दुमका, दिनांक 18 मार्च 2016 प्रेस विज्ञप्ति संख्या - 116
आम जनता का मन जानने आई है सरकार...
-राजीव गौवा, मुख्य सचिव, झारखण्ड सरकार
दुमका जिला के वास्तविक हितधारकों से भूमि अधिग्रहण मसले पर सुझाव प्राप्त करने के लिए मुख्यमंत्री द्वारा गठित मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति ने आज दुमका में भूमि अधिग्रहण पर वास्तविक हितधारकों सहित समाज के विभिन्न वर्गों से सुझाव प्राप्त किया। मुख्य सचिव ने कहा कि वास्तविक रैयतों की सहमति एवं उनके हित के अनुरूप सरकार भूमि अधिग्रहण के विषय में निर्णय लेगी। उन्होंने कहा कि इस बैठक के बाद भी ग्राम प्रधान, पंचायत मुखिया, किसान आदि अपने सुझाव अपने-अपने जिले के उपायुक्तों को दे सकते हैं। सरकार कोई भी निर्णय लेने से पूर्व उन सुझावों पर गम्भीरता से विचार करेगी। मुख्य सचिव ने कहा कि आम जनता से सम्वाद स्थापित कर उनके विचारों को सुनना यह समिति का प्रमुख उद्देष्य है और तदनुरूप यह समिति अपना सुझाव सरकार को सौंपेगी।
महत्वपूर्ण सुझावों में दुमका नगर पर्षद अध्यक्षा अमिता रक्षित ने कहा कि भूमि अधिग्रहण के उपरांत भूमि का जिन उद्देष्यों के लिए उपयोग किया जाता है तथा उससे जो आय होती है। उसमें वास्तविक रैयतों को भी हिस्सेदारी मिलनी चाहिए। यह समय पर मिले और जरूरत हो तो कानून में लचीलापन लाया जाय।
सांसद प्रतिनिधि तथा बार काउन्सिल के अध्यक्ष विजय सिंह ने कहा कि संताल परगना के लोग जल, जंगल और जमीन के लिए संघर्ष करते रहे हैं। एसपीटी एक्ट का सम्मान करते हुए भूमि अधिग्रहण के उद्देष्य को स्पष्ट करना चाहिए। सिंचित एवं कृषि योग्य भूमि को अधिग्रहित नहीं किया जाना चाहिए।
जिला परिषद के उपाध्यक्ष असीम मंडल ने कहा कि भूमि अधिग्रहण से किसानों को नियमित आमदनी प्राप्त हो ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए।
झामुमो के जिलाध्यक्ष सुभाष सिंह ने रैयतों की इच्छा के विरूद्ध भूमि अधिग्रहण नहीं किया जाना चाहिए।
षिकारीपाड़ा से आयी किसान प्रतिनिधि सुषीला हेम्ब्रम ने कहा कि किसानों की कृषि योग्य भूमि तीन प्रकार की होती है। निचली, मध्यम एवं ऊपरी भूमि। खेती की दृष्टि से जो समृद्ध भूमि है उसका अधिग्रहण किया जाना चाहिए। यदि अधिग्रहण अनिवार्य हो तो किसानो को आमदनी में समुचित हिस्सेदारी दी जानी चाहिए।
व्याख्याता अंजुला मुर्मू ने कहा कि विक्री योग्य भूमि दर के अनुरूप ही अविक्रयषील भूमि का दर निर्धारित किया जाना चाहिए।
व्याख्याता अजय सिन्हा ने कहा कि जमीन के मूल्य का निर्धारण उस उद्देष्य को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए जिस उद्देष्य से भूमि का अधिग्रहण किया गया है, न कि किसी अन्य कारक को ध्यान में रखकर।
चेम्बर आॅफ काॅमर्स के पूर्व अध्यक्ष सियाराम घिडि़या ने कहा कि किसी एक समान दर का निर्धारण न कर बल्कि जिस जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है उस जमीन का मालिक और सरकार की आपसी सहमति से भूमिदर का निर्धारण करें।
