहियाजोरी पथ एवं रामपुरहाट-दुमका-हँसडीहा- भागलपुर पथ को जोड़ने वाली पथ होने के कारण काफी जनोपयोगी साबित हो रहा है। यह पथ आदिवासी एवं अत्यन्त पिछड़े वर्ग बाहुुल्य क्षेत्र के लोगों के लिए दुमका जिला मुख्यालय, बाबा बासुकीनाथ धाम, बाबा बैद्यनाथ धाम, जसीडीह रेलवे स्टेशन, रामगढ़ प्रखंड एवं हँसडीहा थाना आने-जाने के लिए काफी महत्त्वपूर्ण पथ है। इस पथ की चैड़ाई 5.5 मीटर है। 10. अम्बाझरी - मंगलपुर - झीलमीली - ढाका - करमाटांड पथ (पथ की लम्बाई 16.25 कि.मी.) यह पथ दुमका-साहेबगंज पथ के 19वें कि.मी. से प्रारंभ होकर दुमका - रामपुरहाट पथ के 22वें कि.मी. के पास अंत होती है तथा आमझरी, मंगलपुर, करनपुरा, बाघाशोला, कोलहा, झिलीमिली, ढाका, सिमरा, करमाटाँड़ आदि गाँवों से गुुजरती है। यह पथ नक्सल प्रभावित क्षेत्र से गुजरने के कारण प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। खनन माल परिवहन के दृष्टिकोण से भी यह पथ काफी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इसे दुमका - रामपुरहाट पथ एवं दुमका - काठीकुण्ड पथ के वैकल्पिक मार्ग के रूप में भी उपयोग किया जाता है। यह पथ सुदूर ग्रामीणों के लिए आवागमन की दृष्टिकोण से भी काफी महत्त्वपूर्ण हैं। गाँवों केे कृषि उत्पाद को दुमका शहर एवं नजदीकी हाट-बाजार तक आवागमन के लिए यह पथ काफी मितव्ययी साबित हो रहा है। यह पथ आदिवासी एवं अत्यन्त पिछड़े वर्ग बाहुुल्य क्षेत्र के लोगों के लिए जिला मुख्यालय, काठीकुंड प्रखंड एवं शिकारीपाड़ा प्रखंड आने-जाने का काफी महत्त्वपूर्ण पथ है। इस पथ की चैड़ाई 5.5 मीटर है। सड़कें जिसका शिलान्यास किया गया है उसकी विशेषतायें निम्न हैं:- 1. दुमका रिंग रोड पथ (पथ की लम्बाई 7.35 कि.मी.) यह पथ दुमका - साहेबगंज पथ के 3रें कि.मी. से प्रारंभ होकर दुमका - रामपुरहाट पथ के 6ठें कि.मी. के पास अंत होती है तथा श्रीअमड़ा, जोगीडीह, कोदोखीचा, बाघडुब्बी, आंदीपुर, खेरबनी, कुरूवा-रामपुर आदि गाँवों से गुुजरती है। यह पथ दुमका शहर का बाईपास पथ है। वर्तमान में दुमका शहर से होकर हजारों की संख्या में व्यवसायिक वाहनों के आवागमन से जान-माल की हानि की आशंका बनी रहती है। खनन माल परिवहन के दृष्टिकोण से यह पथ काफी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इसे दुमका-रामपुरहाट पथ एवं दुमका-काठीकुण्ड पथ के वैकल्पिक एवं संपर्क मार्ग के रूप में भी उपयोग किया जायगा। यह पथ सुदूर ग्रामीणों के लिए आवागमन की दृष्टिकोण से भी महत्त्वपूर्ण हैं। गाँवों केे कृषि उत्पाद को दुमका शहर एवं नजदीकी हाट-बाजार तक आवागमन के लिए यह पथ काफी मितव्ययी साबित होगा। यह पथ आदिवासी एवं अत्यन्त पिछड़े वर्ग बाहुुल्य क्षेत्र के लोगों के लिए जिला मुख्यालय आने का महत्त्वपूर्ण पथ है। इस पथ की प्रस्तावित चैड़ाई 7.0 होगी। 2. आसनसोल - चकलता पथ का चैड़ीकरण एवं मजबूतीकरण कार्य (पथ की लम्बाई 13.800 कि.मी.) यह पथ दुमका - हवाईअड्डा पथ के 4थें कि.