Monday, 27 January 2020

दिनांक- 26 जनवरी 2020
प्रेस विज्ञप्ति संख्या-086

71 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर माननीय मुख्यमंत्री, श्री हेमन्त सोरेन का अभिभाषण

स्थानः पुलिस लाईन मैदान, दुमका
संताल परगना की ऐतिहासिक भूमि दुमका से समस्त राज्यवासियों और देशवासियों को 71वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई देता हूँ। गणतंत्र भारत की आजादी को सम्प्रभुता का रूप प्रदान करता है। संविधान को सर्वोपरि मानना और उसके प्रति निष्ठावान होना हमारी देशभक्ति ही है। इस पावन दिवस पर सबों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ।
26 जनवरी सन् 1950 को हमने भारत को एक गणतंत्र का स्वरूप दिया। इसी दिन से भारत में रहने वाले सभी पंथो, समुदायों और मतों को मानने वाले लोग अपनी विविधताओं के साथ एक भारत और अखण्ड भारत की पहचान बने। भारत के समस्त नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, समानता और विकास के लिए एक समान अवसर उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता कायम हुई।
संविधान सबसे उपर है। इसका अर्थ है कि हम सब भारतवासी विधि की सर्वोच्चता को स्वीकार करते हैं। हम किसी भी राज्य के हो- हमारा कोई भी धर्म हो-हमारी कोई भी भाषा हो, हम सबसे पहले भारतीय हैं- भारत के नागरिक हैं, यही हमारी पहचान है और हमें इस पर गर्व है।
भाईयों और बहनों! आज का दिन भारत को स्वतंत्र भारत की पहचान देने के लिए अपने प्राणों की आहूति देने वाले महान सपूतों को भी याद करने का दिन है।
इस अवसर पर मैं, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, 
डा॰ राजेन्द्र प्रसाद, बाबा साहेब भीम राव अम्बेदकर, मौलाना अबुल कलाम आजाद, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे महान विभूतियों के प्रति समस्त राज्यवासियों की ओर से श्रद्धासुमन अर्पित करता हूँ।
साथ ही, आजादी के लम्बे संघर्ष में झारखण्ड ने भी अह्म भूमिका निभायी है। धरती आबा बिरसा मुण्डा, बाबा तिलका मांझी, वीर सिदो-कान्हू, चाँद,-भैरव, बहन फूलो-झानो, वीर बुधु भगत, जतरा टाना भगत, नीलाम्बर, पीताम्बर, शेख भिखारी, पाण्डेय गणपत राय, टिकैत उमराव, शहीद विश्वनाथ शाहदेव जैसी अनेक महान विभूतियों ने स्वतंत्रता संघर्ष में अपनी आहुति दी थी। इन सभी शहीदों और वीर सपूतों को हम नमन करते हैं, अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं।
आज हमें उन तमाम अनाम वीरों की शहादत को भी नहीं भूलना चाहिए जिनका नाम भले ही इतिहास में न अंकित हो, पर उनके त्याग और बलिदान ने भारत के निर्माण में अपना योगदान दिया है। आज इस युवा झारखण्ड की ओर से मैं, उन समस्त अनाम वीरों को भी नमन करता हूँ।
गणतंत्र दिवस के अवसर पर हमारी युवा पीढ़ी को यह भी जानना चाहिए कि 26 जनवरी की ऐतिहासिकता क्या है? 31 दिसम्बर 1929 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में ”पूर्ण स्वराज्य“ का प्रस्ताव पारित किया गया और यह भी निश्चय किया गया कि 26 जनवरी 1930 को पूरे राष्ट्र में प्रथम स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाय। 26 नवम्बर 1949 को जब हमारी संविधान सभा ने नए संविधान को अंगीकृत किया तब हमारे संविधान निर्माताओं ने 26 जनवरी के ऐतिहासिक महत्व को बनाये रखने के लिए यह निश्चय किया कि दो माह बाद 
26 जनवरी, 1950 के दिन हमारा संविधान पूरे राष्ट्र में लागू होगा। इस तरह हमने 26 जनवरी के उस ऐतिहासिक तिथि को गणतंत्र दिवस का स्वरूप दे कर संविधान एवं स्वतंत्रता संघर्ष के आदर्शों को हृदय में संजोय रखने का संकल्प लिया और राष्ट्र निर्माण के संकल्प के साथ आगे बढ़े।    

