दुमका, 23 जुलाई 2017
प्रेस विज्ञप्ति संख्या - 399
बांस से बने मचिया की खूब होती है खरीददारी...
श्रावणी मेले के दौरान वासुकिनाथधाम में आपको कंधे पर दोनों बगल लकड़ी के मचिया टंगे हुए व्यक्ति दिख जायेंगे। दरअसल इनकी दुकान कंधे पर होती है और ये सम्पूर्ण मेला क्षेत्र में घूम-घूम कर मचिया बेचते हैं। मचिया शब्द अगर थोड़ा अजीब लगा तो बताता हँू ये है क्या? बांस के छोटे-छोटे डंडे से इसे बनाया जाता है और नीचे की तरफ साइकिल की पुरानी टायर लगयी जाती है ताकि मजबूती बने रहे। भागलपुर जिला से आये संजीव ने बताया कि प्रत्येक दिन मैं 100 पीस मचिया बेच देता हँू। एक जोड़े की कीमत 180 रु और 240 रु है लोग बड़े शोक से इसकी खरीददारी करते हैं। उन्होंने बताया मैं यूपी, एमपी, पष्चिम बंगाल और अलग-अलग राज्यों में जा कर इसे बेचता हँू। लेकिन सावन के महीने में वासुकिनाथ आना नहीं भूलता एक महीना बाबा के दरबार में ही अपना दुकान लगाता हँू और यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं की सेवा करता हँू।
खिलौने की खूब होती है बिक्री...
वासुकिनाथधाम में श्रावणी मेले के दौरान बच्चों के लिए खिलौने की खूब होती है खरीददारी। यहाँ आने वाले श्रद्धालु खिलौने की खूब खरीददारी करते हैं। नंदी चैक से लेकर मंदिर परिसर तक सड़क के अगल-बगल और घूमकर खिलौना बेचने वाले दुकानदार दिख जायेंगे। चाइनिज बाॅल, कार, ट्रक, जेसीबी से लेकर हवाई जहाज तक आपको मेला क्षेत्र में मिल जायेगा। दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालु घर लौटते वक्त बच्चों के लिए खिलौना जरुर खरीदते हैं। बंगाल से आए संतोष कुमार ने बताया कि प्रतिदिन मेरे दुकान से पंद्रह हजार रुपये की खरीददारी होती है। उन्होंने बताया कि मेरे दुकान में रिमोट से चलने वाली कार, हवाई जहाज, ट्रक और जेसीबी जैसे कई खिलौने मिलते जो श्रद्धालुओं को काफी पसंद आती है। उन्होंने बताया कि 1000 से लेकर 10 रु तक कि खिलौने मेरे दुकान में मौजूद है। उन्होंने बताया मैं प्रत्येक वर्ष आता हँू और आता ही रहँूगा।
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