Sunday 29 May 2016

दुमका, दिनांक 29 मई 2016 
प्रेस विज्ञप्ति संख्या - 262 
दुमका के उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने एक इतिहास रच दिया है। वैसे समय में जब पूरे देश में न्यायालयों में लंबित वादों को कम करने की कवायद हो रही है। वैसे में दुमका के उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने एक मिसाल कायम करते हुए एक नयी राह सबके सामने रखने का प्रयास किया है। 

दुमका के उपायुक्त के न्यायालय में आज की तारीख में एक भी वाद लंबित नहीं है। 17 फरवरी 2015 को जब उपायुक्त लंबित वादों की संख्या 513 थी। इस तरह पिछले एक वर्ष में लंबित वाद बढ़ कर 628 हो गये थे। पर आज की तारीख में लंबित वाद शून्य हो गया है।
उपायुक्त के राजस्व न्यायालय में रेवन्यू मिसलेनियस अपील, रेवेन्यू मिसलेनियस पेटीसन, सर्टिफिकेट अपील, हाउस रेंट अपील, सिविल अपील, के 513 मामले 17 फरवरी 2015 तक लंबित थे। 44 नये मामले और आये। पुनर्विचार हेतु भेजे गये वाद सहित 574 मामले निष्पादित किये गये और प्रषासनिक अधिहरण एवं पी0डी0 आदि के 54 मामले निष्पादित किये गये कुल 628 मामले निष्पादित किये गये।
लंबित वादों में सन् 1982-83 से ही कुछ मामले लंबित थे। अगर वर्षवार ब्यौरा देखा जाय तो 1982-83 के 01, 1983-84 के 02, 1985-86 के 01, 1986-87 के 02, 1987-88 के 06, 1994-95 के 04 आदि महत्वपूर्ण आंकड़े हैं। इन मामलों में तारीख पर तारीख पड़ती रही। 
उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि लंबित वादों के निष्पादन हेतु उन्होंने अंगीकरण हेतु आये मामले के एक ही सुनवाई में समय देकर सुनवाई की तथा तत्क्षण अंगीकृत कर लिया तथा सुनवाई हेतु जल्द से जल्द तारीख दी गयी। 
उपायुक्त ने कहा कि सप्ताह में न्यायालय की दो तिथि तय की गयी ताकि अधिक से अधिक मामलों की सुनवायी हो सके। साथ ही, सुनवाई के लिए निर्धारित वाद की हर हाल में सुनवाई उस तिथि को पूरी की गई। यदि कोई पक्ष तैयारी के साथ नहीं आने की दलील देता तो उनसे ‘‘नोट्स ऑफ रिट्न आरग्यूमेंट्स’’ ले लिया करते। 
उपायुक्त ने बताया कि वे स्वयं सुनवाई के लिए निर्धारित सभी वादों के इतिहास और पूरे मामले का अध्ययन कर न्यायालय में उपस्थित रहते तथा तय तारीख को सुनवाई पूरी कर ली जाती थी। उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने कहा कि कई मामलों में वादी या प्रतिवादी तय तारीख को अनुपस्थित रहते थे - वैसे मामलों में अंतिम चेतावनी दी गयी कि यदि तय तारीख को उपस्थित नहीं होते हैं तो अभिरूचि के अभाव में वाद समाप्त कर दिया जायेगा। 
उपायुक्त ने कहा कि मुवक्किलों को महीने में सिर्फ दो तारीख ही दी गयी एक अंगीकरण की तथा दूसरी सुनवायी की जिससे उनहें लगातार हाजिरी देने बार-बार न्यायालय आने की आवश्यकता नहीं पड़ी। 
उपायुक्त ने कहा कि निचले न्यायालयों से अभिलेख आने में विलम्ब भी लंबित होने का कारण हुआ करता था। उपायुक्त ने कहा कि अभिलेख मांगने की एक सुदृढ़ प्रक्रिया की गई कि जिससे निष्पादन में तेजी आई। 
इस तरह उपायुक्त दुमका के राजस्व न्यायालय के सभी वाद समाप्त हो गये हैं। वर्तमान में न्यायालय में कोई भी पुराना वाद अब लंबित नहीं है और ना ही किसी नये मामले को किसी ने दायर किया है। 

उपायुक्त के पेसकार संजय मंडल ने कहा कि बस इसकी कल्पना ही की जा सकती थी। पर यह सच हो गया है। पिछले दिनों मीडिया द्वारा आयोजित एक परिचर्चा में एक विद्वान अधिवक्ता ने कहा कि उपायुक्त कोई अगली तारीख नहीं देते हैं, इसलिए परिचर्चा से जाने की इजाजत मांगी। 
एक वादी प्रबेल मांझी ने बताया कि तारीख पर तारीख से केवल उम्मीदें ही नहीं टूटतीं भरोसा भी उठ जाता है। 1987-88 से दौड़ रहा था पर, अब न्याय हो गया है।

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