दुमका 19 अगस्त 2018
प्रेस विज्ञप्ति संख्या - 590
बांस से बने मचिया की खूब होती है खरीददारी...
श्रावणी मेले के दौरान वासुकिनाथधाम में आपको कंधे पर दोनों बगल लकड़ी के मचिया टंगे हुए व्यक्ति दिख जायेंगे। दरअसल इनकी दुकान कंधे पर होती है और ये सम्पूर्ण मेला क्षेत्र में घूम-घूम कर मचिया बेचते हैं। मचिया शब्द अगर थोड़ा अजीब लगा तो बताता हँू ये है क्या? बांस के छोटे-छोटे डंडे से इसे बनाया जाता है और नीचे की तरफ साइकिल की पुरानी टायर लगयी जाती है ताकि मजबूती बने रहे। भागलपुर जिला से आये रंजीत ने बताया कि प्रत्येक दिन मैं 100 पीस मचिया बेच देता हँू। एक जोड़े की कीमत 180 रु और 240 रु है लोग बड़े शोक से इसकी खरीददारी करते हैं। उन्होंने बताया मैं यूपी, एमपी, पष्चिम बंगाल और अलग-अलग राज्यों में जा कर इसे बेचता हँू। लेकिन सावन के महीने में वासुकिनाथ आना नहीं भूलता एक महीना बाबा के दरबार में ही अपना दुकान लगाता हँू और यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं की सेवा करता हँू।
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