Sunday, 3 July 2016

दुमका, दिनांक 03 जुलाई 2016
प्रेस विज्ञप्ति संख्या - 352

दुमका में स्वतंत्रता सेनानियों की अंतिम कड़ी स्वर्गीय सईद अहमद की पुण्य तिथि के अवसर पर दुमका के सूचना भवन में स्वतंत्रता सेनानी सम्मान दिवस और पीढ़ियों के अंतराल पर स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान और संघर्ष की वर्तमान में प्रासंगिकता विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई। 
इस अवसर पर स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय सईद अहमद के परिजन बीबी नरगिस, स्वर्गीय लाल हेम्ब्रम की पत्नी मंगली टुडू, स्वर्गीय कपिलेष्वर झा की पत्नी सुनीति देवी, स्वर्गीय दषरथ झा के पुत्र रामअनुग्रह झा, स्वर्गीय गोवर्धन दुबे के पुत्र ओम प्रकाष दुबे, स्वर्गीय रामटहल भंडारी के पौत्र माणिक चन्द्र भंडारी, स्वर्गीय डा भुवनेष्वर प्रसाद की पौत्री पल्लवी कुमारी, स्वर्गीय रामरतन सिंह के पुत्र के एन सिंह को शाॅल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।   
इस अवसर पर अनुमंडलाधिकारी जिषान कमर ने कहा कि मुझे बहुत गर्व है कि मैं उस परिवार से संबंध रखता हूँ जिस परिवार ने स्वर्गीय सईद जैसे स्वतंत्रता सेनानी को जन्म दिया। उन्होंने कहा कि उनके जीवन से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। वे न सिर्फ एक स्वतंत्रता सेनानी थे बल्कि एक लोकप्रिय जनप्रतिनिधि और योग्य षिक्षक भी थे।
इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में नगर पर्षद अध्यक्षा अमिता रक्षित ने कहा कि हमे स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा स्थापित आदर्षों को आत्मसात कर देष और समाज के लिए कार्य करना होगा। उन्होंने नगर के सड़कों का नामकरण दुमका के स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर रखे जाने का प्रस्ताव नगर पर्षद के बोर्ड की बैठक में रखने और उसे पारित कराने का आष्वासन दिया।  
पूर्व विधायक तथा मंत्री कमलाकान्त सिन्हा ने सभी स्वतंत्रता सेनानियों को याद कर अपनी भावनायें प्रकट की। उन्होंने प्रषासन को इस बात के लिए बधाई दी कि 3 जुलाई को स्वतंत्रता सेनानी सम्मान दिवस मनाये जाने की पहल पूरे देष में अपने तरह का पहला प्रयास है। पूरे देष में 3 जुलाई स्वतंत्रता सेनानी सम्मान दिवस मनाया जाय इसके लिए पहल की जानी चाहिए। 
इस अवसर पर उप निदेषक जनसम्पर्क ने कहा कि दुमका के स्वतंत्रता सेनानियों की आखरी कड़ी के रूप में स्वर्गीय सईद अहमद पिछले वर्ष 3 जुलाई को हमसे बिछड़ गये थे। अतः इस अंतिम कड़ी के बिछडन दिवस को जिले के सम्पूर्ण स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान दिवस के रूप में मनाये जाने का निर्णय लिया गया।   
सी एन मिश्र ने नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी के बीच संवाद की निरंतरता को बनाये रखने पर जोर दिया उन्होंने कहा कि इतिहास से दूर होना अपनी पहचान को खोने के जैसा है।   
अवसर पर एहतेषाम अहमद ने स्वतंत्रता सेनानियों से सीख लेकर आपसी मजहबी भेदभाव भूलकर देष और समाज के बेहतरी के लिए मिलजुलकर प्रयास करने की बात कही।
 साहित्य अकादमी का युवा साहित्यकार का पुरस्कार प्राप्त करने वाले साहित्यकार नीलोत्पल मृणाल ने अपने संबोधन में कहा कि इतिहास केवल जमीन के अन्दर ही दफन नहीं है। बल्कि लोकचर्चाओं में भी इतिहास व्यक्त होता है। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को इन्टरनेट के जरिये बहुत सारी जानकारी मिल सकती है। परन्तु संस्कार हमें बुजुर्गों से ही मिल सकता है। 
युवा साहित्यकार अंजनी शरण ने कहा कि युवाओं को स्वतंत्रता सेनानियों से प्रेरणा लेकर अपना तथा राष्ट्र का बेहतर भविष्य बनाना चाहिए। 
एस पी काॅलेज के प्राध्यापक डा सुधांषु शेखर ने कहा कि इतिहास वर्तमान को पूर्ण बनाता है और इस अर्थ में यह सदैव प्रासंगिक है। स्वतंत्रता सेनानी सम्मान दिवस के आयोजन की यह पहल विष्वविद्यालय को भी बेहतर शोध करने तथा विद्यार्थियों को मार्गदर्षन करने में मददगार होगी। 
प्रोफेसर संजीव कुमार ने कहा कि इतिहास में ही अतीत की जीवन्तता देखी जा सकती है। इसलिए राष्ट्र निर्माण में इतिहास का अध्ययन आवष्यक है। इस संदर्भ में यह विषय अत्यंत प्रासंगिक है। 
बामा प्रसाद यादव ने अपने विचार में स्वर्गीय सईद से जुड़ी अपनी स्मृतियों को साझा करते हुए युवाओं को स्वतंत्रता सेनानियों से सबक लेने की प्रेरणा दी। 
चेम्बर आॅफ काॅमर्स के अध्यक्ष मो शरीफ ने प्रषासन को बेटी बचाओ संकल्प सत्याग्रह, जल संरक्षण आदि पर अभियान चलाने की बधाई देते हुए कहा कि स्वतंत्रता सेनानी सम्मान दिवस का आयोजन भी जिला प्रषासन की एक अनोखी पहल है। उन्होंने दहेज के खिलाफ भी इसी तरह की पहल करने की आवष्यकता जताई।  
लायंस क्लब के मनोज कुमार घोष ने स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर दुमका के विभिन्न पथों का नाम करने का अनुरोध किया। 
अमरेन्द्र सुमन ने सबों का धन्यवाद ज्ञापन किया। 
इस अवसर पर उपर्युक्त वक्ताओं के अलावा जिला खेलकूद संघ के सचिव उमाषंकर चैबे, बी बी गुहा, गोविन्द प्रसाद, विजय कुमार सोनी, हैदर हुसैन, मदन कुमार, नवल किषोर झा, विद्यापति झा, निमायकांत झा, एहतेषामुल हक, अरविन्द साह, दीपक झा, सुमंगल ओझा, मो फहीम अहमद, मो मंजर हसनैन, मुकेष कुमार मिश्र, सुरेन्द्र नारायण यादव आदि के अलावा स्वतंत्रता सेनानियों के कई परिजन भी मौजूद थे। 






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