दिनांक- 16 अप्रैल 2022
प्रेस विज्ञप्ति संख्या-0326
राजकीय पुस्कालय की ओर से जिला प्रशासन दुमका द्वारा आयोजित साहित्य उत्सव का उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर किया गया।उपायुक्त,जिला प्रशासन के वरीय अधिकारियों तथा सम्मानित अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्वलन किया गया। दो दिनों 16 एवं 17 अप्रैल 2022 तक चलने वाले इस उत्सव में देश के कई लेख़क, साहित्यकार एवं पुस्तक प्रेमी भाग ले रहे हैं।
कार्यक्रम के उद्घाटन के उपरांत प्रथम सत्र में "मेरे जीवन मे पुस्तकालय" विषय पर परिचर्चा हुई।जिस सत्र का संचालन चंद्रहास चौधरी ने किया।
इस दौरान रणेन्द्र टीआरआई के निदेशक ने कहा कि किसी व्यक्ति के ओहदे का अंदाज़ा उसके घर के निजी पुस्तकालय से लगाया जा सकता है।पिता मिझे enginer बनाना चाहते रहे पर किताबों ने मुझे बहुत कुछ बना दिया। किताबों ने मेरे सारे सपने को पूरा कर दिया। किताबों और पुस्तकालय का आकर्षण वह रोग है जिसे लग जाता है वह मुक्त नहीं हो सकता है।
इस दौरान महादेव टोप्पो ने कहा कि छात्र जीवन मे ही पुस्तकालय से पुस्तक लेकर पढ़ा करता था तब मुझे यकीन नहीं था कि एक दिन मैं भी लेखक बनूँगा और मेरी किताबें पुस्तकालय में होगी।दुमका में साहित्य का यह जो अभियान शुरुआत हुआ वह झारखंड के हर जिले तक पहुँचना चाहिए।
इस दौरान प्रोफ़ेसर चेतन मेरा पहला पुस्तकालय मेरे घर का अपना निजी लाइब्रेरी था जिसे पिताजी ने समृद्ध किया था वहीं से मुझे पुस्तकों से जुड़ाव बना।आज उपहार में लोग बहुत सारी चीजें देते हैं लेकिन पुस्तक उपहार में देने का चलन घटता जा रहा है।पुस्तकालय एक चुप्पी होती है लेकिन एक तरह का शोर भी होता है जिसमे एक साथ बहुत सारी किताबें बहुत कुछ कहती है।
इस दौरान चुंडा सोरेन सिपाही ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में भाषा और साहित्य का महत्वपूर्ण योगदान है।इस पुस्तकालय में संथली भाषा के महत्वपूर्ण पुस्तकों को रखा जाना चाहिए।
इस दौरान अनुज लुगुन साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार से सम्मानित ने कहा कि यह हूल की धरती है जहां आज साहित्य का यह उत्सव हो रहा है।यह भी एक प्रकार का साहित्यिक सांस्कृतिक हूल ही है।आज अगर यहाँ तक पहुंचा हूँ तो पुस्तकालय के रास्ते से होकर पहुँचा हूँ।यूं तो मेरी पहली पाठशाला नदी,पहाड़ और जंगल ही रह है जो बाद में जाकर किताबों तक पहुँचा।
इस दौरान लेखक रजत उभयकर ने कहा कि पुस्तकालय एक ऐसा स्थान जहाँ से बेहतर जीवन की कल्पना की जा सकती है।
इस दौरान लेखक मिहिर वत्स ने कहा कि सिर्फ पाठ्यक्रम से हटकर भी पुस्तकें पढ़ें तभी जीवन मे कुछ बेहतर कर सकते हैं क्योंकि पुस्तकालय के अंदर जीवन है।
इस दौरान दुमका के लेखक विनय सौरभ ने कहा कि जिला प्रशासन का आभारी हूँ कि उन्होंने पुस्तकालय को बहेतर बनाने का कार्य किया है और आज यहां पुस्तकों पर बात हो रही है।जेब खर्च के पैसे बचाकर किताबें पत्रिकाओं को पढ़ता था।
इस दौरान साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार से सम्मानित लेखक निलोत्पल मृणाल ने कहा कि दुमका आज लोगों को गूगल की संकरी गली से निकालकर पुस्तकालय तक पहुँचा रहा है।आज का यह साहित्य उत्सव साहित्यिक सांस्कृतिक आंदोलन की तरह है जिसे आने वाले वर्षों में याद किया जाएगा।
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