मी. से प्रारंभ होकर पत्ताबाड़ी - मसानजोर पथ के 3रें कि. मी. के पास अंत होती है तथा आसनसोल, मुड़ाबहाल, धधकिया, बासजोरा, गमरा, गंदरकपुर, चकलता आदि गाँवों से गुुजरती है। यह पथ मसानजोर डैम जैसे पर्यटन स्थल एवं पश्चिम बंगाल स्थित सिउड़ी जाने के लिए दुमका-रामपुरहाट पथ एवं पत्ताबाड़ी - मसानजोर पथ का वैकल्पिक मार्ग होगा। इस पथ के निर्माण से मयुराक्षी नदी के जल-ग्रहण क्षेत्र एवं मसानजोर जलाषय क्षेत्र में बसने वाले ग्रामीणों के लिए जीवन-रेखा साबित होगा। यह पथ सुदूर ग्रामीणों के लिए आवागमन की दृष्टिकोण से भी काफी महत्त्वपूर्ण हैं। गाँवों केे कृषि उत्पाद को दुमका शहर एवं नजदीकी हाट-बाजार तक आवागमन के लिए यह पथ काफी मितव्ययी साबित होगा। यह पथ आदिवासी एवं अत्यन्त पिछड़े वर्ग बाहुुल्य क्षेत्र के लोगों के लिए जिला मुख्यालय आने का काफी महत्त्वपूर्ण पथ है। इस मार्ग में पहाडि़या आदिम जनजाति की भी पर्याप्त आबादी हैै। इस पथ की प्रस्तावित चैड़ाई 7.0 होगी। 3. मुड़ाबहाल - मकरपुर पथ का निर्माण कार्य (पथ की लम्बाई 6.35 कि.मी.) यह पथ आसनसोल - चकलता पथ के 5वें कि.मी. से प्रारंभ होकर सितपहाड़ी - सिगड़ीहड़को पथ के 12वें कि.मी़ के पास अंत होती है तथा मुड़ाबहाल, केन्द्रपानी, नयाडीह, जामदली, कुमड़ाबाद, मकरमपुर आदि गाँवों से गुुजरती है। यह पथ सुदूर ग्रामीणों के लिए आवागमन की दृष्टिकोण से भी महत्त्वपूर्ण हैं। गाँवों केे कृषि उत्पाद को दुमका शहर एवं नजदीकी हाट-बाजार तक आवागमन के लिए यह पथ काफी मितव्ययी साबित होगा। यह पथ आदिवासी एवं अत्यन्त पिछड़े वर्ग के बाहुुल्य क्षेत्र के लोगों के लिए जिला मुख्यालय आने का महत्त्वपूर्ण पथ साबित होगा। यह पथ मसानजोर डैम जैसे पर्यटन स्थल एवं पश्चिम बंगाल स्थित सिउड़ी जाने के लिए आसनसोल-चकलता पथ से मुड़ाबहाल में धधकिया चैक के पास मिलती है। मसलिया प्रखंड अंतर्गत सितपहाड़ी-सिग्रीहरको पथ को आसनसोल - चकलता पथ से जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण पथ है। मरकरमपुर एवं गिर्द-गिर्द के नक्सल प्रभावित क्षेत्र तक प्रशासन की शीघ्र पहुँच के लिए भी यह पथ काफी सुविधाजनक एवं नजदीक साबित होगी। इस पथ की प्रस्तावित चैड़ाई 5.5 मीटर होगी। 4. श्रीअमड़ा - गोलपुर एंव सिद्धो कान्हू विष्वविधालय के लिंक पथ का निर्माण कार्य (पथ की लम्बाई 11.30 कि.मी.) यह पथ दुमका - साहेबगंज पथ के 3रें कि.मी. से प्रारंभ होकर शिवपहाड़ -शहरजोरी पथ के 7वें कि.मी. के पास अंत होती है तथा श्रीअमड़ा, दिग्घी, चाँदोपानी, उपरमुर्गाथली, हेटमुर्गाथली, गोलपुर, सागबैहरी आदि गाँवों से गुुजरती है। इसमें सिद्धो कान्हू मुर्मूू विश्वविद्यालय का लिंक पथ भी समाहित है। संथाल परगना प्रमंडल के एक मात्र विश्वविद्यालय एवं मेडिकल काॅलेज के लिए दोहरी लेन पथ की सुविधा प्राप्त होगी। यह पथ आदिवासी एवं अत्यन्त पिछड़े वर्ग बाहुुल्य क्षेत्र के लोगों के लिए जिला मुख्यालय आने का महत्त्वपूर्ण पथ है। गाँवों केे कृषि उत्पाद को दुमका शहर एवं नजदीकी हाट-बाजार तक आवागमन के लिए यह पथ मितव्ययी साबित होगा। यह पथ नक्सल प्रभावित क्षेत्र से गुजरने के कारण प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इस मार्ग में पहाडि़या आदिम जनजाति की बहुलता हैै। पहाडि़या जनजाति के छात्र-छात्राओं को दुमका शहर आकर समुचित शिक्षा प्राप्त करने में यह पथ काफी सहायक होगा। वर्तमान सरकार के शपथ ग्रहण के बाद माननीय मुख्यमंत्री द्वारा हेटमुर्गाथली गाँव में पहाडि़या समुदाय के ग्रामीणों के बीच जाकर विकास एवं स्वालंबन की ज्योंति जलाने के प्रयास क्रम में इस पथ के निर्माण की घोषणा वर्ष 2015 में की गई थी, जो अब मूर्तरुप लेने जा रहा है। यह सरकार के स्तर से गरीब, उपेक्षित एवं आदिम जनजातीय समुदाय के प्रति कल्याणकारी कदम का सार्थक प्रयास है। इस पथ की प्रस्तावित चैड़ाई 7.0 मीटर होगी। 