स्वतंत्र और सम्प्रभु राष्ट्र की सुरक्षा के लिए समर्पित देश के वीर सैनिकों, सुरक्षा बलों और पुलिस के वीर जवानों को मैं, गणतंत्र दिवस की बधाई देता हूँ। सीमा की रक्षा हो या देश की आंतरिक अस्थिरता - हमारे सैन्य, सुरक्षा और पुलिस बल ने समर्पण और सर्वोच्च शहादत का अनुकरणीय आदर्श सामने रखा है।
हाल में हुए विधान सभा चुनाव ने झारखण्ड की एक नयी राह का आगाज किया है। हमारा यह दायित्व है कि सब मिलकर एक झारखण्ड को देश का सबसे सम्पन्न, समरस और खुशहाल राज्य बनाएँ। एक ऐसा राज्य जिसमें आदिवासियों दलितों, गरीबों, वंचितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों का सम्पूर्ण विकास हो। उनके अधिकार और संवैधानिक सुरक्षा कवचों की रक्षा हमारा दायित्व है। इस राज्य के विकास की अपार संभावनाएं हैं तो वहीं जन आकांक्षाएं भी प्रबल है। जन आकांक्षाओं पर आधारित विकास के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है।
भाईयों और बहनो!
संरचना निर्माण आधारित विकास से केवल ढांचा तैयार होता है पर व्यक्ति निर्माण के आधार पर हर चेहरे पर खुशहाली की चमक आती है। हमारी सरकार की व्यक्ति निर्माण आधारित विकास की अवधारणा लोगों के दिलों तक पहुँचेगी और महसूस भी होगा। मेरा प्रयास होगा कि हर झारखण्डवासी के चेहरे पर खुशहाली की मुस्कान ला सकूं।
भाईयों और बहनों! 
मैं बाबा साहेब भीम राव अम्बेदकर के उन शब्दों को याद करता हूँ, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘‘संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह जीवन का माध्यम है।’’ इस बात को समझना भी होगा और अपने हृदय में उतारना भी होगा। एक ऐसा कानून का राज्य जो अमीरी-गरीबी, धर्म, समुदाय, विचार के आधार पर किसी से भेदभाव नहीं करते हुए पूरे राज्य के लिए संवेदनशीलता से काम करेगी। साथ ही, राज्य की शांति बिगाड़ने वाले तत्वों से सख्ती से निपटेगी।
भाईयों और बहनों!
शिक्षा से ही सम्पूर्ण विकास के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है! गुणवत्ता ही शिक्षा की धुरी होगी।
सरकारी विद्यालयों को कम्प्यूटर शिक्षा सहित आधुनिक शिक्षा व्यवस्था से जोड़ कर निजी ओर अँगे्रजी माध्यम विद्यालयों से बेहतर बनाने का प्रयास होगा! उच्च शिक्षा में प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के लिए छात्रों को अच्छे कोचिंग की सुविधा भी दिये जाने की पहल होगी। क्षेत्रीय भाषाओं के संरक्षण और उसके प्रसार पर जोर दिया जाएगा! विश्व की वर्तमान चुनौतियों, जलवायु परिर्वतन आदि के साथ सामयिक यातायात प्रबन्धन जैसे विषयों पर विद्यालय स्तर से शिक्षा दी जाएगी।
भाइयों ओर बहनों! 
युवाओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती है रोजगार! सरकार में पंचायत से लेकर प्रखण्ड, जिला और राज्य स्तर पर जो रिक्तियाँ हैं उसे सबसे पहले भरे जाने का कार्य सरकार करेगी! साथ ही बड़े पैमाने पर युवाओं को हुनरमन्द बनाकर उन्हें स्वरोजगार और अन्य रोजगार से जोड़ना भी हमारा लक्ष्य होगा।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत काम किया जाना है! सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में कार्य कर रहे स्वास्थ्य केन्द्र पर सबसे पहले कार्य किया जाएगा। दवा और डाक्टर वहाँ उपलब्ध हो, यह सुनिश्चित किया जाएगा। जिला के सदर अस्पतालों को इतना सुदृढ़ और सुविधाओं से युक्त किया जाएगा कि गम्भीर बीमारियों में भी मरिजों को जिला से बाहर रेफर किये जाने की जरूरत न पडे़। 
राज्य के विकास के केन्द्र में झारखण्ड की मूल चेतना के साथ समावेशी विकास की अवधारणा ही रहेगी। इसी सोच के तहत जल जंगल और जमीन की चेतना के साथ किसानों और खेतिहर मजदूरों के साथ सरकार पूर्ण दृढ़ता से खड़ी रहेगी! धान और गेहँू जैसे मुख्य फसल के साथ सब्जियों के लिए भी न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जाएगा। प्रखण्ड स्तर पर फसलों की सुरक्षा कोल्ड हाउस में की जाएगी। लैम्पस और पैक्स को सुदृढ़ और पारदर्शी बनाते हुए कृषि संयत्रों की सुविधा किसानों को दी जाएगी। गैर कृषि के समय में खेतिहर मजदूर को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए मानव दिवसों की संख्या बढ़ायी जाएगी।
भाइयों और बहनों 
ट्राइबल सब प्लान आदिवासी आबादी की जरूरतों और उनकी आकांक्षाओं के अनुरूप रहेगा। आदिवासियों, दलितों, गरीबों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों की खुशहाली को ध्यान में रखते हुए विकास के कार्यक्रम चलाए जाएंगे, जंगलों में रहने वाले आदिवासियों और मूलवासियों को संपूर्ण अधिकार दिया जाएगा। वनों के उत्पादों को कैसे बढ़ाया जाए और इनके लिए बाजार कैसे उपलब्ध हो इसको ध्यान में रखकर कार्य किए जायेंगे! गाँव के स्थानीय लोगों को विश्वास में लेकर नदी-नालों का जल प्रबन्धन कर खेतों की सिंचाई की जाएगी।
बड़े बांधों के संरचना निर्माण और विस्थापन के औचित्य को देखते हुए पूर्व के निर्णयों की भी उपयोगिता, लाभ और प्रभाव के आधार पर समीक्षा की जाएगी।

