Wednesday 24 July 2019

दिनांक-24 जुलाई 2019
प्रेस विज्ञप्ति संख्या-1048

सूचना सहायता शिविर निभा रहा है अपनी अहम भूमिका...

अब तक विभिन्न सूचना सहायता शिविर के माध्यम से 53124 श्रद्धालुओं को मिलाया गया है...

श्रावणी मेले के दौरान वासुकिनाथ धाम में पूरे एक माह तक श्रद्धालुओं का सैलाब दिखायी पड़ता है। बाबा धाम 105 किमी की पैदल यात्रा कर पहुँचने वाले श्रद्धालु बाबा बैधनाथ पर जलार्पण करने के बाद रुकते नहीं हैं। वे सीधे फौजदारी बाबा के दरबार की ओर निकल पड़ते हैं। फौजदारी बाबा पर जलार्पण करने के पश्चात ही उनकी यात्रा सफल हो जाती है। हजारो-लाखों की संख्या में प्रत्येक दिन श्रद्धालु फौजदारी बाबा के दरबार पहुँचकर अपनी मनोकामना बाबा से मांगते हैं।

वासुकिनाथ धाम आने वाले कई श्रद्धालु ऐसे होते हैं जो पिछले कई वर्षों से बाबा की दरबार में अपनी हाजरी लगाते है लेकिन कई ऐसे भी होते हैं जो पहली बार बाबा के दरबार पहुँचते हैं।

इस दौरान कई श्रद्धालु सगमता पूर्वक जलार्पण कर अपने घर लौट जाते हैं लेकिन कई ऐसे भी होते हैं जो अपनों से मेला क्षेत्र में या जलार्पण के दौरान बिछुड़ जाते हैं।

मेला में अपनों से बिछुड़ने का दर्द को समझते हुए सूचना सहायता कर्मी वैसे श्रद्धालुओं को उनके परिजनों से मिलाने का बीड़ा उठाती है। सूचना सहायता कर्मी द्वारा पहले उनका पूरा पता पूछा जाता है तथा विभिन्न माध्यमों से उनके परिजनों को का प्रयास किया जाता हैं।

ऐसे श्रद्धालुओं को ध्यान में रखते हुए पूरे मेला क्षेत्र में भिन्न-भिन्न जगहों पर सूचना सहायता षिविर खोला गया है जिनमें 24×7 सूचना सहायता कर्मी की प्रतिनियुक्ति भी की गयी है।

इस दौरान सूचना सहायता कर्मी को कई ऐसे भी श्रद्धालुओं से भी मुलाकात हो जाती है जो पिछले 3-4 दिनों से अपनों से बिछड़कर मेला क्षेत्र में उन्हें ढूढते रह जाते हैं। सूचना सहायता कर्मी द्वार कई बार उन्हें भोजन कराया जाता है एवं विभिन्न माध्यमों से उनके परिजनों से संपर्क साधने की कोशिस की जाती है। 

सभी सूचना सहायता शिविर में ध्वनि विस्तारक यंत्र लगाये गये है जिसके माध्यम से श्रद्धालुओं को उनके परिजनों से मिलाया जाता है साथ ही कई बार दूरभाष के माध्यम से भी बिछड़ो को मिलाया जाता है।

अब तक मौखिक तथा लिखित रूप से लगभग 53 हजार बिछड़ो को उनके परिजनों से मिलाया चुका है। बिछड़ने के दर्द से ज्यादा श्रद्धालुओं को अपनों से मिल जाने की खुशी होती है। जाते-जाते श्रद्धालु यहां की गयी व्यवस्था के लिये जिला प्रशासन एवं राज्य सरकार को धन्यवाद कहते हैं। सूचना सहायता कर्मी द्वारा उन्हें अगले वर्ष फिर से आने का आमंत्रण दिया जाता है।

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