दुमका 27 जून
2018 प्रेस विज्ञप्ति संख्या - 336
परिसदन दुमका में जनजातीय परामर्शदातृ समिति की उपसमिति की बैठक आयोजित की गयी । बैठक में ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा, जनजातीय परामर्शदातृ उप समिति के सदस्य शिवशंकर उरांव, रतन तिर्की के साथ दुमका के उपायुक्त मुकेश कुमार ,जिला परिषद सदस्य जॉयस बेसरा सभी संबंधित विभाग के अधिकारी तथा जिले के गणमान्य लोग उपस्थित थे । बैठक में जिले में जनजातीय समुदाय की आबादी में कमी होने के कारण पर विस्तृत रूप से चर्चा की गयी एवं विचार विमर्श किया गया।
ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री निलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि सरकार जनजातीय समुदाय की आबादी कम होने से चिंतित है। सरकार ने इसके लिए एक समिति का भी गठन किया है जो इस दिशा में अध्ययन कर रही है। उन्होंने कहा कि इस गंभीर मुद्दे को लेकर जनजातीय परामर्शदातृ समिति की उपसमिति की बैठक की जा रही है। ताकि बैठक में प्राप्त सुझाव पर सरकार कार्य कर सके।
बैठक में टीएसी की उप समिति ने संबंधित विभाग के अधिकारी को निर्देश दिया कि 1947 से अब तक की जनगणना विभाग से प्राप्त कर किन कारणों से जनजातीय समुदाय के लोगों में कमी आ रही है इसका अध्ययन किया जाए। साथ ही पूरे संथाल परगना प्रमंडल में जनजातीयवार कितनी जनसंख्या है इसे भी स्पष्ट किया जाए। कम उम्र में जनजाति समुदाय के लोगों की मृत्य के कारणों पर भी अध्ययन की जरूरत है। बैठक में उपस्थित लोगों द्वारा बताया गया कि मुख्यतः शराब (हडिया) के कारण कम उम्र में ही लोगों की मृत्यु हो जा रही है। प्रशासन और समाज सेवी संस्था को इस सम्बन्ध में लोगो को जागरुक करने की जरूरत है। जनजातीय समाज मे हड़िया की अपनी एक अलग मान्यता है ।पूजा के दौरान इस समुदाय के लोग इसका उपयोग करते हैं । उपस्थित लोगों के द्वारा बताया गया कि हड़िया को पूजा पाठ तक ही सीमित करना चाहिए। लोग इसका सेवन प्रतिदिन न कर सकें इस हेतु जागरुकता की जरूरत है । सड़क , चैराहों पर लोग अक्सर हड़िया पीते दिख जाते हैं इस पर रोक लगनी चाहिए।
समिति के द्वारा संबंधित विभाग के लोगों को निदेश दिया गया कि मसानजोर डैम के निर्माण के दौरान अनुसूचित जनजातीय के लोगों का बड़ी संख्या में विस्थापन हुआ था, विस्थापन के उपरांत उन्हें कहाँ बसाया गया तथा उनसे सम्बन्धित अन्य आंकड़ों को निकाला जाए।
बैठक में संबंधित विभाग द्वारा बताया गया कि 2001 की जनगणना की अनुसार अनुसूचित जनजातीय 44.76 प्रतिशत थे जबकि 2011 जनगणना के अनुसार 43.22 प्रतिशत है। बैठक में बताया गया कि अक्सर यहाँ के लोग वर्ष में 2 बार रोजगार के लिए दूसरे क्षेत्रों में पलायन कर जाते हैं। यहाँ के लोगों को कैसे उनके घर के आस पास रोजगार उपलब्ध कराया जाय जिससे पलायन न हो इस पर विस्तृत रूप से चर्चा की गई।
बैठक में संबंधित विभाग के अधिकारियों के द्वारा बताया गया कि कुल 8200 पहाड़िया परिवारों को मुख्यमंत्री डाकिया योजना के तहत चावल का पैकेट उपलब्ध कराया जा रहा है। दुमका जिले के गोपीकान्दर, रामगढ,़ काठीकुंड, शिकारीपाड़ा, जामा प्रखंड में अधिक संख्या में पहाड़िया समुदाय के लोग रहते हैं। प्रत्येक परिवार को 35 किलोग्राम चावल प्रति माह उपलब्ध कराया जा रहा है।
इस दौरान उपायुक्त मुकेश कुमार ने बताया कि पिछले सात-आठ महीने से किसी प्रकार की माइनिंग लीज नहीं दी जा रही है। इससे एक भी परिवार माइनिंग के कारण विस्थापित नहीं हुए हैं। न्यूट्रीशन इस जिले की एक समस्या ह,ै लेकिन जिला प्रशासन इस क्षेत्र में निरंतर कार्य कर रहा है। आईएफए टैबलेट लगातार वितरित किए जा रहे हैं। कई बार लोग आईएफए टैबलेट मिलने के बाद भी इसे नहीं खा रहे ह,ैं लेकिन जिला प्रशासन लोगों को जागरुक करने का कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि फूड हैबिट ठीक करने की जरूरत है। फूड हैबिट को बदलने की जरूरत है, किचन गार्डन को बढ़ावा देने का प्रयास जिला प्रशासन द्वारा किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन आदि लोगों को दिया जा रहा है। लेकिन कई बार विभाग द्वारा पैसा भेज देने के बाद भी बैंकों के द्वारा उन्हें ससमय पैसा नहीं मिल पाता है ।कई बार बिचैलियों के सहयोग से लोग अपनी पेंशन की राशि को निकालते हैं, जिसके कारण बिचैलिए उनकी पेंशन की राशि से कुछ राशि को रख लेते हैं। उन्होंने कहा कि बैंकों को निर्देश दिया जाए कि किसी प्रकार के बिचैलियों को बैंक में आने ना दें, साथ ही पेंशनधारियों को ससमय पैसा मिले इसे सुनिश्चित करें।
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