Friday 29 April 2016

दुमका, दिनांक 29 अप्रैल 2016
प्रेस विज्ञप्ति संख्या - 189 

पुरुषों के अनुपात में महिलाओं का संख्या कम होना बेहद चिन्ता का विषय है। भारत एक विविधताओं वाला देष है जहाँ कई जाति एवं धर्म के लोग एक साथ निवास करते हैं। जनगणना के आँकड़े समग्र समाज की रुपरेखा को दर्षाता है। परन्तु लिंगानुपात का यह अन्तर किसी खास जाति या वर्ग में ही अधिक हो सकने की संभावना है। 
जिला परिषद अध्यक्ष जाॅयस बेसरा ने यह बात प्रेस क्लब दुमका द्वारा सूचना भवन में आयोजित कन्या भ्रूण हत्या कारण एवं निदान विषयक संगोष्ठी में यह बात कही। उन्होंने कहा कि दहेज के लिए महिलाओं का हत्या होना सभ्य समाज के लिए किसी कलंक से कम नहीं। 
संगोष्ठी में अपने विचार रखते हुए नगर परिषद अध्यक्ष अमिता रक्षित ने कहा कि जीवन को महकाने वाली बेटियाँ आज संकट में है। इन्हें हर हाल में बचाना होगा। उन्होंने इस बात पर चिन्ता प्रकट की कि सर्वाधिक बिकी जाने वाली दवाओं में गर्भ निरोधक गोली की बिक्री प्रमुख स्थान रखती है जिसपर हर हाल में रोक लगाना चाहिए। उन्होंने आमजनों से मार्मिक अपील करते हुए कहा कि अगर बेटी को जन्म नहीं दोगे तो बहू कहाँ से लाओगे। 
बार काउन्सिल के अध्यक्ष विजय कुमार सिंह ने कुटुम्ब न्यायालय के समक्ष न्याय पाने के लिए महिलाओं की बढ़ती संख्या पर चिन्ता प्रकट की तथा कन्या भ्रूण हत्या के लिए दहेज प्रथा को सबसे अधिक जिम्मेदार माना। उन्होंने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या के कारण हमसबों के मन मस्तिष्क में समाया हुआ है। आवष्यकता है तो बस सोच को बदलने की। बेटा और बेटी दोनों ही जीवनरुपी रथ के समान पहिये हैं। 
संगोष्ठी में वरीय अधिवक्ता गोपेष्वर झा ने अपने सम्बोधन में कहा कि कन्या भ्रूण हत्या पर रोक से सम्बन्धित कड़े कानूनी प्रावधान किये गये हैं आवष्यकता है इसे प्रभावी ढ़ग से प्रयोग में लाये जाने की और दोषियों को कानून के कटघरे में खड़े करने की। 
जिला परिषद के उपाध्यक्ष असीम मंडल ने अपने बच्चों में भेद-भाव न करने की अपील की तथा बेटियों को आगे बढ़ने में माता-पिता द्वारा हरसम्भव प्रोत्साहन दिये जाने की बात कही। 
उपनिदेषक जनसम्पर्क अजय नाथ झा ने ऐसी स्थिति के लिए सामाजिक रीति रिवाज यथा पुत्री द्वारा प्रणाम किये जाने पर सौभाग्यवती भव, पुत्रवती भव, सदा सुहागन रहो आदि रिवाजों को जिम्मेदार माना। उन्होंने कन्यादान शब्द पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि कन्या कोई धन नहीं जिसे दान किया जाए। कन्या और पुरूष दोनों एक दूसरे का वरण करें। वस्तुतः बेटियाँ भी एक इन्सान हैं जैसे पुरुष। बेटियों को इस धरा पर लाकर बेटियों के प्रति कोई अह्सान नहीं किया जाता बल्कि धरती पर आना उनका वाजिब हक है और यह हक उन्हें हरहाल में मिलना चाहिए। 
जेंडर समन्वयक सिंहासिनी कुमारी ने कन्या भ्रूण हत्या के लिए बाल विवाह, बच्चों का समय पर टीकाकरण न होना, अनियमित पालन पोषण को जिम्मेवार माना तथा बालिकाओं के प्रति सकारात्मक सोच निर्माण हेतु मीडिया कर्मियों से नियमित इस पर आलेख प्रस्तुत किये जाने का आहवान किया। 
अनुमंडल षिक्षा पदाधिकारी षिवनारायण साह ने सामाजिक रुढि़यों को इसके लिए जिम्मेदार मानते हुए मध्यमवर्गीय लोगों में कन्याओं के प्रति नकारात्मक सोच के लिए चिन्ता प्रकट की। 
