Friday 23 December 2016

दुमका, 23 दिसम्बर 2016
प्रेस विज्ञप्ति संख्या - 719 
हाथ में हुनर और दम है तो बंजर भूमि में फूल खिलाया जा सकता है...
-राहुल कुमार सिन्हा, उपायुक्त, दुमका    
त्याग और तपस्या का दूसरा नाम है किसान जीवन भर मिट्टी से सोना उत्पन्न करने की तपस्या करता है एवं न सिर्फ अपने परिवार का भरण पोषण करता है बल्कि देष की प्रगति में अपना योगदान देता है। आज भी 70 प्रतिषत आबादी गांव में रहती है, खेती करती है और यही इनका मुख्य व्यवसाय भी है। उक्त बातें किसान दिवस पर दुमका हाट में आत्मा दुमका द्वारा आयोजित एक दिवसीय जिला स्तरीय सब्जी प्रदर्षनी, आदिम जनजातीय कृषक गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि दुमका के उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने कही। उपायुक्त ने सर्वप्रथम कृषि प्रदर्षनी का उद्घाटन किया तथा दीप प्रज्वलित कर इस कार्यक्रम की विधिवत शुरूआत की। 
इस कृषक गोष्ठी का विषय मानव जीवन में सब्जियों का महत्व था। गोष्ठी को संबोधित करते हुए उपायुक्त ने कहा कि आदिम जनजातीय के सर्वांगीण विकास के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध हैं एवं उन्हें मुख्य धारा में वापस लाने के विषेष आरक्षण भी दिया जा रहा है। उन्होंने कहा पढ़ाई खेल नौकरी या फिर खेती सभी जगहों पर आदिम जनजातीय लोगों के विषेष छूट का प्रावधान है। दुमका के उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने कहा कि मुख्यमंत्री भी लगातार पहाड़िया गांव जाकर बैठक करते रहे हैं एवं उनके द्वारा मुझे लगातार आदिम जनजातीय की मुख्यधारा लाने के लिए विषेष दिषा निर्देष भी दिये जाते रहे हैं। 
उपायुक्त ने कहा कि कई बार खुद भी मैने वहां जाकर पहाड़िया समुदाय के साथ बैठक की है तथा उनकी समस्याओं का निराकरण किया है। उपायुक्त ने कहा कि हमारा इतिहास पांच हजार साल पुराना है। सिंधु धाटी सभ्यता से लेकर यहाँ कई राजा महाराजा आयें अंग्रेजों ने शासन किया, कुछ ने प्रसिद्धि बनायी एवं कुछ अनाम रह गये। मुख्यमंत्री लगातार इन समप्रदाय के लिए कुछ करते रहे हैं जो सरकार की मानसिकता इनके प्रति दर्षाता है। उन्होंने कहा कि कई पहाड़िया समुदाय के लोग अब भी सरकार के योजनाओं का फायदा नहीं ले पाए है। वैसे भूले बिसरे लोगों को सामने लायें ताकि वह भी हम सब के साथ कदम से कदम मिलाकर चल पायें। उन्होंने कहा कि पहाड़िया लोगों को बहुत से कार्य आते हैं लेकिन उनकी कार्य लुप्त होते नजर आ रही थी लेकिन अब वह पहाड़ पर खेती कर सामने हा रहे हैं जो यह साफ दर्षाता है कि वह दिन दूर नहीं है जब कदम से कदम मिलाकर वह चलने के लिए तैयार होंगे। उन्होंने कहा कि हाथ में हुनर और दम है तो बंजर भूमि में भी फूल उगाया जा सकता है। पहाड़िया समुदाय के कार्य को देखकर मैं खुष हूँ साथ ही उन्होंने विष्वास दिलाया कि आपको किसी भी प्रकार की परेषानी हो सीधे मुझसे कहें मैं उसे दूर करने का हर सम्भव प्रयास करूंगा। उन्होंने कहा कि सिर्फ अपने लिये खेती न करें व्यापार की दृष्टि से खेती करें। उन्होंने कहा कि बहुत जल्द आपकी सब्जियाँ दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता के रसोईयों में बनेंगी मुझे विष्वास है। 