वरिष्ठ पत्रकार सुमन सिंह ने कहा कि विस्थापन कम से कम हो तथा पड़ोसी राज्यों के भूमि दर के अनुरूप अधिग्रहित भूमि का दर निर्धारित हो ताकि व्यावसायिक रूप से रैयतों को जब सम्पन्नता मिलेगी, तो वो स्वयं अधिग्रहण हेतु तत्पर होंगे।
पत्रकार राजकुमार उपाध्याय ने कहा कि भूमि अधिग्रहण के पिछले उदाहरण उत्साहजनक नहीं है। मुआवजा का बेहतर उदाहरण प्रस्तुत कर लोगों को स्वयं अधिग्रहण हेतु उत्सुक किया जाय।
पत्रकार मनोज केषरी ने कहा कि मुआवजा यथाषीघ्र मिले और संभव हो तो रैयतों के घर जाकर मुआवजा पहुँचायी जाय। ताकि जनकी जमीन जाय उन्हें कार्यालय का चक्कर न लगाना पड़े।
पत्रकार शैलेन्द्र सिन्हा ने कहा कि लैण्ड बैंक ने आम आदमी भी अपना जमीन दे सकें, इसका प्रावधान हो तथा कोल ब्लाॅक के अधिग्रहण मामलों में रैयतों को भी लाभ में हिस्सेदारी दी जाय।
महिला प्रतिनिधि के रूप में रमणी झा ने कहा कि रैयत का अपनी जमीन से लगाव होता है। उसे वैसी कीमत मिले जितना उसका उस भूमि से लगाव होता है। अतः किसान को अधिकाधिक मुआवजा मिले।
जरमुण्डी प्रखंड के प्रमुख पिंकी सोरेन ने कहा कि ग्रामीणों के इच्छानुरूप भूमिदर निर्धारित हो।
ग्राम प्रधान लक्ष्मण मंडल ने कहा कि प्रधानी जोत की जमीनों के लिए भी मुआवजा मिलना चाहिए। साथ ही ग्राम सभा ही भूमिदर निर्धारित करें।
सामाजिक कार्यकर्ता विजय सोनी ने कहा कि जमाबंदी जमीन को भी हस्तांतरणीय बनाया जाय। इसी क्रम में राधेष्याम वर्मा ने भी जमाबंदी जमीन पर आवासीय क्षेत्र को हस्तांतरणीय बनाया जाय।
समाजिक कार्यकर्ता संदीप रक्षित ने कहा कि अधिग्रहण के उपरांत होनेवाली आमदनी का एक हिस्सा नियमित रूप से भूस्वामी को प्राप्त हो। जनजातीय नागरिकों को भी अपनी भूमि बेचने की अनुमति प्राप्त होनी चाहिए।
इसके अलावा बड़ी संख्या में आवेदन के माध्यम से लोगों ने अपने सुझाव दिये जिसमें जदयू के रंजीत जायसवाल ने एसपीटीएक्ट में संसोधन का सुझाव दिया।
जेवीएम के पिन्टु अग्रवाल, धर्मेन्द्र सिंह एवं रवीन्द्र बास्की ने सुझाव दी कि भूमि अधिग्रहण के बजाय सरकार किराया या लीज पर भूमि ले। इससे रैयतों का मालिकाना हक बना रहेगा तथा उनकी आमदनी भी होती रहेगी।
पूर्व जिलाध्यक्ष भागतव राउत ने सुझाव दिया कि एक बीघा जमीन हस्तान्तरण के बदले परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जानी चाहिए।
अधिवक्ता रामचन्द्र मांझी ने बसौड़ी जमीन के कीमत को आधार मानकर मुआवजा की राषि निर्धारित करने की मांग की।
अधिवक्ता सामुएल सोरेन ने भी बेहतर मुआवजा राषि दिये जाने की सिफारिष की।
पूर्व सदस्य बिहार विधान सभा सह ग्राम प्रधान मांझी संगठन के संरक्षक मोहरील मुर्मू ने मिनी टाउनषिप तथा अन्य आधार पर अधिकतम मुआवजा दिये जाने का अनुरोध किया।
अरविन्द कुमार, वारिद वरण ठाकुर, नागमनी गुप्ता आदि ने भी अपने-अपने सुझाव दिये। बड़ी संख्या में किसानों एवं रैयतों ने दिये गये प्रपत्र को भरकर अपने सुझाव दिये।
आम बैठक में आये दुमका वासियों के प्रति आभार अपर मुख्य सचिव उदय प्रताप सिंह ने किया। विषय प्रवेष से संबंधित संबोधन दुमका के उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने किया। कार्यक्रम का संचालन क्षेत्रीय उप निदेषक जनसम्पर्क संताल परगना प्रमंडल अजय नाथ झा ने किया।
