Monday 17 February 2020

दिनांक- 14 फरवरी 2020
प्रेस विज्ञप्ति संख्या-161

दुमका जिला में बाल विवाह एवं बाल संरक्षण विषय पर जिला कार्ययोजना निर्माण हेतु कार्यशाला का आयोजन

बाल विवाह, बाल श्रम एवं मानव व्यापार जैसे सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन हेतु जिला कार्ययोजना बनाने के लिए बाल कल्याण समिति, किशोर न्याय बोर्ड, जिला बाल संरक्षण इकाई एवं स्वयंसेवी संस्थाओं का एक दिवसीय कार्यशाला डी.आर.डी.ए. सभागार में आयोजित की गई।
कार्यशाला का आयोजन जिला समाज कल्याण पदाधिकारी श्रीमती स्वेता भारती के पहल पर किया गया। जिसे सम्बोधित करते हुए एक्शन एड, युनिसेफ के जिला समन्वयक प्रमोद कुमार वर्मा ने कहा कि जिला, प्रखण्ड एवं ग्राम स्तर पर बने बाल संरक्षण समिति का नियमित बैठक कर स्टेकहोल्डर्स को जिम्मेवार बनाने की आवश्यकता है। साथ ही उन्होने कहा कि बाल विवाह निषेध पदाधिकारी को सूचना तंत्र विकसित करना चाहिए जिससे कि बाल विवाह होने संबंधित सूचना तुरन्त प्राप्त हो सके और उसपर त्वरीत कार्रवाई की जा सके।
जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी श्री प्रकाश चन्द्र ने उपस्थित सभी स्टेकहोल्डर्स का स्वागत किया और कहा कि आगामी वित्तीय वर्ष के लिए कार्ययोजना बनाया जाना है। जिसका प्रथम बैठक आज आयोजित की जा रही है। इस कार्यशाला में आए सुझाव के अनुसार योजना बनाकर कार्यान्वित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि गंभीर परिस्थतियों में रहने वाले परिवार के बच्चों को स्पोन्सरशीप एवं फोस्टर केयर योजना से जोड़ा जा रहा है, इसके लिए आवेदन जिला बाल संरक्षण ईकाई में जमा किया जा सकता है।
बाल विवाह उन्मूलन एवं बाल अधिकार के संरक्षण हेतु उपस्थित सदस्यों ने सुझाव दिया गया कि अनिवार्य विवाह निबंधन को सख्ती से लागू किया जाए, दिवाल लेखन, नुक्कड़नाटक, रेडियो एवं हाॅर्डिंग के माध्यम से बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, के प्रावधानों का प्रचार प्रसार किया जाए। सभी आवासीय बालिका विद्यालयों में शिकायत पेटी एवं हेल्पलाईन टेलीफोन लगाया जाए । जिससे कि बालक/बालिकाऐं निःसंकोच अपनी शिकायत दर्ज करा कसें। विवाह कराने वाले धर्मगुरूओं का जिला एवं प्रखण्ड स्तर पर सम्मेलन कर उन्हें संवेदनशील बनाया जाए । जिससे कि विवाह कराने से पूर्व वर-वधु का उम्र कानूनन पूरा होने पर ही विवाह करायें। कार्यशाला में बाल-विवाह, मानव-व्यापार, और बाल-श्रम के क्षेत्र को चिन्हित किया गया। जिसमें सरैयाहाट, जामा और जरमुण्डी में बाल विवाह तथा रामगढ़ प्रखण्ड में मानव व्यापार की अधिकता बताई गई। साथ ही क्षेत्र में कार्यरत स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा चलाये जा रहे कार्यो की भी सूची तैयार की गई। जिससे प्रखण्ड वार संस्थाओं को सहयोग प्राप्त किया जा सके।
श्री मनोज कुमार साह, अध्यक्ष बाल कल्याण समिति ने कहा कि अभिभावक, स्वयंसेवी संस्थाओं और सरकार के सामूहिक प्रयास से ही बच्चों का असुरक्षित पलायन, बाल विवाह रोका जा सकता है। इसके लिए विद्यालय से ड्राॅप आउट कम करने की आवश्यक्ता है। विद्यालय नहीं जाने वाले बच्चों को ब्रीज कोर्स के माध्यम से शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा जाए और अति दुर्गम क्षेत्र के बच्चों के लिए अधिक से अधिक आवासीय विद्यालय खोलने की आवश्यकता बताया। 
कार्यशाला में बाल कल्याण समिति के सदस्य रमेश साह, रंजन कुमार सिन्हा, धर्मेन्द्र नारायण प्रसाद, सुमिता सिंह, किशोर न्याय बोर्ड की सदस्य रेणु कुमारी, कुमार प्रभात, एलपीओ अनिल मोहन ठाकुर के अलावे स्वयेसेवी संस्थाओं विकास भारती, सिनी, जीपीभीएस, जबाला, लोक कल्याण सेवा केन्द्र, मानवी चेतना विकास, स्वामी प्रणवानन्द सेवा मिशन, रेड क्राॅस, खादी ग्रामोद्योग, अभ्युदय जन कल्याण आश्रम के सदस्यों ने भी अपने-अपने विचार रखे।

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