दुमका, दिनांक 26 फरवरी 2016
प्रेस विज्ञप्ति संख्या - 088
बाहरी कला मंच पर षिव और पार्वती के भक्तिमय नृत्य को देखकर उस समय सम्पूर्ण हिजला मेला के दर्षक भक्ति रस मेें डूब गए जब परिहस्त कत्थक संस्थान देवघर से आए कलाकार संजीव परिहस्त ने भगवान षिव और मनीषा बेसरा ने माँ पार्वती का रूप धारण कर प्राचीन भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैली कत्थक का प्रदर्षन किया। कलाकार शेभा अर्ध, प्रतिमा हाँसदा, गंगा दुलारी मुर्मू, कृषि वत्स, भामिणी रक्षिता मुर्मू, मधुमंगल नाथ आदि द्वारा गाये गये गीत एवं नृत्य की भाव भंगिमाएँ दर्षकों को कैलाष पर्वत पर साक्षात् षिव एवं पार्वती के युगल नृत्य का दर्षन का अनुभव करा रहे थे। तबले पर कुबेर झा द्वारा बजाया गया ढेका एवं टुकड़ा गीत एवं संगीत में प्राण फंूक रहे थे।
बाहरी कलामंच पर ही राजकीय कलादल मानभूम छऊ कला केन्द्र सिल्ली द्वारा प्रस्तुत पाता/नटवा नृत्य भी दर्षकों के लिए मनोरंजन का एक विषेष अवसर था। नृत्य नाटिका के माध्यम से इसमें दर्षाया गया कि किस प्रकार भगवान परषुराम अपनी माँ की हत्या होने के पश्चात् भगवान षिव से मिलने कैलाष पर्वत्त जाते हैं। जहाँ मुख्य द्वार पर कात्र्तिक, गणेष और नन्दी उन्हें अन्दर जाने से रोकते हैं। फलतः महायुद्ध होता है। अन्ततः सबको परास्त कर परषुराम भगवान षिव का दर्षन प्राप्त कर मातृहत्या के महापाप से मुक्ति पाते हैं। इस कलादल के कलाकार क्रमषः सत्यनारायण पुरान, आन्द्र करमाली, हरिहर घटवार, जीतेन्द्र घटवार, दीपक करमाली आदि के द्वारा प्रस्तुत छऊ नृत्य ने दर्षकों को काफी प्रभावित किया।
रात्रि 9 बजे से भीतरी कलामंच पर आदिवासी कल्याण छात्रावास 5 के नाट्यकला के कलाकारों द्वारा सुन्दर पटकथा, अच्छे डाॅयलाग, बेहतरीन साज-सज्जा, सषक्त निर्देषन एवं शानदार अभिनय से सजा नाटक देर रात्रि तक दर्षकों को रोमांचित करता रहा।
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