Tuesday 1 August 2017

दुमका 01 अगस्त 2017
प्रेस विज्ञप्ति संख्या - 444 
सुहाग और सौभाग्य का प्रतीक है सिंदूर...
श्रावणी मेला के दौरान आने वाली लाखों महिलाऐं घर लौटते वक्त बाबाधाम एवं वासुकिनाथधाम से सिंदूर खरीद कर ले जाती है। बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि सिंदूर का क्या महत्व है। क्यों महिलायें सिंदूर लगाती हैं? एक चुटकी सिंदूर की क्या कीमत है? और क्यों वासुकिनाथधाम, बाबाधाम या किसी भी मंदिर में पूजा के बाद सिंदूर खरीदती हैं महिलायें? 
माता सती ने भगवान शिव की प्रतिष्ठा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी और यह सिंदूर राजा दक्ष पुत्री माता सती और उनके बलिदान का प्रतीक है जो उन्होंने अपने पति के सम्मान के लिये दिया था।  यह सिंदूर माता पार्वती का भी प्रतीक है और यह मान्यता रही है कि जो महिलायें अपने माथे पर सिंदूर धारण करती है, देवी पार्वती का हाथ हमेशा उनके सर पर होता है तथा देवी पार्वती हर संकट से उनके पति की रक्षा करती है। कालांतर से यह सुहाग और सौभाग्य का प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है।  
  इसके अलावा सिंदूर के कई ऐतिहासिक प्रमाण भी मौजूद हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मेष राषि का स्थान माथे पर होता है। मंगल मेष राषि का स्वामी ग्रह है और मंगल को शुभ ग्रह माना जाता है एवं मंगल ग्रह का रंग लाल होता है इसलिए महिलाऐं लाल रंग का सिंदूर अपने मांग में धारण करती हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सिंदूर को नारी शक्ति का प्रतीक माना जाता है। यह शक्ति एक पत्नी को मुश्किल घड़ी में अपने पति की रक्षा करने में मद्द करती है। इसलिए महिलायें प्रतिदिन अपने मांग को सिंदूर से भरती है।




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