Saturday, 27 January 2018

दुमका 27 जनवरी 2018
प्रेस विज्ञप्ति संख्या - 038 
इंडोर स्टेडियम दुमका में प्रमंडलीय स्तर पर तसर उत्पादकों का एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यषाला का उद्घाटन मुख्य अतिथि डॉ0 लुईस मरांडी माननीय मंत्री समाज कल्याण के कर कमलों द्वारा अर्जून के पेड़ पर जल देकर किया गया। 
माननीय मंत्री डाॅ0 लुईस मरांडी ने कहा कि हमारे लिये बहुत गर्व की बात है कि तसर के उत्पादन में संताल परगना प्रमंडल पूरे राज्य में अग्रणी है जिसमें दुमका षीर्ष पायदान पर है। उन्होंने कहा कि तसर उत्पादन में आय के बेहतर संभावनायें हैं। आप सभी से आग्रह है कि तसर उत्पादन को और भी बेहतर से ढंग से किया जाय।  तसर से निर्मित होने वाले वस्त्रों के डिजाईनर को बाहर से भी बुलाया जाय ताकि अच्छे और रंगबिरंगे वस्त्रों का निर्माण हो और इसकी अच्छी माकेर्टिंग की जा सके। डिजाईन में यहां की कला संस्कृति को भी दर्षाया जाय। अच्छे उत्पादन से बाहर के मार्केट में भी इसे अपनाया जायेगा। जिस तरह गोड्डा का भगाया सिल्क, कोल्हान का कुचाय सिल्क प्रसिद्ध है उसी प्रकार दुमका का मयूराक्षी सिल्क भी आने वाले समय में राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध होगा। इससे ग्रामिणों के जीवन स्तर में सुधार आयेगा तथा पलायन रोकने में बहुत बड़ा माध्यम साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में तसर का उत्पादन नहीं होता है उन स्थानों पर जीवन यापन हेतु मधु, मत्स्य पालन, मुर्गी पालन जैसे कार्य से आय के स्रोत खुल सकते हैं। 
उपायुक्त ने अपने सम्बोधन में कहा कि हम उन बेस्ट प्रेक्टिसेज को अपनायें जिससे किसानों को अधिकतम लाभ मिल सके। तसर के जो परम्परागत तरीके है उसमें मूल्यवर्धन करने की जरूरत है ताकि तसर के उत्पादन से किसानों को अधिकतम लाभ मिल सके। महाजनी प्रथा जो तसर उत्पादन में थी उसे खत्म करने कार्य राज्य सरकार ने किया है। सरकार के द्वारा कोकून के संधारण हेतु कोकून बैंक स्थापित किया गया है। जरूरत है इन कोकून से धागा निर्माण कर सिल्क के बेहतर उत्पाद बनाया जाय। इससे किसानों की आमदनी 4 गुना बढ़ सकती है। मयूराक्षी सिल्क ब्रांड की बेहतर ढंग से मार्केटिंग की जाय। सेन्ट्रल सिल्क बोर्ड का जल्द ही एक कार्यालय दुमका में खुलने वाला है जिससे संथाल परगना के सभी तसर किसानों को इसका लाभ मिलेगा। माननीय प्रधानमंत्री ने विजन डोक्यूमेंट 2022 में यह संदेष दिया है कि किसी क्षेत्र को बदलने के लिए हर व्यक्ति को एक महत्वपूर्ण इकाई के तौर पर अपना योगदान देना है। दुमका जैसे क्षेत्रों में बदलाव का सबसे अच्छा तरीका है गांव को इकाई के रूप में लें। सखी मंडलों को जागरूकर करें। किसानों को जोड़े और सामुहिक प्रयास से ही आमदनी को बढ़ाया जा सकता है तथा ग्रामीण क्षेत्रों में विकास किया जा सकता है। हम सब मिलकर छोटे छोटे प्रयोग से लोगों की आमदनी बढ़ा सकते हैं जैसा कि एक छोटा से प्रयोग बालीजोर में किया गया है। गांव की महिलाओं के द्वारा चप्पलों का निर्माण किया जा रहा है जिसे बाली फुटवेर का नाम दिया गया है और ये प्रयास किया जा रहा है कि इसकी अच्छी मार्केटिंग हो। इसी प्रकार हमें हर एक छोटे छोटे उत्पाद के लिए ब्रांडिंग की आवष्यता है।
जिला परिषद अध्यक्षा जाॅयस बेसरा ने कहा कि सिल्क फैब्रिक के उत्पादन पर जोर दिया जाय, ताकि आने वाले दिनों में दुमका को दुमका सिल्क सिटी के नाम से जाना जाय। यहां तसर की संभावनायें अपार हैं। 
नगर पर्षद अमिता रक्षित ने कहा कि कुटिर उद्योग को बढ़ावा देने की आवष्यकता है। हर प्रखंड में कोकून उत्पादन से संबंधित प्रषिक्षण होना चाहिये।    
सहायक निदेषक तसर सुधीर कुमार ने स्वागत सम्बोधन के साथ कार्यषाला का शुभारंभ किया तथा उपस्थित सभी लोगों को कोकून तथा सिल्क उत्पादन से संबंधित विभिन्न प्रक्रिया की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य है फार्म टू फैब्रिक। तभी किसानों को असल फायदा होगा तथा उनके जीवन में परिवर्तन आयेगा।  
कार्यषाला में जिला षिक्षा पदाधिकारी, जिला कृषि पदाधिकारी, जिला पंचायती राज पदाधिकारी, जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी तथा संताल परगना के विभिन्न जिलों से आये बड़ी संख्या में कृषकगण उपस्थित थे।








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