कार्यक्रम में उदय प्रताप सिंह, अपर मुख्य सचिव खनन विभाग, के0के0सोन सचिव राजस्व भूमि सुधार, के रवि कुमार निदेषक उद्योग, राजीव रंजन निदेषक भूमि सुधार, दीपेन्द्र मणि ठाकुर उप महानिरीक्षक निबंधक, एनके मिश्र आयुक्त संताल परगना प्रमंडल, देव बिहारी शर्मा पुलिस उप महानिरीक्षक, हर्ष मंगला उपायुक्त गोड्डा, अरवा राजकमल उपायुक्त देवघर, राहुल कुमार सिन्हा उपायुक्त दुमका, डी सी मिश्रा उपायुक्त पाकुड़, उमेष प्रसाद सिंह उपायुक्त साहेबगंज, शांतनु कुमार उपायुक्त जामताड़ा, विपुल शुक्ला पुलिस अधीक्षक दुमका, जिषान कमर अनुमंडल पदाधिकारी आदि उपस्थित थे।
आम बैठक के बाद मुख्य सचिव ने संताल परगना प्रमंडल के सभी जिलों के उपायुक्तों एवं जिला भूअर्जन पदाधिकारियों के साथ एक अह्म बैठक करते हुए भूमि अधिग्रहण के दरों एवं इससे जुड़े सभी सम्बद्ध पक्षों की समीक्षा की और वस्तुस्थिति से अवगत हुए। इस बैठक में मुख्य सचिव के साथ अपर मुख्य सचिव खनन विभाग, के0के0सोन सचिव राजस्व भूमि सुधार, के रवि कुमार निदेषक उद्योग, राजीव रंजन निदेषक भूमि सुधार, दीपेन्द्र मणि ठाकुर उप महानिरीक्षक निबंधक, एनके मिश्र आयुक्त संताल परगना प्रमंडल, देव बिहारी शर्मा पुलिस उप महानिरीक्षक, हर्ष मंगला उपायुक्त गोड्डा, अरवा राजकमल उपायुक्त देवघर, राहुल कुमार सिन्हा उपायुक्त दुमका, डी सी मिश्रा उपायुक्त पाकुड़, उमेष प्रसाद सिंह उपायुक्त साहेबगंज, शांतनु कुमार उपायुक्त जामताड़ा उपस्थित थे।
आम जनता का मन जानने आई है सरकार...
-राजीव गौवा, मुख्य सचिव, झारखण्ड सरकार
दुमका जिला के वास्तविक हितधारकों से भूमि अधिग्रहण मसले पर सुझाव प्राप्त करने के लिए मुख्यमंत्री द्वारा गठित मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति ने आज दुमका में भूमि अधिग्रहण पर वास्तविक हितधारकों सहित समाज के विभिन्न वर्गों से सुझाव प्राप्त किया। मुख्य सचिव ने कहा कि वास्तविक रैयतों की सहमति एवं उनके हित के अनुरूप सरकार भूमि अधिग्रहण के विषय में निर्णय लेगी। उन्होंने कहा कि इस बैठक के बाद भी ग्राम प्रधान, पंचायत मुखिया, किसान आदि अपने सुझाव अपने-अपने जिले के उपायुक्तों को दे सकते हैं। सरकार कोई भी निर्णय लेने से पूर्व उन सुझावों पर गम्भीरता से विचार करेगी। मुख्य सचिव ने कहा कि आम जनता से सम्वाद स्थापित कर उनके विचारों को सुनना यह समिति का प्रमुख उद्देष्य है और तदनुरूप यह समिति अपना सुझाव सरकार को सौंपेगी।
महत्वपूर्ण सुझावों में दुमका नगर पर्षद अध्यक्षा अमिता रक्षित ने कहा कि भूमि अधिग्रहण के उपरांत भूमि का जिन उद्देष्यों के लिए उपयोग किया जाता है तथा उससे जो आय होती है। उसमें वास्तविक रैयतों को भी हिस्सेदारी मिलनी चाहिए। यह समय पर मिले और जरूरत हो तो कानून में लचीलापन लाया जाय।
सांसद प्रतिनिधि तथा बार काउन्सिल के अध्यक्ष विजय सिंह ने कहा कि संताल परगना के लोग जल, जंगल और जमीन के लिए संघर्ष करते रहे हैं। एसपीटी एक्ट का सम्मान करते हुए भूमि अधिग्रहण के उद्देष्य को स्पष्ट करना चाहिए। सिंचित एवं कृषि योग्य भूमि को अधिग्रहित नहीं किया जाना चाहिए।
