दिनांक-2 नवंबर 2022
प्रेस विज्ञप्ति संख्या-1313
राजकीय पुस्तकालय दुमका में रेव. पी ओ बोडिंग मेमोरियल संथाली लिटरेचर फेस्टिवल का आयोजन किया गया।इस आयोजन में देश विदेश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले संथाली समाज तथा साहित्य से जुड़े लोगों ने भाग लिया तथा संथाली भाषा के उत्थान में पीओ बोडिंग के योगदान के संबंध में अपने अपने विचारों को रखा।
प्रथम सत्र "रेव. पी ओ बोडिंग-सेवा का जीवन" पर केंद्रित था।
प्रथम सत्र में डॉ डबलू सोरेन,प्रमोदिनी हांसदा तथा रमेश चंद्र किस्कू तथा संथाली लेखक मारियनस टुडू ने उक्त विषय पर अपने अपने विचारों को रखा।
संथाली लेखक मारियनस टुडू ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन संथाली साहित्य के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगा और इसका लाभ यहाँ के युवाओं और साहित्य से जुड़े लोगों को मिलेगा।कहा कि पी ओ बोडिंग विभिन्न भाषा के जानकार थे लेकिन उन्हें संथाली भाषा से अटूट प्यार था।उन्होंने लगभग 44 वर्ष भारत में सेवा की और मुख्य रूप से संथाल परगना के दुमका शहर से कार्य किया।उन्होंने संथाली भाषा के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किये है।संथाली व्याकरण सहित उनकी कई रचनायें आज भी मौजूद हैं जो संथाली भाषा के क्षेत्र में किया गया एक अद्भुत कार्य है।पी ओ बोडिंग ने संथाली भाषा में बाइबल का अनुवाद किया।
डॉ डबलू सोरेन ने कहा कि पी ओ बोडिंग की पहचान किसी से छिपी नहीं है।संथाली भाषा के क्षेत्र में किया गया उनका योगदान बहुत ही बहुमूल्य है।उन्होंने संथाली भाषा के लिए कई कार्य किये हैं।उनकी लिखी पुस्तकें ज्ञान से ओतप्रोत है।उनका व्यक्तित्व बहुत ही सरल था।उन्होंने अपने जीवन काल मे कई कठिनाइयों, संकटों का सामना किया लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपने कर्तव्य पथ पर हमेशा अग्रसर रहे।
रमेश चंद्र किस्कू ने कहा कि पी ओ बोडिंग ने ऐसी कई पुस्तकों की रचनाएं की है जिससे संथाली भाषा को बेहतर ढंग लिखा,पढ़ा एवं बोला जा सकता है।उन्होंने मानव जीवन से जुड़ी कई पुस्तकें भी लिखी हैं।उनके द्वारा लिखी संथाली डिक्शनरी संथाली भाषा को समझने में काफी महत्वपूर्ण है।
प्रमोदिनी हांसदा ने कहा कि इस आयोजन से साहित्य प्रेमियों की आशाओं को एक नई रौशनी मिली है।संथाल हूल भी एक मुख्य कारण है,जिसके कारण पीओ बोर्डिंग संथाल परगना आए थे।उन्होंने कहा कि 1857 की क्रांति की जानकारी जब पी ओ बोर्डिंग को हुई तो वह यहां पहुंचे तथा यहाँ रहकर संथाली समाज तथा संथाली भाषा के लिए उन्होंने कई कार्य किए। उनका जीवन त्याग और समर्पण का एक बेहतर उदाहरण है। मिशनरी क्षेत्र में उन्होंने कई बेहतर कार्य किए हैं।संथाली भाषा में बाइबल का उन्होंने अनुवाद किया है।उन्होंने कहा कि संथाली भाषा का साहित्य मुख्यधारा में जोड़ने वाला साहित्य है।पीओ बोडिंग की पहचान किसी एक क्षेत्र से नहीं है।
इससे पूर्व कार्यक्रम का उदघाटन अतिथियों द्वारा फीता काटकर एवं दीप प्रज्वलित कर किया गया।पारंपरिक रीति रिवाज लोटा पानी से अतिथियों का स्वागत किया गया।
उपायुक्त के द्वारा माननीय मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन के संदेश को पढ़ कर सुनाया गया।उप विकास आयुक्त द्वारा विधायक श्री बसंत सोरेन के संदेश को पढ़ कर सुनाया गया।
इस दौरान उपायुक्त द्वारा कार्यक्रम में भाग लेने अतिथियों को मोमेंट देकर सम्मानित किया गया।
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