Monday 16 August 2021

दुमका 14 अगस्त 2021 प्रेस विज्ञप्ति संख्या - 979

 दुमका 14 अगस्त 2021

प्रेस विज्ञप्ति संख्या - 979


दिनांक 14/08/2021 को सिदो कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय, दुमका में आयोजित कार्यक्रम में माननीय राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के मुख्य बिन्दुः-


◆ सर्वप्रथम, मैं संथाल हूल के महानायकों सिदो-कान्हु समेत सभी अमर महानायकों को नमन करता हूँ और उनके प्रति अपनी श्रद्धा-सुमन अर्पित करता हूँ।  महात्माओं को श्रद्धांजलि देते हुए अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस के अवसर पर  राज भवन में एक उद्यान का नामकरण फूलो-झानो के नाम पर  किया गया।


◆संथाल हूल के अमर महानायकों सिदो एवं कान्हु के नाम पर स्थापित इस विश्वविद्यालय द्वारा  75वें स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित इस कार्यक्रम में आप सभी के बीच सम्मिलित होकर अपार प्रसन्नता हो रही है।


भारतीय इतिहास में स्वाधीनता संग्राम की पहली लड़ाई वैसे तो सन् 1857 में मानी जाती है, किन्तु इसके पहले ही वर्तमान झारखंड राज्य के संथाल परगना में ‘‘संथाल हूल’’ व ‘‘संथाल विद्रोह’’ का अंग्रेजों को भारी सामना करना पड़ा था।


◆सिदो तथा कान्हु, दो भाइयों के नेतृत्व में 30 जून, 1855 को वर्तमान साहेबगंज जिले के भोगनाडीह गांव में इस क्रान्ति का आग़ाज हुआ। इस विद्रोह के मौके पर सिदो ने घोषणा की थी- करो या मरो, अंग्रेजों हमारी माटी छोड़ो। 


विश्वविद्यालय का दायित्व है कि वे अपने युवा पीढ़ी को स्वतंत्रता आंदोलन में ऐसे महानायकों की भूमिका से अवगत करायें जिससे कि युवा पीढ़ी उनके योगदानों के बारे में बेहतर तरीके से न केवल जान पायेंगे, बल्कि उनसे प्रेरित भी होंगे। 


◆युवा पीढ़ी को यह जानकर और अधिक प्रसन्नता होगी, जब उन्हें ज्ञात होगा कि स्वाधीनता आंदोलन के ऐसे महानायक उनकेे क्षेत्र के ही थे। उनके लिए यह अत्यन्त गौरव का विषय होगा। 


◆इस अवसर पर मैं कहना चाहूँगा कि विश्वविद्यालय का यह भी दायित्व है कि वे हमारे विद्यार्थियों को निपुण एवं दक्ष बनायें। जहाँ कहीं भी हमारे ये विद्यार्थी रहें, अपने कार्य से सबका नाम रौशन करें। देशभक्त के रूप में भी जाने जायें और राष्ट्रप्रेम की भावना उनमें प्रबल हो। 


कुलाधिपति के रूप में मेरा सदा प्रयास होगा कि हमारे शिक्षण संस्थान शिक्षा एवं अनुशासन के क्षेत्र में एक ऐसी पहचान स्थापित करे कि अन्य राज्यों से भी विद्यार्थी यहाँ नामांकन के लिए आयें। हमारे शिक्षण संस्थान सिर्फ डिग्री अथवा उपाधि ही प्रदान न करें क्योंकि सिर्फ उपाधि अर्जित करने का कोई औचित्य नहीं है और ज्ञान की ही सिर्फ कद्र होती है।  


उच्च शिक्षा के विकास के लिए यह आवश्यक है कि शिक्षण संस्थानों में आधारभूत संरचना उपलब्ध हो। साथ ही कक्षायें और शैक्षणिक सत्र  नियमित हो, उन्नत पुस्तकालय हो। अनुसंधान के क्षेत्र में भी कार्य हो।


◆हमारे विद्यार्थियों को सदैव अनुशासित होकर अपना जीवन व्यतीत करना चाहिये। अनुशासन के बिना सफलता प्राप्ति संभव नहीं है। उन्हें मूल्यों पर जोर देना होगा। उन्हें अपने जीवन में नैतिकता और संस्कार पर सदा बल देना होगा। 


◆व्यक्ति को जीवन में सफलता अर्जित करने के लिए ये सब आवश्यक है क्योंकि हमें सबसे पहले एक अच्छा व्यक्ति बनना होगा। और जो अच्छा व्यक्ति बन गया, वह अपना मार्ग स्वयं चयन कर लेगा। सही मार्ग पर चलकर ही सफलता अर्जित की जा सकती है। 


◆इस अवसर पर मैं यह उल्लेख करना चाहूँगा कि इस समय पूरा विश्व कोरोना महामारी की चुनौतियों से जूझ रहा है। हमारा देश व राज्य भी इस समस्या का सामना कर रहा है। हमारे शिक्षण संस्थानों पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हमने इस त्रासदी का सफलतापूर्वक सामना किया है। 


◆मुझे अवगत कराया गया कि इस महामारी के दौर में भी सिदो-कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय ने उपलब्ध डिजिटल संसाधनों का समुचित उपयोग करते हुए टीचर्स-लर्निंग की प्रक्रिया को बाधित नहीं होने दिया और सत्र-अवधि में भी कोई बड़ा अंतराल नहीं आने दिया। विश्वविद्यालय में अलग-अलग विषयों पर वेबिनार आयोजित किए गए जिनमें देश एवं विदेश के विशेषज्ञों विद्वानों ने हिस्सा लिया और शिक्षकों एवं छात्रों के ज्ञान स्तर को अद्यतन किया और अनुसंधान का माहौल बनाये रखा। इन गतिविधियों हेतु कुलाधिपति के रूप में सम्पूर्ण विश्वविद्यालय परिवार को बधाई देता हूँ।


मुझे अवगत कराया गया कि विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में सामान्य कामकाज धीरे-धीरे प्रारंभ हो रहा है, विद्यार्थी अपने ऑफलाइन अध्ययन के लिए परिसर आ रहे हैं, हमें काफी सावधानी और सतर्कता भी बरतनी होगी क्योंकि महामारी खतरा अभी पूरी तरह टला नहीं है और महामारी की तीसरी लहर की आशंका व्यक्त की जा रही है। हमें परिसर में अपने विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं कर्मियों के लिए सरकार द्वारा जारी कोरोना प्रोटोकाॅल का सख्ती से पालन करना होगा। 


◆ इस विश्वविद्यालय पर अपनी क्षमताओं के स्तर को सतत् ऊँचा उठाने की दिशा में प्रयासरत रहना होगा। पढ़ाई के अलावा सभी को अपनी समृद्ध कला-संस्कृति के प्रति भी प्रेम रखना चाहिये। संताल परगना में निशानेबाजी और फुटबाॅल जैसे खेलों में विकास की अपार संभावनायें हैं। सिदो-कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय को प्रतिभाओं को तलाश कर उन्हें तराशने का भी काम करना है। इस इलाके में खेलकूद को बढ़ावा देने का काम भी इस विश्वविद्यालय को करना होगा। 


अन्त में, यही कहूँगा कि इस विश्वविद्यालय के विकास हेतु सभी पदाधिकारी, शिक्षक एवं कर्मी टीम भावना के तहत कार्य करें। एक बार पुनः आप सभी को 75वें स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें। 


     जय हिन्द !    जय झारखण्ड !


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