जिला परिषद के उपाध्यक्ष असीम मंडल ने कहा कि भूमि अधिग्रहण से किसानों को नियमित आमदनी प्राप्त हो ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए।
झामुमो के जिलाध्यक्ष सुभाष सिंह ने रैयतों की इच्छा के विरूद्ध भूमि अधिग्रहण नहीं किया जाना चाहिए।
षिकारीपाड़ा से आयी किसान प्रतिनिधि सुषीला हेम्ब्रम ने कहा कि किसानों की कृषि योग्य भूमि तीन प्रकार की होती है। निचली, मध्यम एवं ऊपरी भूमि। खेती की दृष्टि से जो समृद्ध भूमि है उसका अधिग्रहण किया जाना चाहिए। यदि अधिग्रहण अनिवार्य हो तो किसानो को आमदनी में समुचित हिस्सेदारी दी जानी चाहिए।
व्याख्याता अंजुला मुर्मू ने कहा कि विक्री योग्य भूमि दर के अनुरूप ही अविक्रयषील भूमि का दर निर्धारित किया जाना चाहिए।
व्याख्याता अजय सिन्हा ने कहा कि जमीन के मूल्य का निर्धारण उस उद्देष्य को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए जिस उद्देष्य से भूमि का अधिग्रहण किया गया है, न कि किसी अन्य कारक को ध्यान में रखकर।
चेम्बर आॅफ काॅमर्स के पूर्व अध्यक्ष सियाराम घिडि़या ने कहा कि किसी एक समान दर का निर्धारण न कर बल्कि जिस जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है उस जमीन का मालिक और सरकार की आपसी सहमति से भूमिदर का निर्धारण करें।
वरिष्ठ पत्रकार सुमन सिंह ने कहा कि विस्थापन कम से कम हो तथा पड़ोसी राज्यों के भूमि दर के अनुरूप अधिग्रहित भूमि का दर निर्धारित हो ताकि व्यावसायिक रूप से रैयतों को जब सम्पन्नता मिलेगी, तो वो स्वयं अधिग्रहण हेतु तत्पर होंगे।
पत्रकार राजकुमार उपाध्याय ने कहा कि भूमि अधिग्रहण के पिछले उदाहरण उत्साहजनक नहीं है। मुआवजा का बेहतर उदाहरण प्रस्तुत कर लोगों को स्वयं अधिग्रहण हेतु उत्सुक किया जाय।
पत्रकार मनोज केषरी ने कहा कि मुआवजा यथाषीघ्र मिले और संभव हो तो रैयतों के घर जाकर मुआवजा पहुँचायी जाय। ताकि जनकी जमीन जाय उन्हें कार्यालय का चक्कर न लगाना पड़े।
पत्रकार शैलेन्द्र सिन्हा ने कहा कि लैण्ड बैंक ने आम आदमी भी अपना जमीन दे सकें, इसका प्रावधान हो तथा कोल ब्लाॅक के अधिग्रहण मामलों में रैयतों को भी लाभ में हिस्सेदारी दी जाय।
महिला प्रतिनिधि के रूप में रमणी झा ने कहा कि रैयत का अपनी जमीन से लगाव होता है। उसे वैसी कीमत मिले जितना उसका उस भूमि से लगाव होता है। अतः किसान को अधिकाधिक मुआवजा मिले।
जरमुण्डी प्रखंड के प्रमुख पिंकी सोरेन ने कहा कि ग्रामीणों के इच्छानुरूप भूमिदर निर्धारित हो।
ग्राम प्रधान लक्ष्मण मंडल ने कहा कि प्रधानी जोत की जमीनों के लिए भी मुआवजा मिलना चाहिए। साथ ही ग्राम सभा ही भूमिदर निर्धारित करें।
सामाजिक कार्यकर्ता विजय सोनी ने कहा कि जमाबंदी जमीन को भी हस्तांतरणीय बनाया जाय। इसी क्रम में राधेष्याम वर्मा ने भी जमाबंदी जमीन पर आवासीय क्षेत्र को हस्तांतरणीय बनाया जाय।
समाजिक कार्यकर्ता संदीप रक्षित ने कहा कि अधिग्रहण के उपरांत होनेवाली आमदनी का एक हिस्सा नियमित रूप से भूस्वामी को प्राप्त हो। जनजातीय नागरिकों को भी अपनी भूमि बेचने की अनुमति प्राप्त होनी चाहिए।
