प्रेस विज्ञप्ति संख्या - 342
12 वें सांख्यिकी दिवस के अवसर पर जिला सांख्यिकी कार्यालय, दुमका में ‘‘सरकारी आंकडों में गुणवत्ता आश्वासन‘‘ के विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा का शुभारंभ उपेन्द्र मेहरा, प्रमंडलीय उप निदेशक(सांख्यिकी)-सह-जिला सांख्यिकी पदाधिकारी, दुमका द्वारा सांख्यिकी के जनक प्रो.पी.सी. महालनोविस के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया गया। उनके द्वारा प्रो0 महालनोविस की जीवनी एवं उनके कार्यांे पर प्रकाश डाला गया। उन्होंने कहा कि उनका जन्म 29 जून 1893 एवं मृत्यु 28 जून 1972 में हुई। 17 दिसम्बर 1931 को उन्होंने भारतीय सांख्यिकी संस्थान की स्थापना कोलकाता में की। भारत सरकार द्वारा इसे राष्ट्रीय महत्त्व का संस्थान घोषित किया गया एवं डीम्ड विश्वविधालय का दर्जा दिया गया है। भारतीय सांख्यिकी संस्थान की एक शाखा, झारखंड राज्य के गिरिडीह जिला में अवस्थित है एवं अन्य शाखा दिल्ली, बैंगलोर, हैदराबाद, पुणे, कोयंबटूर, चेन्नई, आदि स्थानों में अवस्थित है। इनके द्वारा ही सैंपल सर्वे की संकल्पना शुरु किया गया। जिसके आधार पर ही वर्तमान में बहुत सारी योजना प्रारंभ की गई है। उन्होंने कहा कि कार्य के दौरान आंकड़ो की गुणवत्ता पर विषेष ध्यान देने की जरुरत है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के मद्देनजर बिन्दुवार आंकडों की प्रमाणीकता पर प्रकाश डाला। ठाकुर भंडारी, सहायक सांख्यिकी पदाधिकारी ने गणित विषय में सांख्यिकी की प्रासंगिता एवं उपयोगिता पर अपना मत रखा।
परिचर्चा में किशोर कुमार द्वारा प्रशासनिक आंकडो के छात्र जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव का विवेचन किया। कुमार गौतम ने सरकारी आकड़ांे के जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव का विवेचन करते हुए उसकी विष्वसनीयता पर अपना विचार प्रकट किया। हिमांशु साहा ने कम्प्यूटर के अनुप्रयोग द्वारा आंकडो को किस प्रकार विष्वसनीय बनाया जा सकता पर अपना वक्तव्य दिया। किशोर हांसदा एवं रंजीत कुमार यादव द्वारा कार्य के क्रम में भ्रमण के अनुभव से सभी सांख्यिकी वृन्दो को अवगत कराया। अंत में उपनिदेशक(सांख्यिकी) संथाल परगना प्रमंडल, दुमका द्वारा परिचर्चा में उपस्थित सभी व्यक्तियों का अभिवादन कर परिचर्चा का समापन किया गया।
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