Thursday, 25 February 2016

दुमका, दिनांक 24 फरवरी 2016
प्रेस विज्ञप्ति संख्या - 076 

नषापान सभ्य समाज के लिए अभिषाप
अजय नाथ झा, उपनिदेषक जनसम्पर्क 

नषा कई प्रकार की सामाजिक बुराईयों को जन्म देता है। समाज के बेहतरी के लिए पूर्णतया नषा मुक्त होना निहायत ही आवष्यक है। झारखण्ड को नषामुक्त करने के लिए सरकार पूरी तरह कृतसंकल्प है। तथा इसके लिए कई प्रकार के कार्यक्रम संचालित कर रही है। उपनिदेषक जनसम्पर्क अजय नाथ झा ने राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव 2016 में भीतरी कला मंच पर दिसोम मरांग बुरू युग जाहेर आखाड़ा दुमका द्वारा मधपान विषय पर आयोजित परिचर्चा में बतौर मुख्य अतिथि यह बात कही। उन्होंने बतलाया कि महिलाएँ एवं युवा अपने गाँव और पंचायत को नषामुक्त करने हेतु आगे आएँ। महिलायें स्वयं सहायता समूह तैयार कर अपना एक विकल्प तैयार करें तथा महुआ, हडि़या आदि बेचने का कार्य समाप्त करें। सरकार इस समूह को मदद करेगी। विडम्बना है कि जो नषा बेचती हैं उसी के कुप्रभाव का स्वयं षिकार भी होती हैं। झारखण्ड सरकार ने प्रत्येक नषामुक्त गाँव को एक लाख रूपया बतौर पुरस्कार देने की घोषणा की हैं। इसके अलावा मधपान को छोड़कर स्वरोजगार करने वाले लोगों को विषेष रूप से प्रोत्साहित कर रही है। इसके अलावा अन्य वक्ताओं ने कहा कि नषापान से  जितनी जल्दी हो हमें मुक्ति पा लेनी चाहिए। इससे न केवल स्वास्थ खराब होता है बल्कि आर्थिक रूप से भी यह हमें कमजोर बनाता है। समाज में इसके कारण से कई प्रकार की समस्याएँ जन्म लेती है। जनजातीय समाज के पिछड़ेपन के मूल में मधपान ही है। वक्ताओं में मुख्य रूप से धुनीराम सोरेन, सिधो हेम्ब्रम, ई0जे0 सोरेन, आर0 मुर्मू, अलकाजारी मुर्मू, सुषील हाॅसदा, सनातन किस्कू, पीटर हेम्ब्रम, सीताराम सोरेन, एलियन हाॅसदा इसका टुडू, सुभाष हेम्ब्रम, जूलियस हेम्ब्रम तथा सुषीला मराण्डी आदि ने अपने विचार प्रकाट किये। कार्यक्रम का संचालन झारखण्ड कलाकेन्द्र के प्राचार्य गौरकान्त झा ने की। इस अवसर पर षिक्षक मदन कुमार, मनोज कुमार घोष, सुरेन्द्र नारायण यादव, सचिदानन्द सोरेन, अनिल मराण्डी आदि उपस्थित थे। परिचर्चा के बाद मधनिषेध पर नाटक भी प्रस्तुत किया गया।



No comments:

Post a Comment