दुमका 05 जुलाई 2019
प्रेस विज्ञप्ति संख्या -0810
बिरसा कृषि विष्वविधालय के क्षेत्रिय अनुसंधान केन्द्र, संथाल परगना प्रमंडल, दुमका एवं सहायक उधोग निदेषक (रेषम) संथाल परगना प्रमंडल, दुमका के संयुक्त तत्वाधान में यह तय किया गया था, कि तसर कीटपालन क्षेत्र में लगे हुए आसन एवं अर्जुन के बीच में हल्दी एवं ओल की प्रायोगिक तौर पर ट्रायल बेसिस पर यह देखा जायगा। उक्त स्थान पर अर्जुन एवं आसन के पेड़ों के बीच ओेल एवं हल्दी की खेती कैसे होती है, उपज कैसा होता है एवं इसका प्रभाव तसर कीटपालन पर कैसा पड़ता है साथ ही कम लागत लगाये एवं कम परिश्रम के कीटपालन के आय को दोगुना करने में कितना प्रभावी होता है। उक्त बिन्दूओं पर बिरसा कृषि विष्वविधालय द्वारा अर्जुन एवं आसन पौधों के बीच ओल एवं हल्दी की खेती की स्वीकृति प्रदान की गई है।
उक्त स्वीकृति के फलस्वरूप सहायक उधोग निदेषक (रेषम) सुधाीर कुमार सिंह दुमका एवं डाॅ पी बी साहा जेडआरएस ने संयुक्त रूप से इस प्रत्यक्र्षण और उत्पादन का अघ्यतन दो तरीके से किया जाता है। पहला सिंचित एवं दूसरा असिंचित (वर्षा अधारित) इस बिन्दू के मद्देनजर वर्षा अधारित तरीके पर मसलिया प्रखण्ड के हथियापाथर कीटपालन स्थान में एवं सिंचित तरीके से अग्र परियोजना केन्द्र काठीकुण्ड के कार्यालय परिसर में कार्य प्रारम्भ किया गया। जिसमें ओल एवं हल्दी की बीज को बैबस्टीन के घोल से उपचारित कर चूना एवं बर्मी कम्पोस्ट के साथ आज विधिवत रूप से आसन एवं अर्जुन के कीटपालन स्थल पर लगाया गया।
उक्त प्रत्यक्षण के समय जेडआरएस के डाॅ पी बी साहा, डब्लू आईंग, डाॅ सुनील कुमार, बीएसएम और टीसी काठीकुण्ड के वैज्ञानिक डी मजुमदार, पीपीओ काठीकुण्ड के श्रवण कुमार प्रोजेक्ट मैनेजर अमित कुमार एवं कुछ किसान उपस्थित थे। सहायक उधोग निदेषक (रेषम) सुधीर कुमार सिंह के दिषा निर्देष में उक्त कार्य को किया गया।
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