Wednesday 12 August 2015

सूचना भवन, दुमका 

प्रेस विज्ञप्ति
वासुकिनाथधाम, बुधवार, दिनांक 12 अगस्त 2015   संख्या 257 दिनांक - 12/08/2015

अपनों से बिछुड़ी मुन्नी देवी और भगवनियाँ देवी पहुँची अपने गाँव...

जिला प्रषासन दुमका ने एक बार फिर से अपनी विष्वसनीयता कायम करते हुए दो ऐसी महिला काँवरियों को अपने परिजनों के घर तक पहुँचाया जिसकी शायद ही उन्होंने कभी कल्पना की थी। सूचना सहायता षिविर के द्वारा परिजनों को ढंूढने के दो दिनों तक अथक प्रयास के बाद मुन्नी देवी और भगवनियाँ देवी को सूचना सहायता षिविर के कर्मी अष्विनी कुमार के साथ कल रात मौर्य एक्सप्रेस के द्वारा जिला वैषाली बिहार भेजा गया। जो आज दोपहर अपने गांव शीतलपुर पहुँच गये। 
मुन्नी देवी और भगवनियाँ देवी ने सुल्तानगंज से गंगा जल लेकर पूरे भक्ति भाव से अपने परिजनों के साथ देवघर के लिए प्रस्थान किया था। परन्तु सुईया पहाड़ के पास ये अपने परिजनों से बिछुड़ गई। दुर्भाग्य का आलम यह था कि इन दोनों महिलाओं क्रमषः मुन्नी देवी पति रंजीत राम तथा भगवनिया देवी पति नथनी राम के पास अपने परिजनों का कोई सम्पर्क नम्बर भी नहीं था। इन्हें मार्ग में किसी ने बताया कि वासुकिनाथधाम में ‘‘बिछड़ों को हम मिलाते हैं’’ कार्यक्रम चलता है। इसी आस्था और बाबा पर पूरे विष्वास के साथ बाबा बैद्यनाथ पर गंगाजल अर्पण करने के पष्चात बाबा वासुकिनाथ धाम की ओर दोनों चल पड़े। वासुकिनाथ धाम पहुँचने के पष्चात ये दोनों सूचना एवं जनसम्पर्क के द्वारा लगाये गये षिविर में आकर अपनी पूरी कहानी बताई। दुमका जिला प्रषासन के सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के मुख्य प्रदर्षनी षिविर के सूचना सहायता कर्मी क्रमषः राकेष कुमार, निलेष कुमार, संदीप कुमार, सौरभ कुमार एवं चन्दन कुमार ने विभिन्न संचार माध्यमों से उन दोनों को अपने परिजनों से मिलाने की हरचंद कोषिष की। जब सारे प्रयास विफल हो गए तब क्षेत्रीय उप निदेषक श्री अजय नाथ झा ने उन्हें सूचना सहायता कर्मी अष्विनी कुमार के साथ मुन्नी देवी और भगवनियाँ देवी को सकुषल उनके गांव शीतलपुर, थाना - बीतुपुर, जिला वैषाली बिहार मौर्य एक्सप्रेस के द्वारा भेजा।
क्षेत्रीय उप निदेषक सह जिला सूचना एवं जनसम्पर्क पदाधिकारी ने यह बताया कि सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग द्वारा वर्ष 2005 से ही प्रत्येक वर्ष श्रावणी मेले में बिछुडे़ को हम मिलाते हैं कार्यक्रम चलाया जाता है जिसके तहत बिछुडे़ काँवरिया भक्तों को उनके घर तक उनके परिजनों से मिलाने का कार्य करते आ रहे हैं।

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