दुमका, 18 जुलाई 2017
प्रेस विज्ञप्ति संख्या - 379
आपकी भक्ति ही नही आपके दर्द का भी अहसास हैं...
श्रावणी मेला के 9 वें दिन वासुकिनाथ धाम में श्रद्धालु बड़ी तादाद में बाबा पर जलार्पण करने के लिए वासुकिनाथधाम पहुंचे। पुरोहित पूजा के बाद प्रातः 3ः42 मिनट पर जलार्पण प्रारंभ हुआ। घूप जैसे-जैसे बढ़ती गई वासुकिनाथधाम पहंुचने वाले श्रद्धालु भी बड़े तादाद में बाबा पर जलार्पण करने के लिए मंदिर की ओर बढ़ते दिखे। दुमका के उपायुक्त मुकेष कुमार को श्रद्धालुओं के सैलाब के बारे में अनुमान लग चूका था वे लगातार मेला के विधि व्यवस्था पर अपनी नजर बनाये हुए थे।
पुलिस अधीक्षक मयूर पटेल सुबह सवेरे से ही मंदिर प्रांगण में पहंुचकर पूरे मेला क्षेत्र पर अपनी नजर बनाये हुए थे। पुलिस अधीक्षक मयूर पटेल ने प्रतिनियुक्त सभी अधिकारियों एवं सुरक्षा कर्मियों से कहा कि कांवरियों की संख्या कब बढ़ जाय इस बात का पूर्वानुमान लगाना कठिन है। उन्होंने पुलिस एवं सिविल अधिकारियों से कहा कि हर पल केवल शरीर से नहीं बल्कि पूरे मन से मेला में उपस्थित रहें।
क्या महिला क्या पुरूष सुरक्षा कर्मियों ने अपने व्यवहार से कांवरियों का दिल जीत लिया है। मंदिर परिसर एवं मेला क्षेत्र में असमाजिक तत्व किसी भी तरह की गड़बड़ी न करे इसके लिए पूरी रात प्रतिनियुक्त सुरक्षा कर्मी कड़ी मेहनत कर रहे है। श्रद्धालुओं के द्वारा कतारबद्ध होकर जलार्पण में भी सुरक्षा कर्मी अपनी महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। जलार्पण के दौरान किसी भी तरह की घुसपैठ न हो इसके लिए सुरक्षा कर्मी हमेषा तैयार दिख रहे है।
बाबा पर जल चढ़ाने के लिए सौ से अधिक किलोमीटर की यात्रा दुष्कर नहीं लगती कंकड़ पत्थर का अहसास नहीं होता बस बाबा पर जल दे सकूँ उन तक अपनी व्यथा सुना सकूं इसका ही ध्यान रहता है। यह बात वासुकिनाथधाम आये श्रद्धालुओं ने कही। उन्होंने कहा कि जैसे ही बाबा पर जलार्पण करते हैं पैर मानों जम जाते हैं। गर्भ गृह से निकलना भी मुष्किल हो जाता है। झारखण्ड की सरकार ने दुम्मा से वासुकिनाथधाम तक देव भूमि जैसी व्यवस्था कर दी है। हम एक नया अहसास लेकर जा रहे हैं।
श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की परेषानी न आये इसके लिए सुरक्षा कर्मी, सूचना सहायता कर्मी, स्वास्थ्य कर्मी, सफाई कर्मी एवं विभिन्न विभागों के लोग दिन रात काम कर रहे हैं। दुमका से लगभग 30 किलोमीटर की यात्रा कर रात्रि के अन्तिम पहर 2ः30 बजे ड्यूटी के लिए निकल जाना तो कभी 12 बजे रात ड्यूटी से लौटना दुष्कर होता है पर कांवरियों भक्ति और श्रद्धा में आस्था प्रकट करने का सबसे अच्छा माध्यम है।
पूरे श्रावणी मेले के दौरान किसी भी तरह की गंदगी मेला क्षेत्र में न रहे इसके लिए रात -रात भर सफाई कर्मी अपने काम में लगे दिखाई देते है। मंदिर परिसर से लेकर वासुकिनाथधाम के चारों ओर सफाई कर्मी अपने कर्तव्य का निर्वहन ईमानदारी से करते नजर आ रहे हैं।
बिछड़ों को हम मिलाते हैं
विभिन्न राज्यों से आने वाले श्रद्धालु अपने परिजनों से बिछड़ जाते है परंतु सूचना सहायता कर्मी द्वारा प्रतिदिन हजारों लोगों को उनके परिजनों से मिलाया जाता हैं। कई बार श्रद्धालु के पास इतने पैसे नही होते की वे अपने घर को जा सके लेकिन सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग द्वारा उन्हें सहायता राषि प्रदान कर उन्हें उनके घर तक भेज दिया जाता है।
बिछड़े हुए कांवरिया यदि महिला या बच्चा हो तो उन्हें सूचना सहायता कर्मी के साथ घर भेजा जाता है। पिछले तीन दिनों से अपनों से बिछड़ी हुई गांव गोपीडीह थाना चंडी, जिला नालंदा बिहार की रहने वाली मालती देवी को सूचना सहायता कर्मियों के द्वारा उनके परिजनों से मिलाया गया।
श्रद्धालुओं को पसंद आ रही है पूरी व्यवस्था...
आज मंगलवार को पूरा वासुकिनाथधाम हर-हर महादेव एवं हाथ में गंगा जल लिये बोलबम के नारों के साथ कांवरियों से भरा दिखाई दे रहा था। सभी श्रद्धालु कतारबद्ध होकर बाबा वासुकिनाथ पर जलार्पण कर रहे थे।
जलार्पण करने के बाद प्रतिदिन श्रद्धालु जिला प्रषासन सूचना जनसम्पर्क विभाग द्वारा बनाये गये निःषुल्क रौषनीयुक्त, हवादार पण्डाल में आ कर विश्राम करते है।
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