दिनांक-19 सितम्बर 2019
प्रेस विज्ञप्ति संख्या-1583
बांस कारीगर मेला, दुमका से माननीय मुख्यमंत्री के संबोधन के महत्वपूर्ण अंश:-
1. झारखंड राज्य औद्योगिक संभावनाओं से परिपूर्ण राज्य है एवं देश में एक प्रगतिशील राज्य के रुप में जाना जाता है। झारखंड राज्य कौशलयुक्त मानव संसाधनों के अलावा प्रचुर खनिज संपदा एवं प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण है। वर्तमान में विविध औद्योगिक आधार एवं अनुकूल नीतियों के साथ, झारखंड राज्य आर्थिक विकास के अगले स्तर पर जाने के लिए तैयार है। राज्य को एक सफलता की एक नयी उंचाई पर ले जाने के लिए राज्य सरकार एवं झारखंड के लोग दृढसंकल्पित हैं।
2. राज्य के औद्योगिक विकास में लघु एवं कुटीर उद्योगों की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह राज्य के आर्थिक विकास के साथ साथ राज्य में रोजगार सृजन का एक सशक्त माध्यम हैं। बांस आधारित उद्यम इन्हीं की एक कड़ी है। झारखण्ड में प्राकृतिक रूप से बाँस की उपलब्धता सुलभ है। राज्य में कुल 4470 वर्ग किलोमीटर मे विभिन्न किस्मों का बाँस उपलब्ध है। झारखण्ड में लगभग 6 लाख बाँस शिल्पकार है जिसमें अधिकांशतः अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति से आते है जो बाँस की खेती से लेकर बाँस के विविध उत्पादांे के निर्माण, विपणन आदि कार्यो से जुड़े हुए हैं एवं अपना जीवन यापन कर रहें है।
3. भारत सरकार द्वारा नवम्बर, 2017 में भारतीय वन अधिनियम में संशोधन के द्वारा बाँस को वन वृक्ष की श्रेणी से बाहर कर दिए जाने के फलस्वरुप बाँस के क्षेत्र में उद्यमिता विकास के नये आयाम खुल चुके है। गत माह भारत सरकार द्वारा अगरबत्ती निर्माण से संबंधित सामग्रियों के आयात पर प्रतिबंध लगाया गया है, जिसके पश्चात् अगरबत्ती उद्योग में भारतीय बाँस का उपयोग कर उद्यमिता विकास को बढ़ावा मिलने की अपार संभावना बन गयी है।
4. राज्य के बांस क्षेत्र के परम्परागत शिल्पकारों को सक्षम बनाने एवं उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने तथा इस क्षेत्र में रोजगार सृजन करने हेतु झारखण्ड सरकार कृत संकल्पित हैै। इसी क्रम में चालू वित्तीय वर्ष में “झारखण्ड राज्य बांस अभियान“ की शुरूआत की गयी है, जिसके अन्तर्गत विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन तथा हायब्रिड किस्म के बाँस की खेती कर कृषकों को इसका लाभ उपलब्ध कराने की योजना है। महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम ;डळछत्म्ळ।द्ध के अन्तर्गत भी राज्य के 100 से अधिक प्रखण्डों में रैयती भूमि पर उन्नत किस्म के बाँस के पौधारोपण की योजना है।
5. राज्य के बाँस उद्यमियों के उद्यमिता विकास के लिए दुमका जिला में अवस्थित झारखण्ड गर्वनमेन्ट मिनी टूल रूम में Bamboo Center for Design प्रारम्भ किया जा रहा हैै। साथ ही, राज्य के सभी जिलों में आगामी दो वर्षो में 5000 बाँस शिल्पकारों को बाँस प्रक्षेत्र में कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान करने एवं प्रशिक्षित शिल्पियों का उत्पादक कंपनी बनाकर उन्हें सतत् रूप से स्वरोजगार उपलब्ध कराये जाने की योजना है।
6. उत्कृष्ट गुणवत्ता के कच्चे माल की सतत उपलब्धता सुलभ करने हेतु राज्य सरकार द्वारा बांस उत्पादक किसानों को हाइब्रिड किस्म के बाँस उपलब्ध कराये जाने एवं उत्पादों के मूल्य वर्धन हेतु बांस शिल्पकारों को टुल्स-किट्स भी प्रदान किये जाने की योजना है। इसके अंतर्गत कार्यक्रम के दौरान 5500 बांस शिल्पकारों को टुल्स-किट्स वितरण किया जा रहा है।
7. हाल में ही राज्य सरकार द्वारा भारत की अग्रणी e-commerce कम्पनी Flipkart के साथ MoU किया गया है जिससे राज्य के ग्रामीण कारीगरों द्वारा उत्पादित सामग्रियों को देश के कोने-कोने में अच्छे दामों पर बेचा जा सकेगा। मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे हुनरमंद बाँस शिल्पकार और उद्यमी अब e-commerce platform पर अपने सामग्रियों की बिक्री कर अधिक-से-अधिक लाभ उठायेंगे।
8. झारखण्ड में बाँस उद्योग के बढ़ावा हेतु अनुकूल वातावरण है एवं इस प्रक्षेत्र में निवेश की काफी संभावनाएं है। राज्य में बांस प्रक्षेत्र में निवेश करने वाले बड़े उद्यमी एवं औधौगिक इकाइयों को राज्य सरकार द्वारा औद्योगिक नीति के तहत वित्तीय सहायता उपलब्ध करायी जाएगी तथा आवश्यकतानुसार भूमि उपलब्ध करायी जाएगी। राज्य में ग्रामीण उद्यमियों एवं कुटीर उद्योग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण उद्योग नीति तैयार की गई है जिसके अन्तर्गत ग्राम शिल्पकारों/उद्यमियों को विभिन्न प्रकार की सुविधाएँ एवं वित्तीय लाभ प्रदान करने की योजना है।
19. राज्य में सर्वांगीन विकास हेतु झारखंड सरकार प्रतिब़द्ध है। बांस प्रक्षेत्र सहित कुटीर एवं लघु उद्योगों का विकास इसी दिशा में किए जा रहे महत्वपूर्ण पहल हैं। इनसे राज्य की ग्रामीण जनता के सामाजिक एवं आर्थिक स्थितिा में महत्वपूर्ण परिवर्तन अपेक्षित हैं। मैं आशा करता हूं यह “बांस कारीगर मेला“ राज्य के कुटीर एवं लघु उद्योगों के विकास में एक मील का पत्थर साबित होगा।
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