दिनांक-22 अगस्त 2019
प्रेस विज्ञप्ति संख्या-1348
इंडोर स्टेडियम दुमका में जनजातीय आजीविका संवर्धन-सह- सशक्तिकरण सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन के मुख्य अतिथि माननीया मंत्री डॉक्टर लुईस मरांडी थी। झारखंड आदिवासी सशक्तिकरण एवं आजीविका परियोजना झारखंड सरकार, संयुक्त राष्ट्र संघ के विशिष्ट संस्था इंटरनेशनल फंड फॉर एग्रीकल्चरल डेवलपमेंट द्वारा वित्त पोषित परियोजना की गई। इस परियोजना की अवधि 2013 से 2021 है परंतु परियोजना को अप्रैल माह वर्ष 2015 से क्रियान्वयन किया जा रहा है।
इस परियोजना का लक्ष्य ग्राम समुदाय आधारित संस्थानों के सशक्तिकरण, आदिवासी एवं गरीब परिवारों को स्थाई प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन द्वारा खाद्दान्न सुरक्षा उपलब्ध करवाना एवं नगदी आय में वृद्धि सुनिश्चित करते हेतु उसके जीवन स्तर में सुधार ले आना है। इस परियोजना में कुल लागत 635.75 करोड़ है, जिसमें आईफाड 280.36 करोड़, झारखंड सरकार 26.04 करोड़, SCA से TSP 81.04 करोड़, मनरेगा 242.86 करोड़ एवं लाभुक अंशदान 5.09 करोड़ है।
माननीय मंत्री डॉक्टर लुईस मरांडी ने संबोधित करते हुए कहां की झारखंड सरकार द्वारा चलाया गया इस योजना में गरीब परिवारों को अपनी जिंदगी बेहतर बनाने का बहुत सुंदर अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि यहां मौजूद युवा इस अवसर पर बहुत ही बेहतर ढंग से समझ पा रहे होंगे क्योंकि उनके अंदर कुछ कर जाने की दृढ़ इच्छा रहती है पर आर्थिक तिथि के कारण वह कुछ ना करने को मजबूर हो जाते हैं। सामुदायिक सशक्तिकरण कार्यक्रम के लिए ग्रामसभा परियोजना क्रियान्वयन समितियों का गठन किया गया जिसमें कुल सदस्यों की संख्या 19867 है प्रत्येक गठन में 50% महिला सदस्य की भागीदारी अनिवार्य है। महिला को सशक्तीकरण बनाने के लिए महिला स्वयं सहायता समूह का गठन किया गया है जिसमें 64332 महिलाएं शामिल है, इसमें से 5186 महिला स्वयं सहायता समूह का बैंक खाता खुलवाया गया एवं 5.63 करोड़ सीड कैपिटल उपलब्ध कराई गई। किसानों की सहायता के लिए किसान सेवा केंद्र उपलब्ध कराया गया है जिसमें कृषकों को कृषि योग्य उपकरण उपलब्ध कराने एवं कृषि उत्पाद का भंडारण हेतु कुल 64 लक्ष्य के विरुद्ध 48 किसान सेवा केंद्रों का निर्माण कराया जा चुका है।
186 ग्रामों में सब्जी क्लस्टर का कार्य चल रहा है, जिसमें 8775 लाभुक लाभान्वित हो रहे हैं। पिछले रब्बी मौसम में इनका शुद्ध लाभ रू॰ 68.37 लाख था।
14 जिलों के 32 प्रखंडों के 48000 लाभुकों के साथ पोषण वाटिका कार्यक्रम चलाया जा रहा है।पिछले रब्बी मौसम में 14 जिलों के 84 ग्रामों में 16,592 लाभुकों के साथ रब्बी फसल की खेती कराई गयी। जिसमें कुल लाभ रू॰ 6.59 करोड़ हुआ।विगत खरीफ मौसम में 20,000 लाभुकों के साथ धान की खेती कराई गयी जिसमें कुल लाभ रू॰30.21 करोड़ हुआ।वर्तमान खरीफ मौसम में 616 ग्राम के 50,000 लाभुकों के साथ 68,000 एकड़ में फसल आच्छादन का कार्य चल रहा है।14 ग्रामों के 980 लाभुकों के बीच इस खरीफ मौसम में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।विगत वर्ष 4,000 अतिकमजोर जनजाति समूह के लाभुकों को बरबट्टी खेती में सहयोग। लगभग रू॰ 5.76 करोड़ मूल्य का बरबट्टी उत्पादन किया गया।वर्तमान वर्ष में भी 8,000 लाभुकों को बरबट्टी उत्पादन हेतु मदद दिया जा रहा है।विगत वर्ष 2,000 लाभुकों के साथ फलदार पौधा लगाया गया। इस वर्ष 15,000 लाभुकों के साथ यह योजना चलाई जा रही है।150 एकड़ में पपीते की उन्नत खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। अब तक 47 एकड़ में पपीते की खेती की जा रही है।THP कार्यक्रम अंतर्गत अतिकमजोर जनजाति समूहों के 5,000 परिवारों को आजीविका संवर्धन हेतु अलग से कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
कुल 6,000 सोलर लालटेन लाभुकों को वितरण किया गया।कुल 50 आदिम जनजाति गाँवों में सोलर आधारित पेय जल सुविधा उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। 04 जिले के 500 लाभुकों के साथ मधुमक्खी पालन का कार्य किया जा रहा है।
माननीय मंत्री डॉ लुईस मरांडी ने लागू को को झारखंड ड्राइवर डेवलपमेंट सोसाइटी की ओर से ऋण देकर उन्हें अपनी जिंदगी बेहतर बनाने का एक अवसर दिया।
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