Sunday 30 July 2017

दुमका 30 जुलाई 2017
प्रेस विज्ञप्ति संख्या - 435 
अमर सुहाग का प्रतीक ‘‘हरी चूड़ियां‘‘...
सावन का महीना जिसपर जाने कितनी गाने, कविताऐं, कहानी लिखे गये हैं। प्रकृति, प्रेम, अस्था से जुड़े इस महीने को भारतीय संस्कृति, परंपरा और हिंदू धर्म से जोड़ा गया है। सावन के महीना आते ही रिमझिम फुहारों के बीच हरी चूड़ियों कि बिक्री बढ़ जाती है। श्रावणी मेला के दौरान वासुकिनाथधाम में भी हरी चूड़ियों की खूब बिक्री होती है। खासकर सावन में इस रंग की मांग बढ़ जाती है। इन दिनों हरी चुड़ियों की कीमत में भी वृद्धि हो जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार देवी पार्वती ने भोले बाबा को रिझाने के लिए हरे रंग की चूड़ियां पहनी थी। तब से सावन के महीने में महिलायें हरे रंग का चुड़ी पहनती है ताकि पति पत्नि में प्यार सात जन्मों तक रहे। और यही वजह है कि आज भी सभी उम्र की सुहागन महिलायें सावन मास के दौरान हरी चुड़िया पहनते हैं। क्या आपने सोचा है कि और भी क्या कारण है हरी चुड़ियां पहनने का। दरअसल सावन का महीना प्रकृति के सौन्दर्य का महीना होता है और शास्त्रों में महिलाओं को भी प्रकृति का रुप माना गया है। इस मौसम में बरसात की बंूद से प्रकृति खिल उठती है हर तरफ हरियाली छा जाती है। ऐसे में प्रकृति से एकाकार होने के लिए महिलायें हरे रंग का वस्त्र और हरे रंग की चुड़ियां पहनती हैं। सावन के महीने में जिस पर भी एकबार हरा रंग चढ़ जाता है उसकी जिंदगी जन्म-जन्म तक हरा-भरा रहता है।


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