दुमका, 5 अगस्त 2016
प्रेस विज्ञप्ति संख्या - 468
राजकीय श्रावणी मेला महोत्सव 2016 वासुकिनाथधाम
बासुकिनाथ आए और मुढ़ी घुघनी नहीं खाये तो क्या खाए...
वासुकिनाथ में दूर दराज से आने वाले श्रद्धालुओं को काफी भा रहा है मुढ़ी घुघनी। धनबाद से आए किषोर मंडल ने बताया कि मैं पिछले दस वर्षों से यहाँ आ रहा हँूं एवं मुढ़ी घुघनी खिलाकर श्रद्धालुओं की सेवा कर रहा हँू।
देष के विभिन्न राज्यों से आए श्रद्धालु बाबा पर जलार्पण करने के बाद घुघनी मुढ़ी खाते दिखाई देते हैं। दरसल मुढ़ी घुघनी के साथ और भी कई तरह की चीजों को मिलाकर जैसे पकोड़ी, आलू चोप, समोसा, प्याजी मिलाकर 20 रु0 प्रति प्लेट की दर से श्रद्धालुओं को दिया जाता है।
बिहार से आए रोहित यादव ने कहा वासुकिनाथ आए और मुढ़ी घुघनी नहीं खाए तो क्या खाए। रोहित ने कहा बाबा के नगरी की घुघनी मुढ़ी का स्वाद की बात ही कुछ और है।
किषोर ने बताया मेरे दुकान आने वाले हर श्रद्धालु इस बार कुछ ज्यादा ही खुष नजर आते हैं। उन्होंने बताया कि हर दूसरे श्रद्धालु मेला में आये जिला प्रषासन सूचना जनसम्पर्क विभाग के कार्यों की सराहना करते नजर आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं प्रतिदिन 1000 श्रद्धालुओं को घुघनी मुढ़ी खिला पाता हूँ।
दही चुड़ा श्रद्धालुओं को काफी भा रहा है...
वासुकिनाथधाम में आने वाले श्रद्धालुओं को काफी भा रहा है दही चुड़ा चीनी। वासुकिनाथ धाम मंदिर के जलापर्ण काउंटर के दस कदम आगे श्रद्धालुओं की भीड़ देखकर चैंक मत जाइयेगा। दरसल यहाँ श्रद्धालुओं को दही चुड़ा चीनी खिलाया जा रहा है। धनबाद से आये निषल सिंह ने बताया कि मैं पिछले 5 साल से हर वर्ष यहां आकर श्रद्धालुओं को दही, चुड़ा, चीनी खिलाकर श्रद्धालुओं की सेवा करता हूँ। उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा कि दही इतनी अच्छी है कि यहां आने वाले श्रद्धालु इस बर्तन पर चढ़कर पर हो जाये तो भी दही को हिला नहीं सकते पानी नाम का चीज नहीं है इसलिए श्रद्धालुओं को पसंद आ रहा है।
उन्होंने बताया 25 रु0 प्रति प्लेट की दर से मैं यहां आने वाले श्रद्धालुओं को दही चुड़ा खिलाता हँू। उन्होंने बताया कि मेरे दुकान में प्रतिदिन 500 की संख्या में श्रद्धालु आते है। उन्होंने बताया कि इस बार की व्यवस्था और साफ-सफाई है इस बात की चर्चा हो रही है मैं भी सूनता हूँ।
बाबा वासुकिनाथ की रंग बिरंगी लाइट वाली तसवीर की होती है खूब खरीददारी
श्रावणी मेला वासुकिनाथधाम में रंग बिरंगी लाइट वाली झालर एवं बाबा कि लाइट वाली तस्वीर खूब बिक रही है। देष के कोने-कोने से आने वाले श्रद्धालु बाबा की पूजा अर्चना करने के बाद भी बाबा से दूर नही होना चाहते इसलिए यहां से जाते वक्त श्रद्धालु बाबा कि तसवीर अपने साथ लेकर जाते हैं ताकि उन्हें बाबा हमेषा अपने साथ होने का अहसास होता रहा।
टनिल रवानी ने बताया कि मैं हर साल श्रावणी मेले के दौरान यहां आता हँू और बाबा कि तसवीर श्रद्धालुओं को बेचता हँू।
नेपाल, बंगाल, बिहार, उतर प्रदेष एवं विभिन्न राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं को काफी पसंद आ रहा है रंग बिरंगी बल्व लगी तस्वीर। सभी लोग बड़े शौक से बाबा की तसवीर खरीदते हैं।
उन्होंने बताया कि तसवीर की कीमत 280 रु0 है लेकिन 500 रु0 तक कि तसवीर मैं रखता हूँ और श्रद्धालु प्रतिदिन 15 से 20 तसवीर की खरीददारी करते है। मुझे खुषी होती है जब लोग तसवीर खरीदते है क्यों कि कहीं न कहीं ये वासुकिनाथ में आए दिन श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि का कारण बनेगा।
तिल की लड्डू की खूब होती है बिक्री...
ऐसे तो तिल की लड्डू मुख्य रुप से मकर संक्राति के समय बनता है लेकिन श्रावणी मेले के दौरान वासुकिनाथधाम में तिल से बना लड्डू श्रद्धालुओं को काफी पसंद आ रहा है।
भागलपुर से आए विष्वजीत ने बताया कि मैं प्रत्येक वर्ष यहां आता हूँ एवं बाबा पर जलार्पण के बाद मेला का आनंद लेता हूँ।
इस बार मेला काफी बड़ी और अच्छा व्यवस्था के साथ है। मुझे यहां बिकने वाली हर चीजें पसंद आती है लेकिन इस बार तिल का लड्डू मुझे बहुत ही अच्छा लगा।
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