इसके अलावा बड़ी संख्या में आवेदन के माध्यम से लोगों ने अपने सुझाव दिये जिसमें जदयू के रंजीत जायसवाल ने एसपीटीएक्ट में संसोधन का सुझाव दिया।
जेवीएम के पिन्टु अग्रवाल, धर्मेन्द्र सिंह एवं रवीन्द्र बास्की ने सुझाव दी कि भूमि अधिग्रहण के बजाय सरकार किराया या लीज पर भूमि ले। इससे रैयतों का मालिकाना हक बना रहेगा तथा उनकी आमदनी भी होती रहेगी।
पूर्व जिलाध्यक्ष भागतव राउत ने सुझाव दिया कि एक बीघा जमीन हस्तान्तरण के बदले परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जानी चाहिए।
अधिवक्ता रामचन्द्र मांझी ने बसौड़ी जमीन के कीमत को आधार मानकर मुआवजा की राषि निर्धारित करने की मांग की।
अधिवक्ता सामुएल सोरेन ने भी बेहतर मुआवजा राषि दिये जाने की सिफारिष की।
पूर्व सदस्य बिहार विधान सभा सह ग्राम प्रधान मांझी संगठन के संरक्षक मोहरील मुर्मू ने मिनी टाउनषिप तथा अन्य आधार पर अधिकतम मुआवजा दिये जाने का अनुरोध किया।
अरविन्द कुमार, वारिद वरण ठाकुर, नागमनी गुप्ता आदि ने भी अपने-अपने सुझाव दिये। बड़ी संख्या में किसानों एवं रैयतों ने दिये गये प्रपत्र को भरकर अपने सुझाव दिये।
आम बैठक में आये दुमका वासियों के प्रति आभार अपर मुख्य सचिव उदय प्रताप सिंह ने किया। विषय प्रवेष से संबंधित संबोधन दुमका के उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने किया। कार्यक्रम का संचालन क्षेत्रीय उप निदेषक जनसम्पर्क संताल परगना प्रमंडल अजय नाथ झा ने किया।
कार्यक्रम में उदय प्रताप सिंह, अपर मुख्य सचिव खनन विभाग, के0के0सोन सचिव राजस्व भूमि सुधार, के रवि कुमार निदेषक उद्योग, राजीव रंजन निदेषक भूमि सुधार, दीपेन्द्र मणि ठाकुर उप महानिरीक्षक निबंधक, एनके मिश्र आयुक्त संताल परगना प्रमंडल, देव बिहारी शर्मा पुलिस उप महानिरीक्षक, हर्ष मंगला उपायुक्त गोड्डा, अरवा राजकमल उपायुक्त देवघर, राहुल कुमार सिन्हा उपायुक्त दुमका, डी सी मिश्रा उपायुक्त पाकुड़, उमेष प्रसाद सिंह उपायुक्त साहेबगंज, शांतनु कुमार उपायुक्त जामताड़ा, विपुल शुक्ला पुलिस अधीक्षक दुमका, जिषान कमर अनुमंडल पदाधिकारी आदि उपस्थित थे।
आम बैठक के बाद मुख्य सचिव ने संताल परगना प्रमंडल के सभी जिलों के उपायुक्तों एवं जिला भूअर्जन पदाधिकारियों के साथ एक अह्म बैठक करते हुए भूमि अधिग्रहण के दरों एवं इससे जुड़े सभी सम्बद्ध पक्षों की समीक्षा की और वस्तुस्थिति से अवगत हुए। इस बैठक में मुख्य सचिव के साथ अपर मुख्य सचिव खनन विभाग, के0के0सोन सचिव राजस्व भूमि सुधार, के रवि कुमार निदेषक उद्योग, राजीव रंजन निदेषक भूमि सुधार, दीपेन्द्र मणि ठाकुर उप महानिरीक्षक निबंधक, एनके मिश्र आयुक्त संताल परगना प्रमंडल, देव बिहारी शर्मा पुलिस उप महानिरीक्षक, हर्ष मंगला उपायुक्त गोड्डा, अरवा राजकमल उपायुक्त देवघर, राहुल कुमार सिन्हा उपायुक्त दुमका, डी सी मिश्रा उपायुक्त पाकुड़, उमेष प्रसाद सिंह उपायुक्त साहेबगंज, शांतनु कुमार उपायुक्त जामताड़ा उपस्थित थे।
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