Saturday, 15 October 2022

दिनांक- 20 जुलाई 2022 प्रेस विज्ञप्ति संख्या-748

 दिनांक- 20 जुलाई 2022

प्रेस विज्ञप्ति संख्या-748


सीडब्ल्यूसी ने दुमका के मुफस्सिल थाना प्रभारी को किया सो काउज

चाइल्ड मैरिज एवं चाइल्ड ट्रैफकिंग मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं करने का है मामला

चाइल्ड मैरिज एवं चाइल्ड ट्रैफकिंग मामले में थाना में आवेदन दिये जाने के बावजूद प्राथमिकी दर्ज कर कानूनी कार्रवाई नहीं करने के मामले में बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट ने दुमका के मुफस्सिल थाना प्रभारी उमेश राम से स्पष्टीकरण पूछा है। यह मामला दुमका के महुआडंगाल इलाके की 14 वर्षीय बालिका का बाल विवाह कर उसे यूपी ले जाने और उसके 09 वर्षीय बालक के चाइल्ड ट्रैफकिंग का है। पीड़ित ने पहले इस मामले में मुफस्सिल थाना में लिखित शिकायत की थी फिर 8 जुलाई को समिति के समक्ष प्रस्तुत होकर पूरे मामले से अवगत कराया है। सीडब्ल्यूसी के चेयरपर्सन अमरेन्द्र कुमार ने पीड़िता के चाचा का बयान लिया। समिति ने किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 30(2) के तहत दो अलग-अलग मामला दर्ज किया है और अभिावक का बयान दर्ज कर मामले की जांच कर रही है। अपने बयान में बालिका और उसके भाई के चाचा ने समिति को बताया है कि उसकी 14 वर्षीय भतीजी कभी महुआडंगाल और कभी बाउरीपाड़ा में अपने बहन के घर में रहा करती थी। 24 जून की रात वह गायब हो गयी। दूसरे दिन खोजबीन करने के दौरान उसकी बेटी को जानकारी मिली कि चचेरी बहन की बिजली ऑफिस (महुआडंगाल) में स्थित शिवमंदिर में शादी हो रही है। बेटी जब मंदिर पहुंची तो वे लोग शादी कर वहां से निकल रहे थे। इसी दौरान उसने विवाहित जोड़े की फोटों खींच ली। महुआडंगाल में रहनेवाला मिलन सिंह नामक एक व्यक्ति ने बालिका के चाचा से मुलाकात कर बताया कि उसकी भतीजी और भतीजा एक महिना बाद वापस आ जाएंगे। बालिका के चाचा ने बताया है कि मिलन सिंह ऐसी आधा दर्जन शादियां करवा चुका है। उसने मंदिर के पूजारी देवाशीष रक्षित और उसकी पत्नी पर भी इस मामले में मिलीभगत का आरोप लगाया है। इस मामले की सुनवाई सीडब्ल्यूसी के चेयरपर्सन अमरेन्द्र कुमार, सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डा राज कुमार उपाध्याय, कुमारी विजय लक्ष्मी और नूतन बाला ने की। चेयरपर्सन अमरेन्द्र कुमार ने बताया कि चाइल्ड मैरिज और चाइल्ड ट्रैफकिंग जैसे गंभीर अपराध की शिकायत करने पर मुफस्सिल थाना प्रभारी द्वारा इस मामले में प्राथमिकी दर्ज किये जाने के बजाय महज सनहा दर्ज किया गया है।  बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट ने पत्र प्राप्ति के तीन दिनों के अंदर मुफस्सिल थाना प्रभारी से समिति के समक्ष सशरीर हाजिर होगा लिखित स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है। ऐसा नहीं होने पर समिति एसपी, राज्य बाल संरक्षण आयोग और राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग को उक्त पुलिस पदाधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की अनुसंशा कर देगी।

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