Friday, 28 January 2022

दिनांक- 27 जनवरी 2022 प्रेस विज्ञप्ति संख्या-88

 दिनांक- 27 जनवरी 2022

प्रेस विज्ञप्ति संख्या-88


सीडब्ल्यूसी ने नवजात जुड़वा बच्चियों को अपने संरक्षण में लिया


मां के मौत के बाद जुड़वा बच्चियों को छोड़ कर चला गया है पिता


अखबारों में छपे खबर पर सीडब्ल्यूसी ने मामले का लिया स्वतः संज्ञान


बाल कल्याण समिति ने स्वतः संज्ञान लेते हुए बासुकीनाथ में रह रही नवजात जुड़वा बच्चियों को अपने देखरेख और संरक्षण में ले लिया है। समिति ने जुड़वां बच्चियों का नामांकरण करते हुए उन्हें अगले आदेश तक स्पेशल एडोप्टेशन एजेंसी के जिम्मे रखा है। दरअसल बासुकीनाथ के नंदी चौक के पास रह रहे एक किरायेदार की पत्नी ने एक माह पूर्व जुड़वां बच्चियों को जन्म दिया था। 25 जनवरी को अखबारों में यह खबर प्रकाशित हुई कि जुड़वां बच्चियों की मां की इलाज के दौरान मौत हो गयी। जानकारी के मुताबिक 22 जनवरी की रात जरमुंडी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बच्चियों के मां की मृत्यु हो गई। शव एवं दोनों बच्चियों को बासुकीनाथ स्थित उसके भाड़ा के घर में लाया गया। 23 जनवरी की सुबह पत्नी का शव और दोनों बच्चियों को मकान मालिक के भरोसे छोड़ कर उनका पिता कहीं भाग गया। दोपहर तक उसका इंतजार करने के बाद मकान मालिक ने किरायेदार के घर एवं ससुराल दोनों में फोन कर घटना की सूचना दी पर दोनों परिवारों ने दाह संस्कार करने व बच्चियों के पालन से इन्कार कर दिया। रविवार की शाम बासुकीनाथ नगर पंचायत की मदद से शव का अंतिम संस्कार किया गया। 25 जनवरी को अखबारों में प्रकाशित खबर पर बाल कल्याण समिति के तीनों सदस्यों- रंजन कुमार सिन्हा, डा राज कुमार उपाध्याय एवं कुमारी बिजय लक्ष्मी ने स्वतः संज्ञान लेते हुए दोनों बच्चियों को सीएनसीपी घोषित करते हुए जरमुण्डी थाना प्रभारी को एक पत्र जारी कर दोनों जुड़वां बच्चियों को बाल कल्याण समिति के समक्ष उपस्थापित करने का निर्देश दिया। जरमुण्डी थाना प्रभारी ने एक टीम भेजकर मकान मालिक से दोनों बच्चियों को प्राप्त कर गुरूवार को उन्हें बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया। समिति ने दोनों बच्चियों को अपने संरक्षण में लेकर उन्हें दुमका के बक्सीबांध मोहल्ले में स्थित विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान में भेज दिया है। यदि इन दोनों बच्चियों का कोई जैविक अभिभावक सामने नहीं आता है तो प्रक्रिया के तहत बाल कल्याण समिति दोनों को गोद लेने के लिए कानूनी रूप से मुक्त घोषित कर देगी, जिसके बाद उसको गोद देने की प्रक्रिया पूरी की जा सकेगी।

 जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी (डीसीपीओ) प्रकाश चंद्र ने बताया कि बच्चे को गोद लेने के लिए भावी मां-बाप को कई तरह की प्रक्रियाओं से गुज़रना होता है। केन्द्र सरकार ने इसके लिए सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (सीएआरए, या कारा) गठित की है। कारा नामक यह संस्था नोडल बॉडी की तरह काम करती है। यह मुख्य रूप से अनाथ, छोड़ दिए गए और आत्म-समर्पण करने वाले बच्चों के अडॉप्शन के लिए काम करती है। बच्चे को गोद लेने के इच्छुक अभिभावक को कारा के वेबसाइट पर निबंधन करवाना होता है। उन्होंने बताया कि बच्चे को गोद लेना एक क़ानूनी प्रक्रिया है, लेकिन इसमें पैसे का लेन-देन नहीं होता है।

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