Monday 14 September 2015

दुमका, दिनांक 14 सितम्बर 2015    प्रेस विज्ञप्ति संख्या - 347

 एक दिन अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अलग पहचान बनाएगा मलुटी

राहुल कुमार सिन्हा, उपायुक्त, दुमका

लगभग 300 वर्ष पहले जिस समय इस गांव में आकर बसे राजाओं ने यहाँ टेराकोटा शैली के इन मंदिरों का निर्माण कराया होगा कभी नहीं सोचा होगा कि यह गाँव एक दिन न सिर्फ पूरे राज्य और देष में बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी अलग पहचान बनाएगा। यह बात दुमका के उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने मलुटी में पिछले 12 सितम्बर से आयोजित भादो महोत्सव के समापन के अवसर पर कही। उपायुक्त ने माँ मौलिक्षा के हुनुमान नाम से ख्यात गोपाल दास मुखर्जी सहित उन तमाम ग्रामवासियों की मुक्तकंठ से प्रषांसा की जिनके अच्छे व्यवहार एवं सदप्रयासों से मलुटी में पिछले डेढ़ माह से बड़ी तादाद में पर्यटकों का यहाँ आना जारी रहा तथा यह गाँव पूरे देष और विदेषों में भी चर्चा का केन्द्रबिन्दु बन सका। 
मौके पर उपस्थित पुलिस अधीक्षक विपुल शुक्ला ने कहा कि मलुटी महोत्सव की लोप्रियता पूरे परिवार के साथ उन्हें मलुटी तक खीच लाई उन्होंने कहा कि यहाँ आने वाले पर्यटकों के साथ स्थानीय लोगांे का मित्रवत स्नेहपूर्ण व्यवहार बार-बार उन्हें यहाँ आने की प्रेरणा देगी इससे न सिर्फ इस सुदूर क्षेत्र में पर्यटन का विकास होगा बल्कि स्थानीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा। उन्हांेने कहा कि मलुटी की ख्याति धीरे-धीरे बढ़ रही है। उन्होंने आषा व्यक्त की कि आने वाले समय में मलुटी विष्व पर्यटन के मानचित्र पर महत्वपूर्ण स्थान बना सकेगा। 
अपने स्वागत सम्बोधन में क्षेत्रीय उप निदेषक जनसम्पर्क अजय नाथ झा ने 12 सितम्बर से जारी भादो महोत्सव के दौरान आयोजित तमाम सांस्कृतिक एवं अन्य कार्यक्रमों के बारे में जानकारी देते हुए बतलाया कि मलुटी गाँव यंत्र-तंत्र और मंत्र साधना का एक प्रमुख केन्द्र रहा है। यह गाँव शैव और शक्त सम्प्रदाय के साधना स्थल के साथ-साथ बौद्यधर्म के बज्रयान शाखा के साधकों का भी कर्म स्थल रहा है। 
यहाँ के राजा बेहर दूरदर्षी थे जिन्होंने 108 मंदिरों के साथ-साथ 108 तालाब भी खुदवाए थे। यहाँ का स्थापत्य कला उस समय चरमोत्कर्ष पर था। जिसकी झलक टेराकोटा मंदिरों पर उकेरे गए विभिन्न धार्मिक प्रसंगों से सम्बन्धित मूर्तियों में स्पष्टतः देखा जा सकता है। उन्होंने गोपालदास मुखर्जी की भूमिका की तारीफ करते हुए बतलाया कि सम्पूर्ण जनमानस इस अनूठे लोककला, वास्तुकला तथा आध्यात्मिक केन्द्र की विषेषताओं को तबतक नहीं जान पाता जबतक इस गाँव के श्री मुखर्जी अपने तार्किक योग्यता और ज्ञान की बदौलत इसे आमजनों के सामाने न लाते। 
इससे पूर्व आए अतिथियों का संताली तथा स्थानीय पारम्परिक रीति से स्वागत किया गया। स्थानीय कलाकारांे ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। इस अवसर पर उपायुक्त तथा पुलिस अधीक्षक ने गोपालदास मुखर्जी तथा विष्णु नाथ मुखोपाध्याय को स्मृति चिह्न तथा अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर चित्रांकन तथा रंगोली प्रतियोगिता में विजेता खिलाडि़यों को प्रषस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। भादो महोत्सव के आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका के निर्वहन हेतु गौरकान्त झा, एमानुएल सोरेन, मदन कुमार, सुरेन्द्र नारायण यादव, बबलू चटर्जी, सोनाली चटर्जी, मुकेष कुमार यादव, कुमुद वरण राय सहित विभिन्न दैनिक समाचार पत्र के वरीय संवाददाताओं और छायाकारों सहित उन सभी कार्यकर्ताओं को भी प्रषस्ति-पत्र दिया गया। जिन्होंने भादो महोत्सव को सफल बनाने में महती भूमिका निभाई। मंच का संचालन जीवानन्द यादव ने किया। 

आकर्षण का केन्द्र बना जनसम्पर्क प्रदर्षनी पंडाल...


भादो महोत्सव के तीसरे दिन भी मलुटी घूमने आने वाले दर्षकों का तांता लगा रहा। माँ मौलिक्षा एवं मलुटी के ऐतिहासिक टेराकोटा षिवमंदिरों के दर्षनोपरान्त सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग का प्रदर्षनी पंडाल दर्षकों के आकर्षण का प्रमुख केन्द्र था। प्रदर्षनी पंडाल में दुमका जिला के कई अन्य मंदिरों यथा सरैयाहाट का सुमेष्वर नाथ, जरमुण्डी का पाण्डेष्वरनाथ, बारापलासी का सिरसानाथ, काठीकुण्ड का दानीनाथ, दुमका का षिवपहाड़, वासुकिनाथधाम स्थित वासुकिनाथ मंदिर, जामा का चुटोनाथ, नोनीहाट का चंचला स्थान, दुमका का धर्मस्थान, सुखजोरा का नागमंदिर आदि का चित्र प्रदर्षनी के साथ-साथ संताल परगना प्रमण्डल के कई स्थापत्य कलाओं का बेहद करीने से प्रदर्षन किया गया है। जिसमें गोड्डा का बारकोप, मधुपुर का कपिल मठ, देवघर का करौं, दुमका का गांदो एवं हन्डवा इस्टेट और मड़प्पा को बखूबी दर्षाया गया है। गोड्डा के तेरियागढ़़ी का भग्नावषेष भी विषेष दर्षनीय है। प्रदर्षनी पंडाल में संताल परगना स्थित कई गर्म जलश्रोतों के चित्र भी दर्षाये गए हैं। जहाँ के जल में कई ऐसे रसायन पाये जाते हैं जो चर्म रोगियों के  लिए बहुत फायदेमंद है। दुमका का तातलोई एवं नुनबिल, पाकुड़ का पाकुडि़या और चटकम का गर्म जल कुण्ड एवं गोड्डा का नीमझर गंर्म जल कुण्ड के बारे में प्रदर्षनी पंडाल में आने वाले दर्षनार्थियों को विषेष जानकारी दी जा रही थी।  





























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