5. दुमका - मसालिया - कुंडहित - नाला पथ (पथ की लम्बाई 53.355 कि.मी.) यह पथांष दुमका-मसालिया -कुंडहित-नाला पथ के 13वें कि.मी. से प्रारम्भ होकर 67वें कि.मी. पर समाप्त होता है। इस पथ का प्रारंभिक 13 कि.मी. पथांष ए.डी.बी. फेज-1 (गोविदन्दपुर-साहेबगंज पथ) परियोजना का अंष है तथा यह भाग निर्माणाधीन है। पथ की कुल लंबाई 53.355 कि.मी. में से 20 कि.मी. दुमका जिला तथा षेष जामताड़ा जिला में स्थित है। यह पथ आदिवासी एवं अत्यन्त पिछड़े वर्ग बाहुुल्य क्षेत्र के लोगों के लिए जिला मुख्यालय आने का महत्त्वपूर्ण पथ है। इस पथ के निर्माण से भागलपुर, रामपुरहाट से आसनसोल तक दुमका जिला होते हुए आवागमन बेहतर होगा। इस पथ की प्रस्तावित चैड़ाई 10 मीटर है। 6. दुमका - हंसडीहा तक बिहार सीमा पथ (पथ की लम्बाई 44.200 कि.मी.) विषयगत परियोजना एस एच-17 पथ का अंष है। यह पथ दुमका के पास महारो मोड़ के 7वें कि.मी. से शुरू होता है एवं बिहार सीमा के 52वें कि.मी. तक बारापलासी, नोनीहाट और हॅसडीहा के अन्य क्षेत्रों से होते हुए जाती है। यह पथ हॅसडीहा से बांका का सम्पन्न पथ है। यह पथ बिहार में एस एच-19 के रूप में आरंभ होकर झारखंड में एस एच-17 में परिवर्तित हो जाती है। यह पथ 4 किमी० को छोड़कर दुमका जिले में पूरी तरह से निहित है। एस एच-17 पथ दुमका, जामा, जरमुण्डी, रामगढ़ ओैर सरैया के पांच ब्लाकों और गोड्डा के एक ब्लाकों से होकर जाती है । इस तरह पथ की कुल लंबाई 44.2 किमी है। यह झारखंड के दुमका और बिहार के भागलपुर का एक महत्वपूर्ण पथ माना जाता है। दुमका-भागलपुर ही नहीं अपितु पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर तक के रास्ते को सुगम बनाता है। इस पथ की प्रस्तावित चैड़ाई 10 मीटर है। इन सड़कों के माध्यम से यहाँ के आवागमन के साथ पर्यटन एवं औद्योगिक विकास को बल मिलेगा। क्षेत्र के आर्थिक व समाजिक परिवेष में आमूलचूल बदलाव होगा। पथ निर्माण विभाग के माध्यम से बनने वाली सड़कें अच्छी एवं उच्च गुणवत्ता की हो, इसके लिए जन सहयोग अत्यंत जरूरी पहलू है। तीव्र विकास की प्रक्रिया में जन सहयोग अपेक्षित है। आने वाले दिनों में पथ निर्माण विभाग की कई महती परियोजनाएँ धरातल पर उतरेगंी जो संतालपरगना को अलग पहचान देगी। लोकार्पण एवं शिलान्यास कार्यक्रम में डाॅ0 लुइस मरांडी माननीय मंत्री, अपर सचिव पथ निर्माण विभाग झारखण्ड सरकार श्रीमती राजबाला बर्मा, मुख्य अभियंता पथ निर्माण विभाग रासबिहारी सिंह, डी. आई. जी. संथाल परगना प्रमण्डल दुमका श्री देव बिहारी शर्मा, सांसद निषिकान्त दुबे, उपायुक्त दुमका श्री राहुल कुमार सिन्हा, पुलिस अधीक्षक दुमका श्री विपुल शुक्ला, माननीय विधायक जरमुण्डी श्री बादल पत्रलेख एवं नगर परिषद अध्यक्ष श्रीमती अमिता रक्षित की गरिमामय उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। 

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