Saturday 26 September 2015

दुमका, दिनांक 26 सितम्बर 2015  प्रेस विज्ञप्ति संख्या - 364

त्वरित न्याय दिलाने में मध्यस्थों कि भूमिका अहम। मध्यस्थ में दोनो पक्षों का विष्वस बना रहना सबसे महत्वपूर्ण है। आज यह बात झारखण्ड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीष सह झारखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार के प्रधान संरक्षक न्यायमूर्ति श्री वीरेन्द्र सिंह ने समाहरणालय सभागार में मध्यस्थों के सम्मेलन एवं अग्रणी प्रषिक्षण कार्यषाला के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि अपने सम्बोधन में कही।
विवादों में राष्ट्र का महत्वपूर्ण मानव संसाधन अपना कीमती समय गवाता है। विवाद का मुख्य कारण दोनों पक्षों का स्थिर या जड़ मनोवृत्ति होता है। विवादित पक्षकारों की मानसिक पुर्वाग्रह को मनोवैज्ञानिकता से बाहर निकालना मध्यस्थों की सबसे बड़ी चुनौती है।  अपने परिवार में भाई बहनों के बीच विवाद होने पर माँ की मध्यस्थ भूमिका एक सटीक उदाहरण है। जिसमें एक माँ अपने बच्चों के बीच उभरने वाले आपसी असंतोष को निपटा देती है। अग्रणी प्रषिक्षण कार्यक्रम के द्वारा मध्यस्थता की भूमिका को और प्रखर बनाया जा सकता है। विवाद के बारे में मध्यस्थ को अच्छी तरह पता होने के साथ-साथ विवादी के मनः स्थिति को भी ठीक से समझना होगा। अन्यथा मध्यस्थता असफल हो सकती है। किसी भी विवाद का मध्यस्थता करने से पूर्व विवाद के असली जड़ को समझना आवष्यक है। मुख्य न्यायाधीष ने झारखण्ड में मध्यस्था के द्वारा विवादों के निपटाये जाने के आँकड़ों पर संतोष व्यक्त किया। 
कार्यषाल को सम्बोधित करते हुए झारखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार के अध्यक्ष सह झारखण्ड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति डी0एन0 पटेल ने अपने सम्बोधन में कहा कि सुप्रिम कोर्ट द्वारा देष के दस मध्यस्थता केन्द्रों में से दो केन्द्र झारखण्ड राज्य को मिले हैं तथा मध्यस्थता द्वारा विवादों को निपटाने में झारखण्ड राज्य की प्रगति भी अत्यन्त महत्वपूर्ण रही है। मध्यस्थता विवादों के निपटाने का कम खर्चिला और स्थाई ईलाज है। उन्होंने कहा कि हमारा इतिहास इस बात का साक्षी है कि युद्ध जीतने के बाद भी विजेता खुद को हारा हुआ और हारने वाला स्वयं को जीता हुआ महषूस करते है। कलिंग युद्ध और रामायण का लंका युद्ध इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।
कार्यषाल को संबोधित करते हुए झरखण्ड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सह दुमका के जोनल जज श्री पी0पी0भट्ट ने बतलाया कि यह झारखण्ड का पहला प्रषिक्षण कार्यक्रम है। मध्यस्थता के द्वारा विवादों के निपटारा समय की मांग है। विवादों के निष्पादन में  मध्यस्थता सबसे प्रचलित तरिका के रूप में सामने आया है। कार्यषाल को झारखण्ड बार ऐसासियेसन  के सचिव श्री राजीव रंजन ने भी सम्बोधित किया। स्वागत सम्बोधन पी.डी.जे. श्री रामधारी यादव ने किया। जबकि धन्यवाद ज्ञापन दुमका के उपायुक्त श्री राहुल कुमार सिन्हा ने किया तथा मंच का संचालन क्षेत्रीय उप निदेषक सूचना एवं जनसम्पर्क, दुमका श्री अजय नाथ झा ने किया। 
इससे पूर्व माननीय अतिथियों का सेम्पलिंग अंकुरित बाल वृक्ष देकर तथा एमानुएल सोरेन के नेतृत्व में पारम्परिक संताली रीति लोटा पानी तथा पायका नृत्य के साथ भव्य स्वागत किया गया। अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर विधिवत रूप से मध्यस्थों के सम्मेलन एवं अग्रणी प्रषिक्षण कार्यषाल का उद्घाटन किया। इस अवसर पर विभिन्न जिलों से आये मध्यस्थ अधिवक्ताओं के द्वारा अतिथियों को मध्यस्थता पर लिखी गई पुस्तक भेंट की गई। न्यायमूर्ति डी0एन0 पटेल ने मुख्य न्यायाधीष न्यायमूर्ति श्री वीरेन्द्र सिंह को, न्यायमूर्ति पी0पी0भट्ट ने न्यायमूर्ति डी0एन0पटेल को, झालसा के सचिव नवनीत कुमार ने न्यायमूति पी0पी0भट्ट को, उप सचिव झालसा संतोष कुमार ने उपायुक्त दुमका श्री राहुल कुमार सिन्हा को, सचिव डी0एल0एस0 श्री अमरेष कुमार ने पी0डी0जे0 श्री रामधारी यादव को एवं एस0डी0जे0एम0 श्री सचिन्द्र बरूवा ने दुमका बार ऐसोसियेसन के अध्यक्ष श्री गोपेष्वर झा को स्मृति चिह्न प्रदान किया। जिला उद्योग केन्द्र की जादो पटिया चित्रकला के कलाकार श्रीमती षिखा आनन्द ने माननीय अतिथियों को जादो पटिया चित्रकला अंकित अंग वस्त्र प्रदान किया। 
इस अवसर पर टी0ओ0टी0 एम0सी0पी0सी0 श्रीमती निषा सक्सेना एवं श्रीमती नगीना जैन, झारखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार के सदस्य सचिव श्री नवनीत कुमार, एडीसनल सोलिसिटर जनरल झारखण्ड उच्च न्यायालय श्री राजीव सिन्हा, दुमका के पुलिस अधीक्षक श्री विपुल शुक्ला, डी0जे0-1 श्री ए0के0 मिश्रा, डी0जे0-2 श्री वीरेन्द्र प्रताप, डी0जे0-3 श्री आषुतोष दुबे, सी0जे0एम0 श्री राधा कृष्णा, सचिव डी0एल0एस0ए0 श्री अमरेष कुमार, ए0सी0जे0एम0 श्री एस0एन0 मिश्रा, झारखण्ड स्टेट बार काउन्सिल के अध्यक्ष श्री राजीव रंजन एवं उपाध्यक्ष श्री राजेष शुक्ला, दुमका बार एसोसियेसन के अध्यक्ष श्री गोपेष्वर प्रसाद झा एवं विभिन्न जिलों से आये मध्यस्थ अधिवक्ता गण उपस्थित थे। कार्यक्रम को सफल बनाने में सिंहासिनी कुमारी, सुमिता सिंह, स्मिता आनन्द, मदन कुमार आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहण किया।































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