Saturday 13 August 2016

दुमका, 12 अगस्त 2016
प्रेस विज्ञप्ति संख्या - 494 
राजकीय श्रावणी मेला महोत्सव 2016 वासुकिनाथधाम
जीवन जीने की चाह का दूसरा नाम है ‘‘हरी-हरी चूड़ियाँ‘‘...
मोहब्बत बरसा देना तू सावन आया है। सावन का महीना भोलेनाथ के अलावा साहित्य में - कविताओं और गीतों में प्रेम जिजीविषा, आस्था और सौन्दर्य के लिए भी जाना जाता है। सावन में इन सबसे उपर है हरी-हरी चूड़ियाँ। सावन का महीना आते ही रिमझिम फुहारों के बीच हरी चूड़ियों की बिक्री बढ़ जाती है। श्रावणी मेले के दौरान वासुकिनाथधाम में भी हरी चूड़ियों की खूब बिक्री होती है। 
पौराणिक कथा के अनुसार देवी पार्वती ने भोले बाबा को रिझाने के लिए हरे रंग की चूड़ियां पहनी थी। तब से सावन के महीने में महिलायें हरे रंग का चूड़ियां पहनती है और यही वजह है कि आज भी सभी उम्र की महिलायें सावन मास के दौरान हरी चूड़ियां पहनते हैं। 
दरअसल सावन का महीना का प्रकृति के सौन्दर्य का महीना होता है और शास्त्रों में महिलाओं को भी प्रकृति का रुप माना गया है। इस मौसम में बरसात की बंदू प्रकृति खिल उठती है हर तरफ हरियाली छा जाती है। ऐसे में प्रकृति से एकाकार होने के लिए महिलायें हरे वस्त्र और हरी चूड़ियां पहनती हैं। सावन के महीनें में जिस पर भी एकबार हरा रंग चढ़ जाता है उसकी जिंदगी जन्म-जन्म तक हरा-भरा रहता है। इन दिनों ओर दिनों की अपेक्षा हरी चूड़ियों की कीमत में भी वृद्धि हो जाती है। 
वासुकिनाथधाम में विधिक जागरूकता षिविर...
राजकीय श्रावणी मेला के दौरान वासुकिनाथधाम के मुख्य प्रदर्षनी षिविर वासुकिनाथ सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, दुमका के जिला विधिक सेवा प्राधिकार जागरुकता षिविर (वासुकिनाथ) में दिनांक 12 अगस्त 2016 तक कुल कानूनी पुस्तके 828 एवं कुल पम्पलेट 2325 बांटी गई। और साथ ही साथ कानूनी सलाह कांवरियाँ को दी गई। जिसमें मुख्य रुप से व्यवहार न्यायालय के सहायक जितेन्द्र मंडल, विनोद मुर्मू, पी एल वी, नवीन प्रसाद एवं निवेष खिरहर आदि लोगों के द्वारा कानूनी पुस्तक बांटी गई।


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