दिनांक-19 अगस्त 2019
प्रेस विज्ञप्ति संख्या-1316
फूलो-झानो दुग्ध प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, हंसडीहा, दुमका, झारखण्ड के उदघाटन समारोह के अवसर पर माननीया राज्यपाल-सह-कुलाधिपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि झारखण्ड राज्य के संथाल परगना की पावन धरती पर फूलो-झानो दुग्ध प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, हंसडीहा, दुमका के उदघाटन समारोह के अवसर पर मंचासीन माननीय कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री, झारखण्ड सरकार श्री रंधीर कुमार सिंह जी, माननीया कल्याण मंत्री डाॅ0 लुईस मरांडी माननीय सांसद गोड्डा श्री निशिकांत दूबे जी, बिरसा कृषि विष्वविद्यालय के कुलपति डॉ राम शंकर कुरील जी, सिदो-कान्हू विश्वविद्यालय के कुलपति डा0 एम0 पी0 सिन्हा, उपायुक्त, दुमका, पुलिस अधीक्षक, दुमका, बिरसा कृषि विष्वविद्यालय के कुलसचिव, सभी अधिष्ठातागण, निदेशकगण, सह अधिष्ठातागण, प्राध्यापकगण, शिक्षक एवं वैज्ञानिकगण, छात्र-छात्राएँ, अन्नदाता किसान भाइयों एवं बहनों, मीडिया के साथियों, देवियों एवं सज्जनों!
उन्होंने कहा कि संथाल परगना क्षेत्र की महान महिला क्रांतिकारी एवं महिला स्वतंत्रता सेनानी फूलो मुर्मू-झानो मुर्मू के नाम से दुमका जिले के हंसडीहा में राज्य का पहला दुग्ध प्रौद्योगिकी महाविद्यालय का विधिवत उदघाटन करते हुए मुझे अपार गौरव का अनुभव हो रहा है। संताल की भूमि वीरों की भूमि है। सिदो कान्हु चांद भैरव ने अपनी मांटी की रक्षा के लिए जान तक न्योछावर कर दिया। हूल क्रांतिकारी फूलो मुर्मू एवं झानो मुर्मू को संथाल आदिवासी भाइयों के बीच देश की पहली महिला क्रन्तिकारी के रूप में जाना जाता है। भारतीय इतिहास में स्वतंत्रता की पहली लड़ाई वर्ष 1857 में होने का उल्लेख मिलता है। जबकि सिदो-कान्हू ने वर्ष 1855-56 में ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ एक विद्रोह की शुरूआत की थी जिसे संथाल विद्रोह या हूल आंदोलन के नाम से जाना जाता है।
उन्होंने कहा कि झारखंड के वीर शहीदों में सिदो -कान्हू, चांद-भैरव और उनकी दो बहनों फूलो-झानो ने उस समय अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का पहला बिगुल फूंका था। इस संताल जनक्रांति ने तत्कालीन अंग्रेजी हुकूमत अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए और अंग्रेजों को जड़ से हिला कर रख दिया था। कार्ल माक्र्स ने इस विद्रोह को ‘भारत का प्रथम जनक्रांति’ कहा था। इन वीरों की गाथा का पुनःलेखन करना चाहिये क्योंकि इतिहास में उनका वर्णन नहीं किया गया है। इस संथाल हूल में फूलो मुर्मू और झानो मुर्मू ने महिलाओं की एक Supply Line बनायी थी जिसमें जंगलों में वे कैसे लड़ेंगे, क्या खाएंगे, जब पुरुष घर में नहीं हो, तो घर कैसे संभालेंगे की योजना बनाई थी।
माननीय राज्यपाल ने कहा कि हूल दौरान महिलाएं साल के पत्ते लेकर हूल करने निकलती थीं और अंग्रेजों के खिलाफ छापा डालती थीं। अंग्रेजों से लड़ाई और उन्हें मारने में महिलाओं का बराबर का योगदान था। कुछ शोध विद्वानों के अनुसार, फुलो और झानो ने दुश्मनों के शिविर में अंधेरे की आड़ में अपनी कुल्हाड़ी चलाते हुए भागी और उन्होंने 21 सैनिकों को खत्म कर दिया था। उनके इस प्रयास ने महिला साथियों की भावना को काफी प्रभावित किया जिससे प्रेरित होकर फुलो और झानो ने आदिवासी नायिकाओं का समूह बनाया, जिसने पुरुष लोग के साथ मिलकर हूल संघर्ष किया। हूल क्रांति में फूलो-झानो के उल्लेखनीय योगदान को भुलाया नहीं जा सकता हैं और आज का दिन फूलो-झानो मुर्मू जैसी देश की क्रांतिकारी महिला नायिका को उचित सम्मान देने का बड़ा पावन अवसर है। संथाल आदिवासी बहुल इस क्षेत्र में आजीविका का मुख्य साधन कृषि है। इस क्षेत्र में उद्योग संस्थानों का आभाव है। कृषि क्षेत्र में उन्नत तकनीकों के प्रसार से ही इस इलाके के लोगों को बेहतर जीविका के साधन उपलब्ध कराये जा सकते है। लाभकारी कृषि में पशुपालन काफी उपयोगी उद्यम है और इस क्षेत्र की बहुसंख्यक आबादी के अतिरिक्त आय का सदियों से साधन रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत में कृषि और पशुपालन आधारित अर्थव्यवस्था का सदियों पुराना इतिहास है। आज भी ग्रामीण आबादी का एक बडा हिस्सा अपनी आजीविका के लिये कृषि और पशुपालन पर निर्भर है।
उन्होंने कहा कि Dairy Technology के लिए Dairy Plant और Dairy equipment manufacturing के क्षेत्र में मौकों की कोई कमी नहीं है। Engineering के क्षेत्र में कैरियर बनाने को इच्छुक युवाओं के लिए Dairy Technology एक Offbeat Course के तौर पर आकर्षक कैरियर विकल्प के रूप में उभरा है। डेयरी उत्पाद की खपत और निर्यात में हाल के वर्षो में तेजी से बढ़ोतरी हुई है, जिससे डेयरी कारोबार एक बडी industries के रूप में विकसित हो चुका है। यह एक विशिष्ट कार्य क्षेत्र के रूप में तब्दील हो चुकी है , जहां Trained Youth युवाओं के लिये भरपूर अवसर बन रहे है। मुझे आशा है कि इस महाविद्यालय की स्थापना से राज्य में डेयरी शिक्षा, शोध एवं प्रसार को गति मिलेगी और बेहतर अवसरों का सृजन और मार्ग सुगम होगा, जिसका लाभ स्थानीय किसानों तथा युवा छात्रों को प्राप्त होगा। मैं इस महाविद्यालय के बेहतर प्रयासों एवं उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हूँ।
No comments:
Post a Comment