उन्होने कहा कि नये संसाधनों एवं नये तकनीक से डरें नहीं उनका इस्तेमाल करें। उन्होंने कहा कि सभी लोग खेती करें फसल की उत्पादकता को बढ़ायें। आपकी खुषी में हमारी खुषी निहित है।  
गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए उपनिदेषक जनसम्पर्क अजय नाथ झा ने कहा कि पहाड़िया आदीम जनजातीय द्वारा सब्जीयों की प्रदर्षनी इस बात का साफ संकेत दे रहा है कि हमारे पहाड़िया भाई अब विकास की राह पर चलने को तैयार हैं। उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री एवं उपायुक्त दुमका के द्वारा लगातार आदिम जनजातीय का विकास अपनी प्राथमिकता में सबसे उपर है। उन्होंने कहा कि सरकार उनके सर्वांगीण विकास चाहती है। उन्होंने कहा आॅर्गेनिक फार्मिंग का दौर चल रहा है। आप अपने सब्जियों को लेकर बाजार आयें विष्वास दिलाता हूँ कि बाजार की मांग आपकी उत्पादकता बढ़ायेगी। 
आत्मा के निदेषक डाॅ0 देवेष कुमार ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि सभी कृषक मित्र दिन प्रतिदिन नई नई सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं उनकी सब्जियों की मांग इतनी होती है कि ये अपने 
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सब्जियों को बाजार तक पहुंचा नहीं पाते। तकनीकी जानकारी तथा धन्यवाद ज्ञापन कृषि विज्ञान केन्द्र के सीमा सिंह ने दिया। 
इससे पूर्व उपायुक्त एवं टीम ने लगाये गये कृषि प्रदर्षनी का उद्घाटन किया एवं विभिन्न सब्जियों का अवलोकन कर किसानों से बातचीत की। प्रदर्षनी में सब्जी, कुसरा, बरबट्टी, ज्वार, लौकी मसरूम प्याज पहाड़िया आलू, पहाड़िया धनिया पत्ता मुख्य आकर्षण का केन्द्र रहा।  
कृषि पदर्षनी में सब्जियों के गुणों की झलकियाँ:
हमारे जीवन में सब्जियों का महत्वपूर्ण स्थान है। इनमें विटामिन एवं खनिज लवणों के अतिरिक्त प्रोटिन, वसा तथा विटामिन्स पाये जाते हैं। इनमें से किसी की भी कमी होने से हमारा शरीर बिमारग्रस्त हो सकता है। दलहन एवं सब्जी का हमारे जीवन में कितना महत्व है इसके बारे में दूर दराज के गांवों में रहने वाले कृषकों को जागृत करने की आवष्यकता है। हमारे जिला में एक फसलीय खेती की प्रथा वर्षों से हाती आ रही है। जहाँ सिंचाई की व्यवस्था है। वहाँ भी कृषक रबी में अपने खेत को खाली रखते हैं। यदि उस खाली खेतों में दलहन एवं सब्जी की खेती कर लेते हैं तो उन्हें बाजार में अच्छी कीमत पर बेच कर अपना आमदनी भी बढ़ा सकते है और इसका सेवन कर शरीर में पोषक तत्व की कमी को दूर भी कर सकते है। हमारे भोजन में विटामिन ए की काफी कमी होती है क्यों कि भोजन में अन्न की प्रमुखता अधिक होती है और हरी पत्ती वाली सब्जियों की कमी होती है। निम्न आय वर्ग वाले लोगों में कुपोषण का प्रभाव अधिक होता है क्योंकि लोग सब्जी का प्रयोग जरूरत के अनुसार नहीं कर पाते हैं। कुपोषण के कारण जन्म के समय नवजात षिषु का वनज कम होता है एवं उसकी मृत्यु दर अधिक होता है। 
