Sunday, 23 August 2015

सूचना भवन, दुमका 

प्रेस विज्ञप्ति

दुमका, रविवार, दिनांक 23 अगस्त 2015   संख्या 296 दिनांक - 23/08/2015

मयूराक्षी कला मंच पर कलाकारों ने जम कर भक्ति संगीत की छटा बिखेरी...

सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के मुख्य प्रदर्षनी षिविर स्थित मयूराक्षी कला मंच पर दुमका के प्रसिद्ध कला दल मेलोडी म्यूजिकल गु्रप के कलाकारों ने जम कर भक्ति संगीत की छटा बिखेरी। महेन्द्र प्रसाद साह के नेतृत्व में गायक निरंजन संदीप, सपन एवं कर्मल के साथ दुधानी की गायिका रिया एवं श्रेया ने भी एक से बढ़कर एक भक्तिगीत गाकर समस्त काँवरिया भक्तगणों को भाव विभोर कर दिया। खासकर रिया प्रिया द्वारा गाए गए गीत ईष्वर सत्य है। श्रेया प्रिया द्वारा गाए गीत मेरे शंकर भोलेनाथ, निरंजन द्वारा बिगड़ी मेरी बना दे, संदीप का मन मेरा मंदिर, सपन का माँ-बाप से बढ़कर कोई नहीं, कमल का गीत हे शंभू बाबा तथा गुड्डू का गीत लोग सावन में आदि-आदि गीतों ने विषेष प्रषंसा पायी है। इन गायक गायिकाओं के मधुर स्वर को आॅक्टोपैड पर जुगनू तथा ढोलक पर पंकज और बेहतर बना रहे थे। आलम ये था कि मीलों लम्बी यात्रा कर थके हारे काँवरियों के पैर इनके गाए गीतों पर स्वतः थिरकने लगे पूरी व्यवस्था के संयोजन में सौरभ, चन्दन तथा अष्विनी आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। 

वासुकिनाथधाम में बिकने वाले अचार ने भी काँवरियों का मन मोह लिया...

वासुकिनाथधाम श्रावणी मेला में कई राज्यों के श्रद्धालुओं के आवागमन के साथ-साथ कई अन्य राज्यों के व्यवसायी भी अपना-अपना व्यवसाय करते हैं। बाबा वासुकिनाथ अपने दरबार मंे आने वाले तमाम काँवरियों के साथ-साथ इन व्यवसायियों की मनोकामनायें भी पूर्ण करते हैं। परन्तु वासुकिनाथधाम में एक व्यवसाय ऐसा है जो सालों भर चलता है। वह अचार का व्यवसाय। पूरे मेला क्षेत्र में कम से कम 15-16 अचार की दुकानें हैं जिसमें आम, कटहल, नींबू, हरीमिर्च, करैला, ओल आदि के अचार मिलते हैं। परन्तु सबसे अधिक बिक्री षिमला मिर्च से बने अचारों का ही होता है। दूसरे स्थान पर मिक्स अचार का नम्बर आता है। वासुकिनाथधाम आने वाले लगभग तमाम काँवरियों एवं भक्तगण बाबा का सामान्य प्रसाद यथा चुड़ा चीनी लड्डू, पेडा, बद्धी आदि के साथ-साथ किसी ने किसी किस्म का अचार भी खरीदकर संदेष के रूप में अपने घर जाते हैं। अचार बिक्रेता जामा के मिथुन यादव, गोड्डा के निरंजन महतो, साहेबगंज के सागर कुमार आदि ने बतलाया कि अभी प्रतिदिन लगभग  4000-5000 के बीच की बिक्री होती है। अन्य दिनों में भी वासुकिनाथधाम पहुँचने वोले दर्षनार्थी यहाँ का बना अचार जरूर खरीदकर अपने साथ ले जाते हैं। वासुकिनाथधाम में अचार की खरीददारी एक परम्परा सी बन चुकी है। 

चलन्त चिकित्सा वाहन काँवरियों की सेवा में तत्पर

सुलतानगंज से गंगाजल लेकर 105 कि0मी0 की लम्बी पैदल यात्रा कर बाबा बैद्यनाथधाम आने के क्रम में भक्त काँवरियागण कई प्रकार की शारीरिक कष्टों से ग्रस्त हो जाते हैं जैसे सर्दी, बुखार, खाँसी, जुकाम, शरीर में जल की कमी, डायरिया, पाँव में छाले, बदन दर्द आदि-आदि। कई भक्त काँवरिये वाहन आदि के चपेट में आने के फलस्वरूप दुर्घटनाग्रस्त भी हो जाते हैं। इन बाबा भक्तों को उनके शारीरिक कष्ट से मुक्ति दिलाने में वासुकिनाथधाम स्थित चलन्त चिकित्सा वाहन के डाॅक्टर और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों का योगदान उल्लेखनीय है। डाॅक्टर यू0पी0सिंह, परेष चन्द्र मण्डल, दीपक कुमार, बैद्यनाथ, स्वेता, शाल आदि पूरे समर्पण भाव से पूरी निष्ठा से रोग से व्यक्ति काँवरियां की चिकित्सा कर उनकी सेवा करते हैं। न सिर्फ बीमार काँवरियों के रोगों की जाँच की जाती है बल्कि उन्हें मुफ्त सारी दवाईयाँ भी उपलब्ध कराई जाती है। घायल काँवरियों की तत्काल मरहम पट्टी लगाने के साथ-साथ गम्भीर चोटग्रस्त काँवरियों को बेहतर ईलाज के के लिए अन्य चिकित्सा केन्द्रों पर भेजने की व्यवस्था भी की जाती है। एक बातचीत में डाॅ0 सिंह ने बतलाया कि अबतक कर 1441 काँवरियों का सफल ईलाज किया जा चुका है।



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