दुमका, 20 जनवरी 2017 प्रेस विज्ञप्ति संख्या - 035
दीक्षांत समारोह षिक्षा का समापन नहीं बल्कि एक चुनौतीपूर्ण जीवन का आगाज़ है...
- द्रौपदी मुर्मू, राज्यपाल झारखण्ड
दुमका में सिदो कन्हू मुर्मू विष्वविद्यालय के चैथे दीक्षांत समारोह में 1054 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गई। इस अवसर पर कुलाधिपति सह राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि दीक्षांत समारोह षिक्षा का समापन नहीं बल्कि एक चुनौतीपूर्ण जीवन का आगाज़ है। उन्होंने कहा कि षिक्षा में जाति, लिंग और वर्ग के आधार पर किसी प्रकार की बाधा को न आने दें। यह भी कहा कि षिक्षा को सामाजिक कुरीतियों को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। षिक्षण संस्थान ऐसे हों जिनमें समाजसेवक, देषभक्त और कुषल नागरिक के रूप में नैतिकवान और चरित्रवान नागरिक बनें। जो देष के लिए अमूल्य संपदा सिद्ध हों। षिक्षक विद्यार्थियों को अपने संतान के सदृष्य माने। विद्यार्थियों की सफलता में ही षिक्षक का असली सम्मान निहित है।
कुलाधिपति ने कहा कि ज्ञान और सूचना प्रद्यौगिकी के सही समन्नवय से राज्य के विकास की गति को तेज कर सकते हैं। राज्य के अधिक से अधिक युवा उच्च षिक्षा प्राप्त करें। लड़कियां, पिछड़े वर्ग, अल्पसंख्यक, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के अधिक से अधिक छात्र उच्च षिक्षा हासिल करें। उच्च षिक्षा को अधिक से अधिक लोगों के बीच पहुंचाने के लिए कई नये षिक्षण संस्थानों की स्थापना करने का प्रयास किया जा रहा है। तकनीकि, सामाजिक संकाय, वोकेषनल एवं रोजगार आधारित पाठ्यक्रम को बढ़ावा देने की कोषिष की जा रही है।
कुलाधिपति ने विद्यार्थियों का आह्वान करते हुए कहा कि वे अपने प्रतिभा से सफलता का ऐसा परचम लहरायें जिससे पूरे राष्ट्र के सामने इस विष्वविद्यालय को एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जा सके। कुलाधिपति ने सिदो कान्हु चान्द भैरव फुलो झानो के संघर्षषील चरित्र का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस प्रकार ब्रटिष हुकूमत के विरूद्ध उन्होंने अपना बलिदान दिया उस उच्च प्रतिमान को ध्यान में रखते हुए षिक्षण के प्रति समर्पित होने का आह्वान किया।
इस अवसर पर टीएनयू यूनिर्वसिटी के कुलपति ए एस कोलेस्कर ने अपने दीक्षांत भाषण में इनोवेटिव अर्थव्यवस्था में ग्रामीण षिक्षित युवाआंे की भूमिका का विषेष उल्लेख किया। उन्होंने मराठी की प्रसिद्ध लोकोक्ति - ज्ञान गंगा घरोघरी अर्थात हर घर तक षिक्षा की रौषनी पहुँचे, का उदाहरण देते हुए उच्च षिक्षा को वैष्विक चुनौतियों के परिपे्रक्ष्य में ग्रामीण विद्यार्थियों के बीच ले जाने की आवष्यकता जतायी। उन्होंने षिक्षा को केवल रोजगार तक सीमित कर के देखने की पारम्परिक सोच से उपर उठकर देष निर्माण का एक महत्वपूर्ण माध्यम समझने पर बल दिया। बदलते हुए वैष्विक परिदृष्य में वैचारिक जड़ता भी प्रगति में बाधक होगी।
कुलपति ने अपने सम्बोधन में पिछले तीन वर्षों में अपने लगातार और व्यवस्थित प्रयासों का उल्लेख करते हुए विष्वविद्यालय को देष के प्रमुख विष्वविद्यालयों की अग्रिम पंक्ति में ले जाने की बात कही। उन्होंने सीमित संसाधनों और दुरूह चुनौतियों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उनकी केवल एक ही प्राथमिकता है विष्वविद्यालय में बहुआयामी षिक्षण पर जोर देना। जिसके लिए वह समर्पित प्रयास कर रहे है।
दीक्षांत समारोह में एकेडमिक प्रोषेसन को सबसे आगे रजिस्ट्रार नेतृत्व दे रहे थे। इस अवसर पर 1043 छात्रों को उपधि दी गई एवं इसके अलावा 35 छात्रों को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। उपाधि प्राप्त करने वाले छात्रों में पीएच.डी. के 44, एम.एड. के 34 तथा एम.ए. के 965 छात्र शामिल थे।
स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले छात्रों में वर्ष 2012 से 2015 तक 4 बेस्ट ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट के 18 टाॅपर, एम.एड के 3 टाॅपर एवं बी.बी.ए. और बी.सी.ए. के 4-4 टाॅपर को गोल्ड मैडल से सम्मानित किया गया।
महत्वपूर्ण शोध प्रबंधों में भौतिकी के किषोर लाल मंडल थ्योरेटिकल स्टडी आॅफ क्वांटम ट्रांसपोर्ट इन कार्बन नैनो ट्यूब जंक्षन अन्डर मैगनेटिक फील्ड, प्रियंका पाण्डेय का उषा प्रियंवदा के उपन्यास षिल्प और जीवन दृष्टि, प्रतिमा झा का स्वातंत्र्योत्तर भारत में संताल परगना के सामाजिक आर्थिक उत्थान में जनजातीय नारी की भूमिका, कुसुम कुमारी का दामिन ए कोह में 1942 का भारत छोड़ो अन्दोलन आदि के लिए उपाधि दी गई।
राष्ट्रधुन एवं विष्वविद्यालय के पारम्परिक कुल गीत से कार्यक्रम की शुरूआत हुई तथा निबंधक पी. के. घोष ने मंच का संचालन किया। दीक्षांत समारोह के अवसर पर इन्डोर स्टेडियम में विष्वविद्यालय के 25 वर्ष पूरे होने पर पूरे प्रमंडल के महाविद्यालयों के चयनित सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति माहामहिम राज्यपाल सह कुलाधिपति के समक्ष किया गया एवं विभिन्न अवसरों पर आयोजित कार्यक्रमों के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर स्पंदन स्मारिका का विमोचन भी किया गया। जिसके सम्पादक डा अजय सिन्हा और प्रो. अच्युत चेतन हैं। इन्डोर स्टेडियम में सांस्कृतिक कार्यक्रम का संचालन देवघर काॅलेज की प्राचार्या डा प्रमोदिनी हांसदा ने किया।
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