सब्जी उत्पान करने से किसानों की आर्थिक उन्नति भी होता है जैसे यदि कोई किसान 1 एकड़ में गेहूँ अथवा धान की खेती करता है तो उन्हें एक फसल में 25 से 30 हजार का मुनाफा हो सकता है परन्तु वहीं कृषक यदि 1 एकड़ में सब्जी की खेती करते हैं तो उन्हें 1 लाख या उससे अधिक का मुनाफा हो सकता है साथ ही पोषक तत्व की कमी को भी दूर कर सकता है। मानव शरीर में पोषक तत्वों की कमी से होने वाली कई बिमारियाँ हो जाती है जैसे प्रोटीन की कमी से मानसिक विकास में कमी बच्चों की वृद्धि में कमी विटामिन ए की कमी से अंधापन, श्वांस सम्बंधी रोग, विटामिन बी की कमी से मूँह में घाव, भूख की कमी, विटामिन सी की कमी से मसूड़े से खून बहना, चुना की कमी से हड्डियों एवं दांत का कमजोर होना खून जमने में रूकावट एवं लोहा की कमी से रक्त में कमी होना, कमजोरी महसूस करना इत्यादि। इन कमियों को ग्रामीण इलाकों के लोग सब्जियाँ उगाकर और सेवन कर दूर कर सकते हैं। 
इस रोजमर्रा और तेज दौड़ती भागती जिंदगी में शायद ही कोई कोई ऐसा दिन होगा जिस दिन हम अपने घरों में सब्जी, फल, अन्न न खाते होंगे। महंगाई कितनी भी हो या फिर नोटबंदी हो जाय हम हरे सब्जियों के बगैर नहीं रह सकते हरी भरी सब्जियाँ गरमी के मुकाबले सर्दी के मौसम में सहज ही उपलब्ध हो जाती है। कई बार आप इस सब्जियों को देखते तो हैं लेकिन शायद आप न इसका नाम जानते हैं न ही इसे पहले कभी खाये हैं। इनके फायदे जानना महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योकि दुमका के हाट में ये सारी सब्जियाँ हमारे किसान द्वारा उपजा कर लाया जाता है। शकरकंद को आप सभी ने जरूर देखा होगा खाये भी होंगे लेकिन इसके बेहतरीन फायदे जैसे इनमें फाइबर एन्टी आॅक्सीडेन्ट बिटामिन पाये जाते हैं जो हमें स्वस्थ रहने में मदद करता है साथ ही इसका सेवन करने से हमारे नर्वस सिस्टम की सक्रियता बनी रहती है। बैंगन की चटनी हो या बैंगन का सब्जी आपने खाया तो जरूर होगा। हम सभी जानते हैं कि कोई भी बिमारी का मुख्य कारण पेट से ही शुरू होता है और बैंगन पेट को हमेषा साफ रखता है। 
सहजन की सब्जी नाम तो सुना है न आपने यह सब्जी न बल्कि गर्भवती महिलाओं के लिए यह सब्जी बहुत ही फायदेमंद होता है। गाजर की सब्जी तो खाया ही होगा गाजर का हलवा तो सभी को पसंद होता है गाजर हर तरह से फायदे मंद है लेकिन अगर आप गाजर का जूस बनाकर पिते हैं तो यकीन मानिये यह आपके लिए रामबाण के तरह काम करेगा और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है एवं कैलेस्ट्रोल के स्तर को कम करता है। 
इस सर्दी के मौसम में गोभी और पत्तागोभी तो आप खाते ही होंगे लेकिन शायद आप पत्ता गोभी के अप्रकाष गुण को न जानते होंगे कि यह मोतियाबिंद जैसे रोग को खत्म करता है। लौकी यानि कद्दू के फायदे तो सभी जानते हैं यह एक तरफ जहाँ डायबटीज के मरीजों के लिए बहुत ही फायदेमंद है। जो कि 
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आज अधिकांषतः लोगों में पाया जाता है। आलू अधिकोष घरों में इसकी सब्जी इसके छिलके को हटाकर बनाया जाता है लेकिन इसके छिलके को हटाने से इसके गुण में कमी आती है। बथुआ का साग एक बार जरूर खायें यह पायरिया से जुड़ी समस्याओं को तुरंत खत्म कर देता है। कटहल की सब्जी अधिकांषतः मांस न खाने वाले लोगों को बहुत ही पसंद आता है साथ ही कटहल बल्ड प्रेषर जैसी समस्याओं को खत्म करता है। वहीं दूसरी तरफ इसका सेवन करने से बालों को मजबूती मिलती है। चेहरा साफ करता है एवं यह उर्जा का स्त्रोत है। ठीक उसी तरह लहसुन जिसे हम रोज खाते है। यह भी दांत के दर्द को दूर करता है एवं डायरिया जैसी समस्याओं को दूर करता है। कच्चा पपीता टमाटर खीरा करेला, फ्रेंचवीन अगर नहीं खाते हैं तो जरूर खायें और अगर खाते है तो रोज खाने की कोषिष करें इसके फायदे अदभुत है। 
