Wednesday 28 December 2016

दुमका, 28 दिसम्बर 2016 प्रेस विज्ञप्ति संख्या - 734 
अग्र परियोजना केन्द्र षिकारीपाड़ा द्वारा आयोजित तसर कृषक कार्यषाला-सह-सेमिनार, (षिकारीपाड़ा प्रखण्ड परिसर) के मुख्य अतिथि राहुल कुमार सिन्हा, उपायुक्त दुमका ने उद्घाटन करते हुए कहा कि महात्मा गाॅंधी के यह पंक्ति प्रासंगिक है कि श्जो परिवर्तन आप चाहते है, उसे आप को ही करना होगाश्। अंग्रेजों के जमाने के समय का नील की खेती से आज हम अपने आप को उन्नत कृषि में कैसे विकसित किये हैं उस पर प्रकाष डाला। उन्होनें अहवान किया कि समय की माॅंग है कि तसर पालन में भी जो नये नये तकनीक आ रहें है उसका आप उपयोग करें। इस कार्यषाला में कृषकों के बीच तसर उद्योग एक परिचय को वितरित किया गया था, जो हिन्दी एवं संथाली में है। उसमें विभिन्न प्रकार के प्रबंधनों के बारे में लिखा गया है उस पुस्तिका में दिये गये सुझााव को आप तसर कृषक बंधु इसका हु-ब-हू अपने तसर पालन में उपयोग करें। उन्होंने नवजवानों को भी तसर पालन में बढ़चढ़ कर भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किये। कैषलेस प्रक्रिया से जुड़ने के लिए भी उपायुक्त महोदय ने लोगों को आगे आने को कहा।
सुधीर कुमार सिंह, अग्र परियोजना पदाधिकारी ने कार्यषाला को सम्बोधित करते हुए कार्यषाला के उदेष्य पर प्रकाष डालते हुए बताये कि तसर कीटपालन आर्थिक उन्नति, पलायन उनमूलन एवं वन संरक्षण का सबसे उपयोगी साधन है। इस कार्यषाला के माध्यम से तसर कीटपालकों एवं इस कार्य से जुड़े हुए कृषकों सरकार के विभिन्न विभागों के योजनाओं से जुड़कर अपना आर्थिक विकास करें। उन्होंने बताया कि इस केन्द्र के कमाण्ड क्षेत्र के श्रीमति सुन्दरी हेम्ब्रम, ग्राम- कुषबोना, जिन्होंने सबसे अधिक उत्पादन 23560 ककून का किया जिससे 65968.00 रूपये का आय हुआ। दूसरे स्थान पर श्री सुरज हाॅंसदा, ग्राम- जामबाद जिन्होंने 19036 ककून का उत्पादन किया जिससे उन्हें 53301.00 रूपये का आय हुआ। तीसरे स्थान पर श्री निंबुलाल मुमू, ग्राम कुषबोना 17000 ककून का उत्पादन किया, जिससे 47600.00 रूपये का आय हुआ। जिन कीटपालकों का कीटपालन के दौरान उत्पादन का ह्नास हुआ है उन्हें फसल बीमा के तहत अच्दादित कर लिया गया है।
परियोजना निदेशक, आत्मा दुमका ने कृषि के विभिन्न आयामों पर विस्तार पूर्वक चर्चा करते हुए कृषि यंत्र बैंक से कृषकों को लाभ उठाने का अह्वान किये। तसर के साथ साथ खरी फसल, रबी फसल, तिलहन एवं दलहन के उत्पादन के विभिन्न तकनिक के बारे में उन्होंने बताया। श्री विधि क्या है उससे उत्पादन को कैसे बढ़ाया जा सकता है तथा इससे क्या क्या लाभ है साथ ही सरकार के कृषि से संबंधित विभिन्न योजनाआों के बारे में बताया- अनुदानित दर पर पम्प सेट, बीज एवं कृषि यंत्र कैसे प्राप्त कर सकते है, इनकी क्या प्रकिया है इनके सारे पहलूओं पर प्रकाश डाला।
रेशम विभाग के द्वारा इफको के माध्यम से मुफ्त में सिम कार्ड वितरण किया गया जिसके माध्यम से तसर कीटपालन एवं कृषि से संबंधित जानकारी मुफ्त में प्राप्त किया जा सकता है।
इस कार्यशाला को जिला सूचना एवं विज्ञान पदाधिकारी, जिला कोषागार पदाधिकारी ने भी संबोधित किया। कार्यषाला में अग्र परियोजना पदाधिकारी, कुष्चिरा, प्रबंधक काठीजोरिया, बी0एस0एम0टी0सी0 काठीकुंड के श्री घोष जी उपस्थित थे।
तकनीकी सत्र में खाद्य पौधा प्रंबधन, बीजागार प्रबंधन, कीटपालन प्रबंधन, रोग प्रबंधन आदि बिन्दुओं पर मुरलीधर सिंह, शंभूनाथ झा, श्री घोष, अमित टुडू, विनय रंजन एवं श्रुति साक्षी के द्वारा विस्तारपूर्वक बताया गया। 
मंच का संचालन मो0 नईमउद्दीन, अग्र परियोजना पदाधिकारी, काठीकुंड के द्वारा किया गया। 







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