दुमका 23 सितम्बर 2017
प्रेस विज्ञप्ति संख्या - 566
समाहरणालय सभागार दुमका में मुख्य सूचना आयुक्त झारखण्ड श्री आदित्य स्वरूप की अध्यक्षता में ‘‘सूचना का अधिकार’’ अधिनियम पर कार्यषाला सह जागरूकता अभियान का आयोजन किया गया। इस कार्यषाला का उद्देष्य सूचना का अधिकार अधिनियम की विस्तृत जानकारी जिला स्तरीय जन सूचना अधिकारियों को उपलब्ध कराना था।
जिला स्तर के अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए सूचना आयुक्त ने कहा कि यह अधिनियम नियम के अनुसार कार्य करने के लिए उत्प्रेरित करता है। प्रषासन के कार्यो को पारदर्षी बनाने के लिए भारत सरकार ने इसे पारित कराया था। सुषासन के लिए सूचना का अधिकार अधिनियम मुख्य रूप से आवष्यक है। सभी लोगों को ससमय एवं पारदर्षी ढंग से सूचना मिले यह उनका मौलिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि हम लोगों को ज्यादा से ज्यादा मामलों में सूचना दें लेकिन वैसी सूचना कभी ना दें जिससे देष राज्य आदि का नुकसान हो। सहज और सरल तरिके से सूचना उपलब्ध करायें। सूचना देना अनिवार्यता है और सूचना ना देना अपवाद।
उन्होंने कहा कि सूचना का अधिकार अर्थात राईट टू इन्फाॅरमेशन। सूचना का अधिकार का तात्पर्य है, सूचना पाने का अधिकार, जो सूचना अधिकार कानून लागू करने वाला राष्ट्र अपने नागरिकों को प्रदान करता है। सूचना अधिकार के द्वारा राष्ट्र अपने नागरिकों को अपनी कार्य और शासन प्रणाली को सार्वजनिक करता है। यह एक ऐसा अधिनियम है जिससे जनता पत्र के माध्यम से जानकारी प्राप्त कर सकता है। भारत का नागरिक सूचना का अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत महज 10 रुपये के शुल्क पर एक सादे कागज में अपनी सूचना मांग सकता है। गरीबी रेखा से नीचे बसर करने वाले परिवार निःषुल्क सूचना मांग सकता है।
अगर सूचना देने में किसी प्रकार का सरकारी व्यय होता है तो पूरा व्यय आवेदक को देना होगा। आवेदक 30 दिन के भीतर अपने व्यय को जमा नहीं करता है तो सूचना उपलब्ध कराना आवष्यक नहीं होगा। सूचना उपलब्ध कराने का पूरा व्यय का ब्योरा आवेदक को पत्र के माध्यम से 30 दिन के पूर्व भेजना अनिवार्य है। 30 दिन के अन्दर अगर आवेदक से व्यय नहीं मांगा गया तो आवेदक को निःषुल्क सारी जानकारी उपलब्ध करानी होगी। आवेदक संबंधित विभाग के जनसूचना पदाधिकारी के माध्यम से सूचना मांग सकते हैं। पत्र का जवाब हमेषा स्पीड पोस्ट या निबंधित डाक के माध्यम से भेजा जाना अनिवार्य है।
उन्होंने कहा कि यदि कोई जन सूचना अधिकारी यह समझता है कि मांगी गई सूचना उसके विभाग से सम्बंधित नहीं है तो यह उसका कर्तव्य है कि उस आवेदन को पांच दिन के अन्दर सम्बंधित विभाग को भेजे और आवेदक को भी सूचित करे। ऐसी स्थिति में सूचना मिलने की समय सीमा 30 की जगह 35 दिन होगी। यदि लोक सूचना अधिकारी निर्धारित समय-सीमा के भीतर सूचना नहीं देते है या दी गई सूचना से सन्तुष्ट नहीं होने की स्थिति में 30 दिनों के भीतर सम्बंधित जनसूचना अधिकारी के वरिष्ठ अधिकारी यानि प्रथम अपील अधिकारी के समक्ष प्रथम अपील की जा सकती है। यदि प्रथम अपील से भी सन्तुष्ट नहीं हैं तो दूसरी अपील 60 दिनों के भीतर राज्य सूचना आयोग के पास कर सकते हैं। उन्होंने सूचना ना देने पर होने वाले कार्रवाई के बारे में भी विस्तृत चर्चा की।
इस अवसर पर दुमका के उपायुक्त मुकेष कुमार ने कहा कि इस तरह के कार्यषाला से लोग लाभान्वित होंगे। उन्होंने कहा कि आम नागरिकों के लिए सूचना का अधिकार किसी हथियार से कम नहीं है। यह अधिनियम प्रषासन की व्यवस्था तथा पारदर्षिता के लिए जरूरी है।
उपायुक्त मुकेष कुमार ने सरकार के 1000 दिन पूर्ण होने के अवसर पर बने काॅफी टेबल बुक एवं स्मृति चिन्ह मुख्य सूचना आयुक्त झारखण्ड श्री आदित्य स्वरूप को प्रदान किया।
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