जिनके द्वारा आदिम जन जाति कृषक गोष्ठी सह सब्जी प्रदर्षनी में सब्जीयों का प्रदर्षन किया गया इनकी सूची
प्रेम आनन्द सोरेन, ग्राम दुमका प्रखण्ड दुमका (देषी कद्दू), दिनेष कुमार पुजहर, ग्राम झुरको प्रखण्ड षिकारीपाड़ा (देषी फूलगोभी), अजीत पुजहर, ग्राम झुरको प्रखण्ड षिकारीपाड़ा (देषी फूलगोभी), बाबूलाल पुजहर, ग्राम झुरको प्रखण्ड षिकारीपाड़ा (देषी फ्रेंचबीम), संतोष कुमार पुजहर, ग्राम झुरको प्रखण्ड षिकारीपाड़ा (देषी सफेद मूली), मोहन पुजहर, ग्राम झुरको प्रखण्ड षिकारीपाड़ा (देषी सरसो), महादेव सिंह, ग्राम गंगरकपुर प्रखण्ड षिकारीपाड़ा (देषी टमाटर), पंचानन्द सिंह, ग्राम गंगरकपुर प्रखण्ड षिकारीपाड़ (देषी पालक साग), संजय कुमार सिंह, ग्राम चकलता प्रखण्ड षिकारीपाड़ा (देषी सफेद मूली), ज्योतिष पुजहर, ग्राम झुरको प्रखण्ड षिकारीपाड़ा (देषी फूलगोभी), मोहन देहरी, ग्राम चकलता प्रखण्ड षिकारीपाड़ा (देषी सेम), फूलटुसी देहरी, ग्राम गाम्रा प्रखण्ड षिकारीपाड़ा (देषी बैगन), सुमित्रा देहरी, ग्राम गाम्रा प्रखण्ड षिकारीपाड़ा (देषी प्याज), परमिला देहरी, ग्राम गाम्रा प्रखण्ड षिकारीपाड़ा (देषी फूलगोभी), रानी देहरी, ग्राम षिखाडीह प्रखण्ड षिकारीपाड़ा (देषी प्याज), बीणा देवी, ग्राम षिखाडीह प्रखण्ड षिकारीपाड़ा (देषी बैगन), पतासी देहरी, ग्राम गाम्रा प्रखण्ड षिकारीपाड़ा (देषी फूलगोभी), मंजू देहरी, ग्राम गाम्रा प्रखण्ड षिकारीपाड़ा (देषी सेम), नमिता देहरी, ग्राम झुरको प्रखण्ड षिकारीपाड़ा (देषी टमाटर), कृष्णा देहरी, ग्राम गाम्रा प्रखण्ड षिकारीपाड़ा (देषी बैगन), विनय मांझी, ग्राम बांधडीह प्रखण्ड जरमुण्डी, (देषी प्याज), राजू प्रसाद साह, ग्राम कानुपाड़ा प्रखण्ड दुमका (देषी मूली), सतीलाल सिंह, ग्राम चकलता प्रखण्ड षिकारीपाड़ा (देषी प्याज), गया प्रसाद सिंह, ग्राम चकलता प्रखण्ड षिकारीपाड़ा (देषी धनियापत्ता), वासु देहरी, ग्राम बखनपहाड़ी प्रखण्ड काठीकुण्ड (देषी ज्वार, देषी बाजरा, देषी बरबट्ी), असनी महारानी, ग्राम चकलता प्रखण्ड षिकारीपाड़ा (देषी अरहर), सत्यनारायण पुजहर, ग्राम नौखेता प्रखण्ड रामगढ़ (देषी फूलगोभी)
एक दिवसीय जिलजा स्तरीय सब्जी प्रदर्षनी आदिम जन जाति सह कृषक गोष्ठी में पुरस्कार प्राप्त कृषकों का सूची -
बाबूलाल पुजहर, ग्राम सुरको प्रखण्ड षिकारीपाड़ा- प्रथम, वासु देहरी, ग्राम बथानपहाड़ी प्रखण्ड काठीकुण्ड- द्वितीय, छोटा सुकवा देहरी, ग्राम षिखरपाड़ा प्रखण्ड काठीकुण्ड- तृतीय, चार अन्य कृषकों को पुरस्कृत किया गया जिनका नाम है सुरेन्द्र देहरी, जामचुआ, काठीकुण्ड, सपन कुंवर, खेरीवाड़ी, पहाड़ी टोला, गोपीकान्दर, रमेष देहरी, सरखी, गोपीकान्दर, मानीक देहरी, गमरा, षिकारीपाड़ा।
इस कृषि प्रदर्षनी में गोपीकान्दर, रामगढ़, काठीकुण्ड, षिकारीपाड़ा, जामा के पहाड़िया किसानों ने भारी तादाद में इस गोष्ठी में भाग लिया।











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