Friday, 5 January 2018

दुमका 05 जनवरी 2018 
प्रेस विज्ञप्ति संख्या - 006 
दुमका के मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय में समाज कल्याण मंत्री डा0 लुईस मरांडी की अध्यक्षता में झारखंड जनजातीय परामर्शदात्री समिति की उप समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक में समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने भाग लिया। बैठक में मुख्य रुप से गैर आदिवासी की जमीन के हस्तांतरण के मुद्दे पर चर्चा की गई। 
इस अवसर पर संबोधित करते हुए समाज कल्याण मंत्री डा0 लुईस मरांडी ने कहा कि राज्य और समाज का विकास सभी के सहयोग से ही संभव है। राज्य विकास के पथ पर लगातार अग्रसर है। उन्होंने कहा कि समाज और राज्य के विकास में आपका सुझाव महत्वपूर्ण है इसलिए हम सब आज एकत्रित हुए हैं। उन्होंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री जी के मार्गदर्शन में दो कमिटि बनाई गई है। पहली कमिटि राज्य में आदिवासियों की घटती संख्या पर विचार विमर्श कर रही है। जिसके अध्यक्ष ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा है तथा उनके साथ कई सदस्य हैं जो इस गंभीर मुद्दे पर कार्य कर रहे हैं। वहीं दूसरी कमिटि जमीन के मुद्दे पर कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि पिछले 3 वर्षों में राज्य में जो विकास हुआ है वह आज सबके सामने है। सरकार ने विकास की एक नई लंबी लकीर खींची है। सरकार राज्य के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि आदिवासियों की जमीन को कोई उनसे नहीं छीन सकता। कुछ लोग उन्हें गुमराह कर रहे हैं। आदिवासियों की जमीन को छीन कर उन्हें बेघर कर सरकार विकास नहीं कर सकती। 
इस अवसर पर टीएसी के उप समिति के सदस्य जे बी तुबिद ने कहा कि कानून ऐसा हो जो जन उपयोगी हो और इसके लिए कानून को समय के साथ परिवर्तनशील होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार आदिवासियों के हित में लगातार कार्य कर रही है। सरकार आदिवासियों के सर्वांगीण विकास के लिए कृत संकल्पित है। उन्होंने कहा कि संताल परगना टेंनेसी एक्ट के तहत अगर कोई गैर आदिवासी अपनी जमीन को अपनी बेटी या किसी को स्थानांतरित करना चाहता है तो नहीं कर सकता है। जिससे कई बार लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इन सब को ध्यान में रखते हुए आपके विचार को जानने के लिए आज यह समिति आप सभी के बीच आई है। उन्होंने कहा कि संथाल परगना क्षेत्र के कई ज्ञापन सरकार के पास आए थे। जिनमें गैर जनजातीय समुदाय के जमाबंदी रैयत के द्वारा यह अनुरोध किया गया था कि वह भी एसपीटी एक्ट के प्रावधानों के तहत जमीन को ना बेच सकते हैं ना खरीद सकते हैं। सरकार तथा टीएसी के द्वारा यह निर्णय लिया गया कि समाज के विभिन्न वर्गों के साथ बैठक कर इस मुद्दे पर आगे बढ़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार सबका साथ सबका विकास के मूल मंत्र के साथ कार्य कर रही है।
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बैठक में लोगों ने दिये अपनी राय...
गोपेष्वर झा: बैठक में उन्होंने कहा कि सरकार सेक्षन 53 को वेलिडेट (मान्य) करे। उन्होंने कहा कि सबके हित को ध्यान में रखते हुए कानून बनाया जाय। 
राधेष्याम वर्मा: उन्होंने कहा कि समाज के किसी व्यक्ति के जमीन को कोई ठग नहीं सकता सभी लोग जागरूक हो चुके हैं सच और झूठ का पता उन्हें लगाना आता है। उन्होंने कहा कि गैर जानजाती की  जमीन को क्रय तथा विक्रय करने का अधिकार मिले। 
जवाहर मिश्रा: सरकार को सभी वर्गों को ध्यान में रखते हुए कानून बनाने का कार्य करना चाहिये।  
शैलेन्द्र नारायण: उन्होने कहा कि सेक्षन 21 को बिना छेड़छाड़ के अपनाया जाय। 
विजय कुमार सोनी: उन्होंने कहा कि समिति को विचार करना चाहिये कि यहां के लोगों का भला हो नई नीति बनायी जाय। 
अरूण कुमार सिन्हा: उन्होंने कहा कि सरकार कानून में संषोधन करे ताकि संताल परगना का चहुमुखी विकास हो सके। 
मनोज घोष: उन्होंने कहा कि संताल परगना का विकास उद्योग से ही हो सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे कानून बनाये जायें कि यहां के लोग अपने जरूरत के अनुसार जमीन की खरीद बिक्री कर सके। 
कमला कान्त सिन्हा: उन्होंने कहा कि नियम में जरूर कुछ बदलाव होनी चाहिये ताकि यहां के लोग अपने जमीन को हस्तांतरित कर सके। उन्होंने कहा कि आदिवासी और गैर आदिवासी दोनो को फायदा हो सरकार ऐसा कार्य करे। गैर आदिवासी को किसी प्रकार की परेषानी ना हो इसका भी ध्यान सरकार रखे। 
राघवेन्द्र नाथ पाण्डेय: उन्होंने कहा कि ऐसा कोई नियम बनाया जाय कि गैर आदिवासी अपनी जमीन को गैर आदिवासी को हस्तांतरित कर सके। 
जोनाथन सोरेन: उन्होंने कहा कि सरकार को इस गंभीर मुद्दे पर कुछ निर्णय लेना आवष्यक है। कानून से ही सरकार को रास्ता निकालने की जरूरत है। 
प्रभात चंद्र: उन्होंने कहा कि कुछ लोग समाज के रक्षक के रूप में अपनी छवि प्रस्तुत करते है लेकिन वे समाज के रक्षक नहीं हैं। उन्होने कहा कि ऐसे लोग समाज को गुमराह करते हैं। सरकार कोई कानून बनाये जिसके माध्यम से गैर आदिवासी वर्ग अपनी जमीन को बेच सके। 
कुमार प्रभात: उन्होंने कहा कि टीएसी के द्वारा रसल कमिटि के रिर्पोट का अवलोकन किया जाय। विकास के लिए जरूरी है जमीन का हस्तांतरण। उन्होंने कहा कि जबतक उद्योग नहीं लगेंगे तबतक विकास संभव नहीं है। गैर आदिवासी के बीच जमीन हस्तांतरण हो सके ऐसा कोई कानून सरकार के द्वारा बनाया जाना चाहिये।   
रामनारायण भगत: उन्होंने कहा कि गैर आदिवासी के जमीन हस्तांतरित करने के लिए कानून बनाया जाना चाहिये।
डा0 संजय मरांडी: उन्होंने कहा कि सरकार को नियम बनाने का अधिकार है कोई नियम बनाया जाय जिससे सबका भला हो।
गौरवकांत: उन्होंने कहा कि औद्योगिक क्रांति लाने की जरूरत है। सरकार गैर आदिवासी के जमीन हस्तांतरित करने के लिए कानून बनाये। 

























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