दिनांक-27 जुलाई 2019
प्रेस विज्ञप्ति संख्या-1137
जीवन जीने की चाह का दूसरा नाम है ‘‘हरी-हरी चूड़ियाँ‘‘...
सावन का महीना भोलेनाथ के अलावा साहित्य में - कविताओं और गीतों में प्रेम जिजीविशा, आस्था और सौन्दर्य के लिए भी जाना जाता है। सावन में इन सबसे उपर है हरी-हरी चूड़ियाँ। सावन का महीना आते ही रिमझिम फुहारों के बीच हरी चूड़ियों की बिक्री बढ़ जाती है। श्रावणी मेले के दौरान वासुकिनाथधाम में भी हरी चूड़ियों की खूब बिक्री होती है। पौराणिक कथा के अनुसार देवी पार्वती ने भोले बाबा के लिए हरे रंग की चूड़ियां पहनी थी। तब से सावन के महीने में महिलायें हरे रंग का चूड़ियां पहनती है और यही वजह है कि आज भी सभी उम्र की महिलायें सावन मास के दौरान हरी चूड़ियां पहनते हैं। दरअसल सावन का महीना का प्रकृति के सौन्दर्य का महीना होता है और शास्त्रों में महिलाओं को भी प्रकृति का रुप माना गया है। इस मौसम में बरसात की बंदू प्रकृति खिल उठती है हर तरफ हरियाली छा जाती है। ऐसे में प्रकृति से एकाकार होने के लिए महिलायें हरे वस्त्र और हरी चूड़ियां पहनती हैं। सावन के महीनें में जिस पर भी एकबार हरा रंग चढ़ जाता है उसकी जिंदगी जन्म-जन्म तक हरा-भरा रहता है। इन दिनों ओर दिनों की अपेक्षा हरी चूड़ियों की कीमत में भी वृद्धि हो जाती है।
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