भाइयों और बहनों
झारखण्ड के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान और इसके स्थल महत्व से जुड़े संस्थानों को प्राथमिकता के साथ बढ़ावा दिया जाएगा। पर्यटन स्थलों के नैसिर्गिक रूप से कोई छेड़ छाड़ न करते हुए उसके स्वरूप का विकास किया जाएगा ताकि वे आम पर्यटकों के लिए सस्ती और सुलभ हो सके। पर्यटक स्थलों के विकास से जहाँ एक ओर स्थानीय युवाओं को रोजगार मिल सकेगा वहीं दूसरी ओर उन क्षेत्रों का आर्थिक विकास भी हो सकेगा! इको-टूरिज्म को विशेष रूप से बढ़ावा दिया जाएगा।
इसी क्रम में सरकार शहीदों के गांवो का भी पर्यटक स्थल के रूप में विकास करेगी। संथालपरगना के साहेबगंज जिले के भोगनाडीह ओर खूँटी जिला के उलीहातु से इसकी शुरूआत होगी।
भाइयों और बहनों
गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर कहना चाहता हूँ कि रोजगार परक उद्योगों को बढ़ावा देना हमारी सरकार की प्राथमिकता होगी। लघु-कुटीर उद्योगों के उत्पादों के लिए बाजार आधारित व्यवस्था विकसित की जाएगी! छोटे उद्योगों के लाइसेंस और अनापŸिा प्रमाणपत्र की बाध्यताएँ दूर की जायेंगी।
भाइयों और बहनों
हम सबकी सुनेंगे और सबको साथ लेकर चलेंगे। अपने अनुभवी, योग्य और संवेदनशील सहयोगियों के आशीर्वाद और मार्गदर्शन तथा युवाओं की उर्जा और उत्साह को साथ लेकर विकास की ऐसी लकीर खीचेंगे जो गरीबों, वंचितों, आदिवासियों, दलितों और अल्पसंख्यकों के तकदीर की नई इबारत लिखेगी।
भाइयों और बहनों
हमने सरकार के सभी अधिकारियों और कर्मियों को यह स्पष्ट संदेश दिया है कि वे खुले मन से भयमुक्त और बिना दबाव के राज्य की जनता के हित में कार्य करें। वे किसी राजनीतिक दल विशेष के प्रति प्रतिबद्धता न दर्शाएँ! वे जनता के प्रति जिम्मेवार हों, जनप्रतिनिधियों के साथ समन्वय बनाए, नियम और कानून के दायरे में काम करें। दफ्तर और कार्य में समय की पाबन्दी रखें तथा वंचितों और गरीबों के प्रति संवेदनशील बने।
भाइयों ओर बहनों
मैं एक बार फिर यह दोहराना चाहता हूँ कि हम सŸाा-बोध के उन्माद से दूर जिम्मेदारी-बोध से शालीनता और विनम्रता के साथ एक नए झारखण्ड समावेशी झारखण्ड के निर्माण के लिए दृढ़तापूर्वक कार्य करेंगे और सबको उनका हक मिले यह सुनिश्चित करेंगे।
जय हिन्द!! जय झारखण्ड!!

No comments:

Post a Comment