समाजसेवी श्यामल किषोर सिंह ने कन्या भ्रूण हत्या के लिए दहेज प्रथा को जिम्मेदार मानते हुए इसपर प्रभावी रोक लगाये जाने की अपील की। 
मानवी संस्था के नलिनी कान्त ने पूरे दक्षिण पूर्व एषिया में महिलाओं की घटती संख्या पर चिन्ता प्रकट करते हुए जाति व्यवस्था, पितृ सत्तामक समाज, महिलाओं में आर्थिक स्वाबलम्बन के अभाव को इसके लिए जिम्मेदार माना। इसी संस्था की अन्नू ने वार्ड वाइज कार्यक्रम करने की सलाह दी तथा बतलाया कि नीति निर्माण में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाये जाने से इसप्रकार प्रभावी रोक लगाया जा सकता है। 
इन्जीनियर के एन सिंह ने प्रत्येक अल्ट्रा साउंड जाँच घर को सी सी टीवी कैमरे की जद में लाने का सुझाव दिया। समाजसेवी रिंकू मोदी ने गर्भवती महिलाओें से सम्पर्क स्थापित कर उन्हें बालिका सुरक्षा के लिए शपथ दिलाये जाने का संकल्प लिया।
समाजसेवी शबनम खातून ने बेटियों की दुर्दषा पर रुँधे गले से बतलाया कि भले ही समाज बेटा बेटा का रट लगाता हो परन्तु दुःख की घड़ी में सिर्फ बेटियाँ ही साथ होती है। अवसर पर स्मिता आनन्द तथा षिखा आनन्द ने एक भावपूर्ण गीत के जरिए बेटियों की दुर्दषा की बड़ी ही मार्मिक चित्रण किया। पत्रकार वीरेन्द्र झा महिलाओं की घठती संख्या के लिए विभिन्न समाजिक एवं जैववैज्ञानिक कारण को इसके लिए जिम्मेदार मानते हुए इसके निदान हेतु बनाये गये कानूनी प्रावधानों को कठोरता से लागू करने का सुझाव दिया। पत्रकार राजेष पाण्डेय ने समाज में बेटियों के साथ हो रहे भेदभाव पर चिंता प्रकट करतें हुए यह कहा कि बेटियों के साथ होने वाली किसी अनहोनी घटना को लोकलाज से छिपाना नही चाहिए। पत्रकार मृत्यंजय कुमार पाण्डेय ने एक कविता के द्वारा समाज में बेटियों के महत्त्व पर प्रकाष डाला। पत्रकार अनूप कुमार बाजेपयी ने कन्याओं के प्रति हो रहे भेदभाव के लिए ऐतिहासिक, समाजिक और आर्थिक कारण को जिम्मेदार मानते हुए लिंगानुपात में हो रहे कमी के जाँच के लिए समाजिक सर्वेक्षण की आवष्कता पर बल दिया। पत्रकार राहुल कुमार गुप्ता ने कन्या भू्रण हत्या करने वालो को कठोर दण्ड दिये जाने की बात कही। प्रेस क्लब के अध्यक्ष षिव शंकर चैधरी की अध्यक्षता में आयोजित इस संगोष्ठी में कार्यक्रम का संचालन पत्रकार दुष्यंत कुमार तथा धन्यवाद ज्ञापन पत्रकार सुमन सिंह ने किया। संगोष्ठी का विषय प्रवेष पत्रकार राजीव रंजन ने किया।
इस अवसर पर जिला परिषद अध्यक्षा जाॅयेस बेसरा, नगर परिषद अध्यक्षा अमिता रक्षित, जिला परिषद उपाध्यक्ष असीम मण्डल, संसाद प्रतिनिधि विजय कुमार सिंह, उपनिदेषक जनसंपर्क अजय नाथ झा, अनुमंडल षिक्षा पदाधिकारी षिव नारायण साह, षिव शंकर, दुष्यन्त कुमार, सुमन सिंह, शबनम खातुन, सिंहासनी कुमारी, स्मिता आनंद, षिखा आनंद, के एन सिंह, अनुप महाजन, रिंकु मोदी, मंदन कुमार, षिवनारायण साह, बीरेन्द्र कुमार झा, नितिन कुमार जाॅनी, उज्जवल कुमार, अषोक कुमार राउत, नलिम कान्त, आनंद जायसवाल, मनोज घोष, विकास प्रसाद, मृत्यून्जय कुमार पाण्डेय, कालेष्वर मंडल, राजेष कुमार पाण्डेय, श्यामल किषोर सिंह, राजीव रंजन, ओम प्रकाष वाजपेयी, अनुप श्रीवास्तव, पवन कुमार घोष, नवल किषोर झा, मो0 ऐहतेषामुल हक आदि मौजूद थे।





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