दिनांक- 27 जुलाई 2022
प्रेस विज्ञप्ति संख्या-768
बिहार के निःसंतान दंपत्ति को मिला घर का चिराग...
तीन माह के रेकार्ड समय में सीडब्ल्यूसी ने पूरी की प्रक्रिया...
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वर्ष 2018 से अबतक दुमका में दिया गया 11वां एडोप्सन...
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बाल कल्याण समिति ने रेकार्ड समय में तीन माह के बालक को गोद देने की प्रक्रिया पूरी कर दी है। बक्सीबांध स्थित विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान (एसएए) में आवासीत इस बालक को बाल कल्याण समिति के चेयरपर्सन अमरेन्द्र कुमार, सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डा राज कुमार उपाध्याय, कुमारी विजय लक्ष्मी, नूतन बाला, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रकाश चंद्र, एसएए के प्रभारी तारिक अनवर, सामाजिक कार्यकर्ता वहीदा खातून ने मंगलवार की देर शाम बिहार के समस्तीपुर के एक दंपत्ति के गोद में सौंप दिया। मौके पर बाल गृह बालक के सुपरिटेंडेंट संजू कुमार मौजूद थे।
47 व 41 वर्ष के पति-पत्नी को घर का चिराग मिलने से दोनों के चेहरे खुशियों से खिल गये। 2018 से अबतक दुमका से दिया गया यह 11वां एडोप्सन है। 16 अप्रैल 2022 को जन्मे इस बालक को उसकी मां ने चार दिनों बाद ही बाल कल्याण समिति को सौंप दिया गया था। दो माह के पुनर्विचार अवधि के बीत जाने के बावजूद जब मां अपने बालक को सरेंडर करने के अपने निर्णय पर कायम रही तो समिति ने जरूरी कागजी प्रक्रियाओं को पूरा करते हुए 21 जून 2022 को इस बालक को एडोप्सन के लिए कानूनी रूप से मुक्त घोषित कर दिया। बिहार के समस्तीपुर के एक निःसंतान दंपत्ति को कारा (सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी) के वेबसाइट में किये गये निबंधन के तहत वांछित आवश्यक कागजातों की जांच के बाद बालक को सौंप दिया गया।
सीडब्ल्यूसी चेयरपर्सन अमरेन्द्र कुमार ने बताया कि ने संतान सुख से वंचित दंपति एवं माता पिता के लाड प्यार से वंचित बच्चों को मिलाने की प्रक्रिया ही दत्तक ग्रहण है। कोई भी व्यक्ति जिनकी उम्र 25 वर्ष से ऊपर है, बच्चे को गोद लेने की अर्हता रखते है, अगर वह मानसिक, शारीरिक व आर्थिक रूप से सक्षम हैं तो वे सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी के वेबसाइट (कारा) पर स्वयं निबंधन करा कर बच्चे को गोद ले सकते हैं। उन्होने अपील की कि गोद हमेशा कानूनी प्रक्रिया अपना कर ही लें, इससे बच्चों को गोद लेने वाले अभिभावक से कानूनी अधिकार प्राप्त होता है।
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