दिनांक- 23 जून 2022
प्रेस विज्ञप्ति संख्या-0664
गोपीकांदर की बालिका से दिल्ली में कराया जा रहा था नौकरानी का काम
एक माह बाद माता-पिता से मिली बालिका, सीडब्ल्यूसी ने भेजा घर
जिले के गोपीकांदर थाना क्षेत्र की एक 13 वर्षीय बालिका को बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने एक माह चार दिनों के बाद उसके माता-पिता को सौंप दिया। इस बालिका को गांव की मुंहबोली मौसी ने दिल्ली में एक घर में घरेलु कामकाज के लिए रख दिया था जहां से वह भाग गयी। उसे रेलवे स्टेशन पर भटकता हुआ पाने पर आरपीएफ ने दिल्ली के सीडब्ल्यूसी-3 के समक्ष प्रस्तुत किया। दिल्ली सीडब्ल्यूसी-3 के द्वारा बालिका को एस्कोर्ट के साथ गुरूवार को दुमका बाल कल्याण समिति को सौंप दिया गया। बाल कल्याण समिति के चेयरपर्सन अमरेन्द्र कुमार, सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डा राज कुमार उपाध्याय, कुमारी विजय लक्ष्मी और नूतन बाला ने बालिका और उसके माता-पिता का बयान दर्ज किया। बालिका ने अपने बयान में बताया कि वह गोपीकांदर में पांचवी कक्षा में पढ़ाई करती है। गांव की एक मौसी 6000 रुपये प्रति माह पर काम दिलाने के लिए उसे अपने साथ लेकर 07 मई को दिल्ली गयी थी। 16 मई को उसे दिल्ली के खिजरिया रेलवे स्टेशन के बगल में स्थित एक घर में मौसी ने काम पर रखवा दिया। वहां उससे झाड़ु, पोंछा, बरतन व कपड़े धोने का काम करवाया जाता था। 17 मई को वह वहां से भाग गयी और शकुरबस्ती रेलवे स्टेशन पर दुमका जाने के लिए ट्रेन खोज रही थी कि उसे अकेला भटकता हुआ पाकर आरपीएफ ने अपने संरक्षण में ले लिया और एक एनजीओ को सौंप दिया। चेयरपर्सन अमरेन्द्र कुमार ने बताया कि बालिका को दिल्ली सीडब्ल्यूसी-3 के समक्ष प्रस्तुत किया गया था जिसने उसे बालिका गृह में आवासीत कर रखा था। बालिका के गृह सत्यापन के पश्चात दिल्ली सीडब्ल्यूसी-3 ने उसके मामले को दुमका ट्रांसफर कर दिया। गुरूवार को बालिका के माता-पिता को बुलवाया गया और बालिका को उन्हें सौंप दिया गया। बालिका के पास 3630 रुपये मिले थे जिसे उसके पिता को दे दिया गया। बालिका अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती है। उसे नियमित रूप से स्कूल भेजने का निर्देश उसके पिता को दिया गया है। समिति चाइल्ड ट्रैफकिंग के इस मामले में कानूनी कार्रवाई के लिए बालिका के पिता को दुमका के एंटी ह्यूमैन ट्रैफकिंग यूनिट थाना से संपर्क करने को कहा है।
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